अलवर का अपना घर आश्रम (ETV Bharat Alwar) अलवर.एक ऐसा आश्रम जो लावारिस, असहाय और अनाथ लोगों को अपने परिवार में शामिल करता है और उनकी देखभाल करता है. इस आश्रम की खास बात यह है कि यहां पर रहने वाले लोगों को प्रभु जी कहकर संबोधित किया जाता है. यह आश्रम अलवर शहर के विवेकानंद नगर सुंदर नाथ की बावड़ी स्थित संतोष कुमार जानकी देवी गुरु कृपा अपना घर आश्रम है. यह आश्रम पिछले 11 सालों से संचालित हो रहा है, जिसने अब तक करीब 600 प्रभु जी को अपने साथ जोड़ा है.
अपना घर आश्रम के कार्यकारिणी सदस्य गजेंद्र ने बताया कि हमारे आश्रम में रहने वाले लोगों को प्रभु का स्वरूप मानकर सेवा की जाती है. हम यह मानते हैं कि इन्हें प्रभु ने हमारे पास भेजा है, इसलिए इन्हें प्रभु जी कहकर संबोधित किया जाता है. अलवर शहर में हमारी संस्था के तीन आश्रम संचालित हैं, जिसमें अपना घर आश्रम विवेकानंद नगर में 60 प्रभु जी वर्तमान में है. हनुमान सर्किल स्थित आश्रम में 118 महिला प्रभु जी निवासरत हैं. साथ ही 10 मई 2024 को शुरू हुए चिकनी आश्रम में 21 प्रभु जी निवासरत हैं. आश्रम में आने वाले प्रभु जी पुलिस की सूचना पर हमारी टीम की ओर से लाए जाते हैं. हमारे आश्रम में ऐसी प्रभु जी को लाया जाता है जिनका कोई नहीं होता.
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11 साल में 300 प्रभु जी को परिवार से मिलाया :गजेंद्र ने बताया कि हमारा यह आश्रम 11 साल से संचालित हो रहा है, जिसमें हम 300 प्रभु जी को उनके परिजनों से मिला चुके हैं. अभी इस आश्रम में 80 प्रभु जी निवासरत थे, जिनमें से 20 को चिकानी आश्रम में भेजा गया है. हमारा सतत प्रयास रहता है कि यहां रहने वाले हर प्रभु जी को अपने घर-परिवार से मिलाया जाए. आश्रम की ओर से संबंधित थाना पुलिस को सूचना दी जाती है, जिसके बाद प्रभु जी के परिजनों को सूचित किया जाता है. परिजन का फोटो युक्त पहचान पत्र लेने के बाद ही प्रभु जी को उनके परिजनों को सौंपा जाता है. बता दें कि यह आश्रम मां माधुरी वारिश सेवा सदन अपना घर भरतपुर से जुड़ा है.
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इस तरह का रहता है रूटीन :गजेंद्र ने बताया कि हमारे यहां पर सभी प्रभु जी को सुबह 7 बजे चाय, 8:30 नाश्ता, दोपहर 12 बजे खाना, 2:30 बजे अल्पाहार शाम 6 बजे खाना और रात 8 बजे दूध दिया जाता है. इन सभी प्रभु जी की देखभाल के लिए हमारे यहां पर स्टाफ भी रहता है. गजेंद्र ने बताया कि कई बार हमारे यहां आने वाले प्रभु जी की कोई पहचान नहीं होती. उनके बताए गए पते को चेककर उनके परिजन से मिलाने का प्रयास रहता है. हमारे यहां से 35 वर्षीय शाकिर अली को 3 साल बाद असम में उनके परिवार से मिलाया गया. बिहार के पश्चिमी चंपारण निवासी 30 वर्षीय बालयोगी को 4 साल बाद अपने परिवार के पास जाने का मौका मिला. बिहार के बेगूसराय निवासी 23 वर्षीय सूरज को भी 4 साल आश्रम में रहने के बाद परिजनों से मिलाया गया. ऐसे कई और भी प्रभु जी को उनके परिवार से मिलाया गया है.
प्रभु जी की सेवा के लिए रहते हैं स्टाफ (ETV Bharat Alwar) जन सहयोग से चलता है आश्रम :गजेंद्र ने बताया यह आश्रम जन सहयोग से संचालित है. यहां किसी भी तरह का गुप्त दान नहीं लिया जाता. आश्रम का कोई भी व्यक्ति आश्रम के नाम से किसी भी व्यक्ति से पैसे भी नहीं मांगता. उन्होंने कहा कि मान्यता है कि यहां भगवान को चिट्ठी लिखकर उन्हें अवगत कराया जाता है और भगवान ही हमारी उस चिट्ठी की मनोकामना को पूर्ण करते हैं.