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शाही जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा है प्रभु श्रीकृष्ण का विग्रह; आगरा कोर्ट में ASI ने नहीं दाखिल किया अपना जवाब, अगली सुनवाई 16 जुलाई को - Krishna Janmabhoomi case - KRISHNA JANMABHOOMI CASE

आगरा दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद वाद की सुनवाई शुक्रवार को हुई. जिसमें एएसआई ने जबाव दाखिल नहीं किया. अब मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी.

दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद वाद की हुई सुनवाई.
दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद वाद की हुई सुनवाई. (photo credit etv bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 5, 2024, 10:19 AM IST

Updated : Jul 5, 2024, 9:09 PM IST

आगरा:श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद मामले में शुक्रवार को आगरा दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में सुनवाई हुई. जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने शुक्रवार को भी अपना जवाब कोर्ट में दाखिल नहीं किया. जिस पर कोर्ट ने एएसआई को लिखित जवाब देने का आदेश दिया है. सुनवाई में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी उपस्थित रहे. न्यायधीश ने श्रीकृष्ण जन्म भूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट बनाम इंतजामिया कमेटी मामले में सुनवाई की अगली तिथि 16 जुलाई तय किया है. वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह के दो मामले माननीय न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन है.

दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है. जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में दायर वाद करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जामा मस्जिद के मामले की सुनवाई को अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर बताने की याचिका खारिज हो चुकी है.

सुनवाई के लिए मिली थी शुक्रवार की तारीख:वादी और अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का GPR सर्वे के लिए पहले ही प्रार्थना पत्र दिया था, जो अभी विचाराधीन है. 27 मई 2024 को सुनवाई में विपक्षी संख्या 1 उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उपस्थित हुआ था. न्यायालय ने विपक्षी पुरातत्व विभाग को जवाब के लिए अंतिम समय दिया. तब सुनवाई की अगली तिथि 5 जुलाई यानी शुक्रवार के दिन की नियत की गई थी.

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का ये दावा:मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि, मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए. इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराकर जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे कराए. इसके बाद वहां से भगवान् श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाले. कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन के जरिए सनातनी एकजुट करके बड़े आंदोलन की सनातनियों से अपील की थी. तब उन्होंने कहा था कि मैं जब तक जामा मस्जिद से मेरे आराध्य को आगरा से ले जाऊंगा, तब तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा.

एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने :श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि, जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए ASI सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है. क्योंकि सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी.

शाहजहां की सबसे बेटी ने बनवाई थी जामा मस्जिद:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' के मुताबिक मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफे की रकम पांच लाख रुपये से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

औरंगजेब लाया था मथुरा से विग्रह और पुरावशेष:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वो केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.

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Last Updated : Jul 5, 2024, 9:09 PM IST

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