शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में तीसरे दिन सरकारी आवासों की कमी का मामला गूंजा. ज्वालाजी से कांग्रेस विधायक संजय रत्न ने इस संदर्भ में सवाल किया था. सवाल के जवाब और फिर अनुपूरक सवालों में कई दिलचस्प खुलासे हुए. एक खुलासा ये हुआ कि शिमला में 41 सरकारी आवास खाली हैं, लेकिन उनकी दशा ऐसी है कि वो रहने लायक नहीं हैं. आलम ये है कि हिमाचल पुलिस के मुखिया यानी डीजीपी तक के पास सरकारी आवास नहीं है. दरअसल, विधायक संजय रत्न ने शिमला में खाली पड़े सरकारी आवास और नए बन रहे रिहायशी आवास के बारे में जानकारी चाही थी. जवाब में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि विभिन्न श्रेणियों यानी टाइप-6, टाइप-5 आदि के 41 सरकारी आवास खाली हैं. क्योंकि ये आवास पुराने हैं और रहने लायक नहीं हैं, लिहाजा इन्हें आवंटित नहीं किया जाता. इसके अलावा शिमला में चार स्थानों पर अफसरों और कर्मियों के लिए सरकारी आवास बन रहे हैं.
डीजी ने खुद बताया, नहीं है उनके पास सरकारी आवास:संजय रत्न ने अनुपूरक सवाल के दौरान एक दिलचस्प बात कही. उन्होंने सदन में एक घटना का उल्लेख किया. एमएलए ने बताया कि 15 अगस्त को उन्हें लंदन व कनाडा से धमकी भरे फोन आए कि आप झंडा फहराने सीएम के साथ गए तो बम से उड़ा देंगे. एमएलए ने बताया कि इसी सिलसिले में उन्होंने रात 10 बजे डीजीपी को फोन किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की. फिर आधे घंटे बाद में डीजीपी का फोन आया और बताया कि उनके पास सरकारी आवास नहीं है और वे खाना खाने के लिए बाहर गए थे. इसलिए फोन नहीं उठा पाए. संजय रत्न ने कहा कि अगर सरकार मकान इयर मार्क्ड (चिन्हित) करे तो जिस दिन डीजी टेकओवर करे, उन्हें सरकारी मकान अलॉट हो जाएगा. इसी दौरान संजय रतन ने सीएम से जानना चाहा कि क्या भविष्य में मंत्रियों, चेयरमैन व अफसरों के रहने के लिए सरकारी आवास इयर मार्क्ड किए जाएंगे