सिमडेगा: एक बार फिर पेट की आग बुझाने परदेस गये युवक की मौत से एक घर का बुझ चिराग गया. अपने घर की दहलीज को छोड़ परदेस गए मजदूर ने बीमारी के कारण अपने परिजनों का साथ छोड़ गया. बेरोजगारी और परिवार की जरूरत को पूरा करने के लिए कर्नाटक गये जलडेगा प्रखंड के टिनगिना गांव निवासी मांगनू साय (पिता- कृष्णा साय, उम्र 25 वर्ष) की कर्नाटक में मौत हो गयी. लेकिन बेबसी ऐसी है कि परिजनों के पास अपने बच्चे के शव को लाने तक के पैसे नहीं है. बीते 5 दिनों से उसका शव अजरगढ़ सरकारी अस्पताल में रखा हुआ है. शव को गांव पहुंचाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये अस्पताल की ओर से मांगे गये हैं.
मामले में सीएम ने लिया संज्ञान
मांगनू साय के परिवार की माली हालत इतनी खराब है कि अपनी सारी जमीनों को बेचकर परिजन बस 30 हजार की रकम ही जमा कर सके हैं. जबकि अजरगढ़ सरकारी अस्पताल से शव को गांव पहुंचने के लिए एक लाख 20 रुपए की मांग की जा रही है. इस मामले पर समाजसेवी कुणाल झारखंडी द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है. इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने मामले पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त सिमडेगा को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है. साथ ही परिवार को सभी जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ देना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं.
डीसी ने दिया आश्वासन
इस मामले को लेकर सिमडेगा डीसी ने संज्ञान लिया है. जिसपर उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर सीएम द्वारा किए गये पोस्ट के जवाब में लिखा है कि 'महोदय, दिवंगत मांगनू जी के पार्थिव शरीर को लाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करते हुए श्रम विभागीय योजनान्तर्गत आश्रित को तत्काल पचास हजार रुपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही है. उनके परिवार को अन्य देय योजनाओं का लाभ यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाएगा'.