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गुप्त नवरात्र का पांचवां दिन आज, स्कंदमाता के आशीर्वाद से भर जाती है सूनी गोद - GUPT NAVRATRI 2024

गुप्त नवरात्रि का आज पांचवां दिन है. आज जगतजननी मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की आराधना होती है. मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां स्कंदमाता की पूजा से शत्रु विजय के साथ ही निःसंतान लोगों को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 10, 2024, 6:49 AM IST

GUPT NAVRATRI 2024
गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन (Etv bharat gfx Team)

बीकानेर. गुप्त नवरात्र के पांचवे दिन देवी मां के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है. इनकी पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है. शास्त्रों में उल्लेखित है कि निःसंतान दंपती यदि संतान की कामना के साथ देवी स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसे संतान सुख अवश्य ही मिलता है.

मां छिन्नमस्ता की पूजा भी करते हैं साधक : आमतौर पर गृहस्थ साधक गुप्त नवरात्र में दुर्गा के पांचवे स्वरूप में स्कंदमाता की पूजा करते हैं, लेकिन तंत्र और सिद्धि प्राप्त करने के लिए लोग पांचवें दिन देवी मां के छिन्नमस्ता स्वरूप की पूजा करते हैं. इससे शत्रु विजय की प्राप्ति और रोग का शमन होता है. इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए. इसके अलावा राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता है. इस दिन मां छिन्नमस्ता को पलाश के फूल अर्पित करने चाहिए.

कुमुद के पुष्प का अर्पण करें : मां स्कंदमाता को कुमुद के पुष्प अति प्रिय है. वैसे तो देवी पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है. देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, लेकिन यदि शास्त्रसम्मत बात करें तो स्कंदमाता के पूजन में कुमुद के पुष्प से पूजन-अर्चन और मंत्र अर्चन करना उत्तम होता है.

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खीर मालपुआ और ऋतुफल का भोग लगाएं : अपने आराध्य को भाव से सामर्थ्य अनुसार भोग अर्पित करने से मनचाहा फल मिलता है. साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए. नवरात्रि में पांचवे दिन स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा में देवी को खीर और मालपुआ का भोग लगाना चाहिए.

विशुद्धि चक्र होता है जागृत : स्कंदमाता विशुद्धि चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं. विशुद्धि चक्र हमारे गले के उभरे हुए भाग के ठीक नीचे स्थित होता है. मां स्कंदमाता की सच्चे मन से पूजा करने से विशुद्धि चक्र जागृत हो जाता है, जिससे सिद्धि प्राप्त होती है. मां स्कंदमाता का वाहन मयूर भी है. इसलिए इन्हें मयूरवाहिनी के नाम से भी जाना जाता है.

भगवान स्कंद की माता है देवी : स्कंद का अर्थ भगवान कार्तिकेय से है. मां को अपने बेटे के नाम से पुकारा जाना प्रिय लगता है. शिव गौरी के पुत्र भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है. इसलिए देवी मां के पांचवे स्वरूप का नाम स्कंदमाता के रूप में प्रचलित हुआ. प्रथम दिन मां पार्वती के ही स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन होता है. पांचवे दिन स्कंदमाता का पूजन होता है.

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