सीधी। विंध्य की चार लोकसभा सीटों में से दो लोकसभा सीट ऐसी हैं. जिसमें पहले चरण में ही मतदान होने हैं, मतलब 19 अप्रैल को इन दोनों सीटों पर सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होना है. ऐसे में इन दोनों ही सीटों पर चुनावी हलचल भी तेज हो गई है. हम बात कर रहे हैं, शहडोल लोकसभा और सीधी लोकसभा सीट की. वैसे देखा जाए तो इस बार के चुनाव में सीधी लोकसभा सीट पर विंध्य ही नहीं, एमपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर है, क्योंकि पिछले दो बार से जीत रही सांसद की जगह भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने नए प्रत्याशी को चुनावी मैदान पर उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े दिग्गज नेता को चुनावी मैदान में उतार दिया है. सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा के ही एक दिग्गज नेता ने बगावत करके गोंगपा से चुनावी मैदान पर उतरकर इस सीट के मुकाबले को और रोचक बना दिया है.
सीधी लोकसभा सीट का क्षेत्र
विंध्य क्षेत्र की सीधी लोकसभा सीट 3 जिलों के अलग-अलग विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है. इसमें पूरा का पूरा सीधी और सिंगरौली जिला तो आता ही है, जबकि शहडोल जिले की भी एक विधानसभा सीट को इसमें शामिल किया गया है. इस लोकसभा सीट में टोटल 8 विधानसभा सीट हैं. जिसमें से सीधी जिले की चार विधानसभा सीट चुरहट, सीधी, धौहनी और सिहावल शामिल है, तो वहीं सिंगरौली जिले की तीन विधानसभा सीट चितरंगी, सिंगरौली और देवसर शामिल है. इसके अलावा शहडोल जिले की एक विधानसभा सीट ब्यौहारी विधानसभा सीट को इस सीधी लोकसभा सीट के अंतर्गत ही शामिल किया गया है.
चुनावी मैदान में कौन-कौन ?
सीधी लोकसभा सीट इस बार के लोकसभा चुनाव में सुर्खियों में है. ये सीट विंध्य ही नहीं, मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर में है. देश के दिग्गज नेताओं की नजर इस लोकसभा सीट पर टिकी हुई है, क्योंकि इस लोकसभा सीट का मुकाबला अब दिलचस्प हो चुका है. सीधी लोकसभा सीट से बीजेपी ने दो बार से जीत रही अपनी सांसद रीति पाठक को टिकट नहीं दिया है, क्योंकि रीति पाठक को पहले ही विधानसभा चुनावी में मैदान पर उतार दिया था, और वह जीतकर भी आई हैं. अब विधायक हैं. अब इस बार सीधी लोकसभा सीट से डॉक्टर राजेश मिश्रा को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने भी अपने सबसे बड़े मजबूत नेता कमलेश्वर पटेल को सीधी लोकसभा सीट के चुनाव के लिए टिकट दिया है. इन सब के बीच बीजेपी से नाराज विंध्य के दिग्गज नेता पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह बीजेपी को छोड़कर अब गोंडवाना से चुनावी मैदान में कूद गए हैं, इस तरह से देखा जाए तो इस बार सीधी लोकसभा सीट का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.
विधानसभा चुनाव में कौन आगे ?
अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, जब पूरे मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए हैं. अब लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव के आंकड़े भी जानना जरूरी है, क्योंकि सीधी लोकसभा सीट को आठ विधानसभाओं को मिलाकर बनाया गया है. विंध्य के इन आठ विधानसभा सीटों की बात करें, तो अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में, आठ में से सात विधानसभा सीटों में बीजेपी ने जीत हासिल की है. जबकि एक विधानसभा सीट में कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस के अजय सिंह ने चुरहट विधानसभा से जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में सीधी लोकसभा सीट से मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल चुनाव हार गए थे.
2018 के विधानसभा चुनाव में भी 8 विधानसभा सीटों में से एक सीट ही कांग्रेस जीत पाई थी. बाकी 7 बीजेपी ने जीते थे. 2018 में कमलेश्वर पटेल जीते थे, अजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव का रुझान ही नजर आता है. 2019, 2014 और 2009 में भी भाजपा के पास आठ में से 7 विधानसभा सीट थी और लोकसभा में भाजपा को जीत मिली है. इस कारण भाजपा का कॉन्फिडेंस और बढ़ा हुआ है.
सीधी लोकसभा सीट में अब तक कितने चुनाव
इतिहास पर नजर डालें तो सीधी लोकसभा सीट में अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. जिसमें सात बार कांग्रेस को तो छह बार भाजपा को जीत मिली है. जनता पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी और निर्दलीय को भी एक-एक बार इस लोकसभा सीट से जीत मिली है.
परिसीमन के बाद से ही बीजेपी का कब्जा
देखा जाए तो सीधी लोकसभा सीट पर पिछले कुछ लोकसभा चुनाव से भारतीय जनता पार्टी के रिकॉर्ड तो बहुत ही अच्छे हैं. 2008 के परिसीमन के बाद से ही सीधी लोकसभा सीट अनारक्षित हुई है. तब से इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा बना हुआ है. 2009 का पहला चुनाव जब परिसीमन के बाद हुआ तो इसमें गोविंद मिश्रा जीते थे, इसके बाद 2014 और 2019 के दो चुनाव हुए, जिसमें भाजपा की रीति पाठक भारी मतों से जीत कर आईं. जब 2008 से पहले यह सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी, तब कभी कांग्रेस और कभी बीजेपी को जीत मिलती थी.
क्या कहता है चुनावी समीकरण ?
सीधी लोकसभा सीट पर इस बार मोदी चेहरा और उनके मैजिक के भरोसे भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर राजेश मिश्रा हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलेश्वर पटेल सामने हैं. भाजपा से ही बगावत करके चुनावी मैदान पर कूदे पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह भी गोंगपा से चुनावी मैदान पर कूद कर इस सीट की लड़ाई को और रोचक बना दिया है. देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी बनाए गए डॉक्टर राजेश मिश्रा को कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे, कमलेश्वर पटेल उन्हें कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. वजह दो है पहला क्षेत्र में पटेल सहित पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की अच्छी खासी तादात है. दूसरी वजह भाजपा के अजय प्रताप सिंह का पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में कूदना.