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मलाणा में सड़क ही नहीं...अब राशन की भी दरकार, जानें क्यों बर्फबारी से पहले ही परेशान हो गए लोग

इस साल बरसात में जरी-मलाणा सड़क के क्षतिग्रस्त होने से मलाणा का यातायात संपर्क कट चुका है. इससे लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं.

मलाणा में पैदा हो सकता है खाद्य संकट
मलाणा में पैदा हो सकता है खाद्य संकट (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 21, 2024, 1:55 PM IST

कुल्लू: जिला की मणिकर्ण घाटी में बरसात के समय मलाणा डैम फटने से भारी तबाही हुई थी. डैम फटने से जरी-मलाणा सड़क पूरी तरह से बह गई थी. सड़क के क्षतिग्रस्त होने से मलाणा गांव की 25 सौ के करीब की आबादी का संपर्क मुख्य सड़क मार्ग से कट गया था. अब 12 किलोमीटर पैदल सफर करने के बाद जरी में मुख्य सड़क तक पहुंच रहे हैं.

कोई यातायात का साधन न होने के कारण लोगों को खाद्य वस्तुओं के दोगुने दाम देने पड़ रहे हैं. खाने-पीने और अन्य चीजों को 12 किलोमीटर का सफर करने के बाद गांव तक पहुंचाना लोगों के लिए बड़ी चुनौती है. सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है. ऐसे में बर्फबारी के सीजन में लोगों को खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इस दौरान सभी रास्ते बंद हो जाते हैं. लोगों ने कई बार सरकार से समस्या के समाधान की गुहार भी लगाई, लेकिन अब तक कोई समाधान न निकलने से ग्रामीण नाराज हैं.

स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर झूठे वादों का आरोप लगाते हुए अब कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह से ही मदद की गुहार लगाई है. लोगों ने मांग की है कि बर्फ और बारिश से पहले गांव में राशन की व्यवस्था की जाए. मलाणा गांव के स्थानीय निवासी मोतीराम ने बताया कि सरकार ने कहा था कि यहां पर जल्द सड़क मार्ग बनाया जाएगा और राशन भी उचित मात्रा में पहुंचाया जाएगा, लेकिन आज पूरे इलाके में राशन को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है और लोगों को जरी से खुद राशन लाना पड़ रहा है, लेकिन राशन ढुलाई में उन्हें अधिक पैसे मजदूरों को देने पड़ रहे हैं. जिसके चलते ग्रामीण खासे परेशान हैं.

स्थानीय लोगों ने कहा कि लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह से एक बार मलाणा का दौरा करें और ग्रामीणों की समस्या को खुद देखें, ताकि उन्हें पता चल सके कि ग्रामीण राशन की कमी के चलते किसी तरह से बदहाली का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. अब इलाके में ठंड बढ़ रही है और कभी भी बर्फ गिर सकती है. अगर बर्फ गिर गई तो बिना राशन के ग्रामीणों का जीवन व्यतीत करना काफी मुश्किल हो जाएगा. लोग ये सोचकर परेशान हैं कि समय रहते उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उन्हें भूखे मरने की नौबत आ जाएगी.

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