देहरादून:शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए नगर निगम की ओर से स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के वेतन फर्जीवाड़े में मामले में जांच रिपोर्ट फाइलों में रेंग रही है. नगर निगम प्रशासक से तीन हफ्ते पहले आई जांच रिपोर्ट पर नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त को चार बिंदुओं पर जांच के आदेश दिए थे. लेकिन अब तक जांच नगर आयुक्त को नहीं सौंपी गई है. नगर निगम के 100 वार्डों में से 22 वार्डों में 99 फर्जी सफाई कर्मचारी दिखाकर करोड़ों रुपए का गबन हुआ है.
निगम प्रशासन की सुस्ती पर उठ रहे सवाल:करोड़ों रुपए के गबन में कार्रवाई को लेकर अभी संशय के बादल मंडरा रहे हैं. जनवरी से शुरू हुई जांच प्रक्रिया पर अब तक कार्रवाई न होने से निगम प्रशासन की सुस्ती पर सवाल उठा रहे हैं. जनवरी से हुई जांच पहले सीडीओ के नेतृत्व में हुई,जिसमें 99 सफाई कर्मचारियों के नाम सामने आए उसके बाद जांच पूरी होने के बाद जिला प्रशासक से जांच रिपोर्ट नगर निगम में आ चुकी है.
जानिए क्या है पूरा मामला:बता दें कि साल 2018 में तीसरी बोर्ड बैठक में निर्णय लेने के बाद नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समिति बनाई गई थी. प्रत्येक वार्ड में बनाई गई समिति में 8 से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए थे और 15-15 हजार रुपए स्वच्छता समिति को दिया जाता है. ऐसे में शहर भर में यह संख्या करीब एक हजार है. नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने से पहले सफाई कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ्य समिति को दिया जाता था, लेकिन 2 दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया था.
जांच में पकड़ी गई अनियमितताएं:कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया और इसके लिए नगर निगम ने समितियां के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थित,आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए गए थे. लेकिन नगर निगम की टीम ने सत्यापन में पाया कि जो पहले उपलब्ध कराई गई सूची में कई कर्मचारी मौके पर नहीं मिले. उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति कार्य करते पाए गए. जिससे साफ हो गया की सूची के अनुसार दिया जा रहा वेतन गलत व्यक्ति को दिया जा रहा था.