उत्तराखंड

uttarakhand

सफाई कर्मचारियों के वेतन के नाम पर डकारा गए करोड़ों रुपए!, फाइलों में रेंग रही जांच, पढ़ें पूरी खबर - cleaning staff salary scam

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 11, 2024, 7:09 PM IST

Updated : Jun 11, 2024, 7:43 PM IST

Sanitation Workers Salary Scam in Dehradun देहरादून नगर निगम की ओर से शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए गए कर्मचारियों के वेतन के नाम पर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जांच जारी है. जांच की धीमी रफ्तार पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं मामले में नगर निगम प्रशासक सोनिका सिंह ने सख्त कार्रवाई की बात कही है.

sanitation workers Salary Scam in Dehradun
देहरादून सफाई कर्मचारी वेतन घपला (Etv Bharat)

देहरादून सफाई कर्मचारियों के वेतन घपला (वीडियो- ईटीवी भारत)

देहरादून:शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए नगर निगम की ओर से स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के वेतन फर्जीवाड़े में मामले में जांच रिपोर्ट फाइलों में रेंग रही है. नगर निगम प्रशासक से तीन हफ्ते पहले आई जांच रिपोर्ट पर नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त को चार बिंदुओं पर जांच के आदेश दिए थे. लेकिन अब तक जांच नगर आयुक्त को नहीं सौंपी गई है. नगर निगम के 100 वार्डों में से 22 वार्डों में 99 फर्जी सफाई कर्मचारी दिखाकर करोड़ों रुपए का गबन हुआ है.

निगम प्रशासन की सुस्ती पर उठ रहे सवाल:करोड़ों रुपए के गबन में कार्रवाई को लेकर अभी संशय के बादल मंडरा रहे हैं. जनवरी से शुरू हुई जांच प्रक्रिया पर अब तक कार्रवाई न होने से निगम प्रशासन की सुस्ती पर सवाल उठा रहे हैं. जनवरी से हुई जांच पहले सीडीओ के नेतृत्व में हुई,जिसमें 99 सफाई कर्मचारियों के नाम सामने आए उसके बाद जांच पूरी होने के बाद जिला प्रशासक से जांच रिपोर्ट नगर निगम में आ चुकी है.

जानिए क्या है पूरा मामला:बता दें कि साल 2018 में तीसरी बोर्ड बैठक में निर्णय लेने के बाद नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समिति बनाई गई थी. प्रत्येक वार्ड में बनाई गई समिति में 8 से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए थे और 15-15 हजार रुपए स्वच्छता समिति को दिया जाता है. ऐसे में शहर भर में यह संख्या करीब एक हजार है. नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने से पहले सफाई कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ्य समिति को दिया जाता था, लेकिन 2 दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया था.

जांच में पकड़ी गई अनियमितताएं:कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया और इसके लिए नगर निगम ने समितियां के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थित,आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए गए थे. लेकिन नगर निगम की टीम ने सत्यापन में पाया कि जो पहले उपलब्ध कराई गई सूची में कई कर्मचारी मौके पर नहीं मिले. उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति कार्य करते पाए गए. जिससे साफ हो गया की सूची के अनुसार दिया जा रहा वेतन गलत व्यक्ति को दिया जा रहा था.

जानिए क्या है पूरा मामला: इसके बाद नगर निगम प्रशासक सोनिका ने सीडीओ झरना कमठान को मामले की जांच सौंपी और भौतिक सत्यापन के साथ दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि 22 वार्डों में 99 कर्मचारी ऐसे थे, जिनके नाम नगर निगम को उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन वह मौके पर नहीं थे. सीडीओ द्वारा करीब चार महीने में जांच पूरी हुई और फिर रिपोर्ट मई के शुरुआत में जिलाधिकारी के टेबल तक पहुंची. जहां से करीब एक हफ्ते बाद रिपोर्ट को नगर आयुक्त गौरव कुमार ने जांच रिपोर्ट को लेकर अपर नगर आयुक्त से चार बिंदुओं पर आख्या मांगी थी. करीब तीन हफ्ते से जांच रिपोर्ट पर आख्या नहीं मिल सकी. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों से रिकवरी की जाएगी.

नगर निगम प्रशासक सोनिका सिंह ने क्या कहा:स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों को हर महीने 15 हजार रुपए वेतन जारी किया जाता था. ऐसे में प्रति महीने 99 फर्जी सफाई कर्मचारियों के नाम पर 14 लाख 85 हजार का वेतन और प्रति साल एक करोड़ 78 लाख 20 हजार रुपए और बोर्ड के पूरे पांच साल के कार्यकाल में आठ करोड़ 91 लाख रुपए का भुगतान किया गया है. वहीं नगर निगम प्रशासक सोनिका सिंह ने बताया है कि स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों के वेतन में हुई अनियमितता की सीडीओ के द्वारा जांच की गई थी. जांच में 99 फर्जी सफाई कर्मचारी के नाम सामने आए थे. जिसमें अब अपर नगर आयुक्त द्वारा जांच की जा रही है, नगर निगम द्वारा ट्रांसफर किए गए रुपए किन खाताधारकों को गए इसकी पड़ताल जारी है और जल्द ही जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की जायेगी.

मामले में नगर आयुक्त की प्रतिक्रिया:नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया है कि जो 99 सफाई कर्मचारियों की जांच की जा रही है, उसमें जानकारी की जा रही है कि सफाई कर्मचारियों ने कब से काम शुरू किया था. उसी के हिसाब से नगर निगम द्वारा धनराशि ट्रांसफर की गई. साथ ही उसके अनुसार ही रिकवरी की जाएगी, क्योंकि सभी कर्मचारियों ने पूरे कार्यकाल काम नहीं किया है.

पढ़ें-दून पार्षद स्वच्छता समिति में करोड़ों का भ्रष्टाचार, सफाई कर्मचारियों का वेतन पार्षदों ने डकारा!

Last Updated : Jun 11, 2024, 7:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details