अस्पताल तक तो पहुंची लेकिन बेरहम नर्सों ने नहीं किया भर्ती, चौखट पर महिलाओं ने कराई डिलीवरी - Delivery outside hospital Shivpuri - DELIVERY OUTSIDE HOSPITAL SHIVPURI
शिवपुरी में कन्नौद स्वास्थ्य केन्द्र पर रात में नर्सों द्वारा अस्पताल में भर्ती नहीं लिए जाने के कारण आदिवासी महिला ने खुले आसमान के नीचे जमीन पर ही बच्चे को जन्म दिया.
अस्पताल के बाहर खूले में बच्चे का हुआ जन्म (ETV Bharat)
शिवपुरी: जिले में एक तस्वीर सामने आई है जो लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को साफ-साफ दिखा रही है. देर रात रन्नौद सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र पर एक महिला की खुले आसमान के नीचे डिलीवरी हुई. स्वास्थ्य केन्द्र का स्टॉफ महिला को तड़पते देखते रहा लेकिन उन्होंने हाथ नहीं लगाया. प्रसुता को अस्पताल लेकर आई महिलाओं ने खुले में जमीन पर महिला की डिलीवरी करवाई.
डिलीवरी के बाद आपबीती बताती साथी महिला (ETV Bharat)
नर्सों ने जेल में बंद कराने की दी धमकी बुधवार की देर रात शिवपुरी में कमल नाम की एक आदिवासी महिला को प्रसव पीड़ा हुई. गांव-घर की महिलाओं ने प्रसुता को रन्नौद स्वास्थ्य केन्द्र लेकर आईं. जहां पर प्रसव पीड़ा से परेशान महिला को स्वास्थ्य केन्द्र की नर्सों ने भर्ती लेने से मना कर दिया. उन्हें कहीं और ले जाने की बात कहकर स्वास्थ्य केन्द्र की सीढ़ियों से ही लौटा दिया. साथ आई महिलाओं ने जब नर्सों से मदद करने की विनती की तो स्टॉफ ने महिलाओं को धमकी देते हुए जेल में बंद करा देने की धमकी दी. महिला की प्रसव पीढ़ा बढ़ती देख साथ आई महिलाओं ने बाहर ही खुले आसमान के नीचे जमीन पर उसकी डिलीवरी कराई. नर्सें खड़ी होकर यह सब देखती रहीं और किसी ने हाथ लगाने की जहमत नहीं उठाई.
स्वास्थ्य विभाग के दावों की खूली पोल डिलीवरी हो जाने पर बाहर आई नर्स घटना के बारे में पूछने पर जवाब देने में कतरा रही थी. उसने कहा कि, 'शरीर में खून की मात्रा बहुत कम थी इसलिए हमने रेफर कर दिया था.'' इसके अलावा वह कुछ भी बोलने से बचती नजर आई. जिले में जहां एक ओर स्वास्थ्य विभाग बड़े-बड़े दावे करता है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य केन्द्रों पर इस तरह की लापरवाही किसी के लिए भी जान का दुश्मन बन सकती है.
डॉक्टर बोले- महिला का हीमोग्लोबिन कम था इस पूरे मामले में रन्नौद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉ अक्षय शर्मा ने बताया कि, ''प्रसूता को बुधवार की शाम 6 बजे लाया गया था. जांच के दौरान प्रसूता का हीमोग्लोबिन महज 6 ग्राम था, जबकि हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम होनी चाहिए थी. मल्टी ग्रेविडा के साथ गंभीर एनीमिया होने के चलते और गाइडलाइन के तहत प्रसूता को जिला अस्पताल रैफर किया गया था. प्रसूता को जिला अस्पताल भेजने के लिए 108 एंबुलेंस भी बुला ली गई थी, लेकिन परिजन प्रसूता को जिला अस्पताल जाने को राजी नहीं हुए. इसके बाद एंबुलेंस एक एक्सीडेंट केस को लेने निकल गई. उसी समय अस्पताल में दूसरा डिलीवरी केस आ गया था, जिसमें स्टाफ व्यस्त हो गया था.''