जगदलपुर: बस्तर की धरती सिर्फ बम और बारूद की गंध के लिए नहीं जानी जाती है. बस्तर की जिंदगी होली की मस्ती और खुमारी के लिए भी मशहूर है. बस्तर में इस बार होली को और शानदार बनाने के लिए स्व सहायता समूह की महिलाएं हरी सब्जियों और फूलों से रंग बना रही हैं. रंग और गुलाल बनाने के लिए बीट रूट और पालक का इस्तेमाल किया जा रहा है. फूलों से रंग बनाने के लिए पलाश और गेंदे के फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है. लाल रंग के गुलाल और रंग के लिए बीट रुट के सुर्ख गाढ़े रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है. पीले और नारंगी कलर के रंग के लिए पलाश और गेंदे के फूलों इस्तेमाल महिलाएं कर रही हैं. हरे रंग के लिए पालक के पत्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
स्किन फ्रेंडली कलर से खिल उठेंगे होली पर आपके चेहरे: हर्बल रंगों से इस बार बस्तर की होली और रंगीन होने वाली है. सब्जियों और फूलों से बने रंग न तो आंखों में जलन पैदा करेंगे नहीं स्किन को रुखा और खराब करेंगे. उल्टे इन हर्बल रंगों से आपके स्किन की चमक और बढ़ जाएगी.
स्व सहायता समूह की महिलाएं बना रहीं हर्बल रंग गुलाल:मार्च का महीना आते ही हर्बल रंग और गुलाल बनाने का काम जगदलपुर की स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बनाना शुरु कर दिया. हर्बल होने के चलते इन रंगों की बाजार में काफी डिमांड है. महिलाओं का कहना है कि पिछले तीन सालों से वो हर्बल रंग और गुलाल हर होली पर बनाती हैं. शुरुआत में लोगों की दिलचस्पी इन रंगों में कम होती थी. समय के साथ अब इन हर्बल रंगों की डिमांड इतनी ज्यादा हो गई है को उत्पादन कम पड़ गया है.