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हाईकोर्ट ने खारिज की वेल्हम बॉयज स्कूल की याचिका, जानिये क्या था पूरा मामला - NAINITAL HIGH COURT

देहरादून के आवासीय विद्यालय वेल्हम बॉयज स्कूल की याचिका पर हुई सुनवाई, HC ने याचिका की खारिज

NAINITAL HIGH COURT
उत्तराखंड हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 4, 2025, 8:09 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के आवासीय विद्यालय वेल्हम बॉयज स्कूल की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने कोविड महामारी के दौरान छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लेने के आदेश दिए थे. मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने स्कूल की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार को संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत यह शक्ति प्राप्त है.

आवासीय विद्यालय वेल्हम बॉयज स्कूल की याचिका पर हुई सुनवाई: राज्य सरकार अपने नागरिकों के कल्याण के लिए ऐसे आदेश जारी कर सकती है, जबकि याचिका में स्कूल की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार के पास आवासीय व गैर सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए फीस से संबंधित नियम बनाने या आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है, इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाए.

HC ने याचिका की खारिज: हाईकोर्ट में सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा कि कोविड के दौरान आवासीय व गैर सहायता प्राप्त विद्यालयों ने ट्यूशन फीस के साथ-साथ स्विंग, घुड़सवारी, कपड़े धोने व विकास जैसे कई शुल्क अभिभावकों से वसूले गए, जबकि छात्रों ने इनका उपयोग नही किया. सब ऑनलाइन चल रहा था. ऐसे में अभिभावकों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ा है. आय के साधन नहीं थे, इसलिए याचिका को निरस्त किया जाए.

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आवासीय विद्यालय वेल्हम बॉयज स्कूल की याचिका पर हुई सुनवाई: राज्य सरकार अपने नागरिकों के कल्याण के लिए ऐसे आदेश जारी कर सकती है, जबकि याचिका में स्कूल की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार के पास आवासीय व गैर सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए फीस से संबंधित नियम बनाने या आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है, इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाए.

HC ने याचिका की खारिज: हाईकोर्ट में सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा कि कोविड के दौरान आवासीय व गैर सहायता प्राप्त विद्यालयों ने ट्यूशन फीस के साथ-साथ स्विंग, घुड़सवारी, कपड़े धोने व विकास जैसे कई शुल्क अभिभावकों से वसूले गए, जबकि छात्रों ने इनका उपयोग नही किया. सब ऑनलाइन चल रहा था. ऐसे में अभिभावकों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ा है. आय के साधन नहीं थे, इसलिए याचिका को निरस्त किया जाए.

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