अलवर: सरिस्का प्रशासन का जोर आगामी 10 सालों में बाघों की संख्या बढ़ाने पर है, लेकिन सरिस्का बाघ अभयारण्य में बसे गांवों के विस्थापन की धीमी चाल इसमें रोडा साबित हो सकती है. अभी सरिस्का से 24 गांवों का विस्थापन होना शेष है. ऐसे में मानवीय दखल के चलते बाघों की संख्या बढ़ाना आसान नहीं है.
सरिस्का में अभी 43 बाघ एवं शावक हैं. यहां बाघों की संख्या और बढ़ाने के लिए सरिस्का प्रशासन की ओर से बाघ संरक्षण प्लान तैयार कराया जा रहा है. इस प्लान में सरिस्का बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा करने पर जोर दिया गया है. सरिस्का में बाघ संरक्षण प्लान का कार्य ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) को सौंपा गया है. जीटीएफ के सदस्य सरिस्का टाइगर रिजर्व का भ्रमण कर यहां की भौगोलिक परिस्थिति, वन्यजीवों की मूलभूत सुविधाएं सहित अन्य पहलुओं का अध्ययन कर आगामी छह माह में बाघ संरक्षण प्लान तैयार कर सरिस्का प्रशासन को सौंपेंगे. बाद में यह बाघ संरक्षण प्लान अनुमोदन के केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा. वहां से अनुमति मिलने पर आगामी वर्ष 2025 में इस बाघ संरक्षण प्लान पर सरिस्का में कार्य शुरू हो सकेगा.
बाघों के लिए मानवीय दखल कम करना जरूरी:बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए सरिस्का जंगल में मानवीय दखल कम करना जरूरी है. इसके लिए सरिस्का में बसे गांवों का जंगल से बाहर विस्थापन जरूरी है. लेकिन गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया धीमी होने से बाघ संरक्षण प्लान को लागू कर पाना आसान नहीं है. कारण है कि सरिस्का में 29 गांव बसे हैं, सरिस्का प्रशासन इनमें से अभी 5 गांवों का ही पूर्ण रूप से विस्थापन करा पाया है. यानी अभी सरिस्का टाइगर रिजर्व से 24 गांवों का विस्थापन कराया जाना शेष है. सरिस्का के जंगल में इतनी बड़ी संख्या में गांवों के बसे होने से मानवीय दखल ज्यादा है. इसका सीधा असर बाघों की वंश वृद्धि पर पड़ रहा है. सरिस्का में बसे 24 गांवों का विस्थापन जल्द हो सके, तो यहां बाघों की संख्या बढ़ाना आसान होगा.