आगरा:श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद मामले में शुक्रवार को आगरा दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में सुनवाई हुई. जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने शुक्रवार को भी अपना जवाब कोर्ट में दाखिल नहीं किया. जिस पर कोर्ट ने एएसआई को लिखित जवाब देने का आदेश दिया है. सुनवाई में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी उपस्थित रहे. न्यायधीश ने श्रीकृष्ण जन्म भूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट बनाम इंतजामिया कमेटी मामले में सुनवाई की अगली तिथि 16 जुलाई तय किया है. वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह के दो मामले माननीय न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन है.
दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है. जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में दायर वाद करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जामा मस्जिद के मामले की सुनवाई को अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर बताने की याचिका खारिज हो चुकी है.
सुनवाई के लिए मिली थी शुक्रवार की तारीख:वादी और अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का GPR सर्वे के लिए पहले ही प्रार्थना पत्र दिया था, जो अभी विचाराधीन है. 27 मई 2024 को सुनवाई में विपक्षी संख्या 1 उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उपस्थित हुआ था. न्यायालय ने विपक्षी पुरातत्व विभाग को जवाब के लिए अंतिम समय दिया. तब सुनवाई की अगली तिथि 5 जुलाई यानी शुक्रवार के दिन की नियत की गई थी.
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का ये दावा:मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि, मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए. इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराकर जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे कराए. इसके बाद वहां से भगवान् श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाले. कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन के जरिए सनातनी एकजुट करके बड़े आंदोलन की सनातनियों से अपील की थी. तब उन्होंने कहा था कि मैं जब तक जामा मस्जिद से मेरे आराध्य को आगरा से ले जाऊंगा, तब तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा.