KRISHNA CONNECTION WITH MP: इस साल 26 अगस्त को भगवान कृष्ण के जन्म का महापर्व जन्माष्टमी मध्य प्रदेश में व्यापक पैमाने पर मनाया जा रहा है. दरअसल, मध्य प्रदेश ही ऐसा इकलौता राज्य है, जहां भगवान कृष्ण को शिक्षा, शस्त्र और संगिनी तीनों मिले थे. आइये जानते हैं यह तीन स्थान कौन से हैं और भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े पौराणिक प्रसंग किस तरह आज भी विद्यमान है.
अमझेरा में हुआ था रुक्मणी का हरण
राजकुमारी रुक्मिणी के संदेश व उनके अनुरोध पर भगवान कृष्ण द्वारिका से चलकर तत्कालीन विदर्भ राज्य के कुंदनपुर गांव पहुंचे थे. इसी कुंदनपुर गांव को आज धार जिले के अमझेरा गांव के नाम से जाना जाता है. श्रीमद् भागवत में उल्लेख है कि 'रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने भोपावर में दोनों यानि श्री कृष्ण और रुक्मिणी का पीछा किया और उन्हें रोक लिया. वर्तमान में अमझेरा से 15 किलोमीटर दूर यह स्थान है. यहां राजकुमार रुक्मी भगवान कृष्ण से हार गए थे. इसके बाद भगवान कृष्ण रुक्मिणी को साथ लेकर द्वारिका चले गए. इस स्थान पर आज भी अमका-झमका मंदिर मौजूद है. जहां मंदिर के पीछे भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा बनवाया गया सीमेंट से बना घोड़े का प्रतीकात्मक रथ आज भी मौजूद है.
किवंदती के अनुसार भगवान कृष्ण के रथ के घोड़े ने जैसे ही गति पकड़ी तो रथ आगे बढ़ गया, लेकिन रथ के पहियों के निशान वहीं रहे. वर्तमान में यह स्थान सरदारपुर तहसील के धार मनावर रोड पर मौजूद है. जो पहाड़ गुफा झील और तालाब और प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है.
उज्जैन का सांदीपनि आश्रम
उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर पांच हजार साल से ज्यादा पुराना गुरुकुल ऋषि सांदीपनि आश्रम आज भी मौजूद है. यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने पढ़ाई की थी. श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 विद्याएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित कुल 64 दिन में 64 अलग-अलग कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था. भगवान कृष्ण के साथ में बलराम और सुदामा जी भी 64 दिन तक शिक्षा-दिक्षा हासिल की थी. इस स्थान पर आज भी जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं.