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शरद पूर्णिमा आज, जानिए कितनी कलाओं से पूर्ण होता चंद्रमा, पूजा करने से होता ये लाभ

आश्विन शुक्ल माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का कहा जाता है. शरद पूर्णिमा का हमारे शास्त्रों में विशेष महत्व है.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 18 hours ago

Sharad Purnima 2024
शरद पूर्णिमा (ETV Bharat)

बीकानेर : अश्विन शुक्ल माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में शरद पूर्णिमा पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन चंद्रमा भ्रमण करते हुए पृथ्वी के एकदम निकट आ जाता है, जिसके चलते चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप यानी कि पूर्ण चंद्रमा हमें नजर आता है. पंचागकर्ता राजेंद्र किराडू ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा संपूर्ण 16 कलाओं से युक्त होता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने रचाई रासलीला :किराडू ने बताया कि शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण ने 16,000 गोपियों के संग शरद पूर्णिमा को रासलीला रचाई थी. शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी, कुबेर, देवताओं के राजा इंद्र और ऐरावत की पूजा का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है और लौकिक व्यवहार में भगवान हनुमानजी की पूजा होती है.

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खीर का लगाएं भोग :किराडू ने बताया कि शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी के लिए बेहद खास माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भक्त शरद पूर्णिमा पर सच्चे मन से धन की देवी की उपासना करता है तो लक्ष्मी देवी उसे जीवन भर धन-अन्न के भंडार से भर देती हैं. कभी दरिद्रता नहीं आती है. यह दिन धन प्राप्ति के अलावा सुख-सौभाग्य में भी वृद्धि करता है. देवी लक्ष्मी को खीर अति प्रिय है और इस दिन खीर का प्रसाद बनाना चाहिए और मां लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए.

चंद्रमा की रोशनी में रखें खीर :पंडित किराडू ने बताया कि भगवान को भोग लगाने के बाद उस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए. 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा के प्रकाश का अमरत्व का भाव खीर में आ जाता है. आयुर्वेद के हिसाब से उस खीर का सेवन करने से रोग से मुक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ रहता है.

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