उदयपुरःझीलों की नगरी उदयपुर में शनिवार से 10 दिवसीय शिल्पग्राम महोत्सव की शुरुआत होगी. इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. एक साल के इंतजार के बाद शिल्पग्राम महोत्सव 21 दिसंबर से शुरू होगा और पूरे दस दिन लोक संस्कृति प्रेमियों को भरपूर मनोरंजन देगा. यह कार्यक्रम विशुद्ध रूप से ‘लोक के रंग-लोक के संग’ यानी लोक संस्कृति की थीम पर आधारित होगा.
एक ही परिसर में दिखेगी कई संस्कृतियों की झलकः पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि इस बार की थीम राजस्थान, खासकर मेवाड़ के लोककला प्रेमियों की पसंद को ध्यान में रखते तैयार की गई है. इस बार यह कार्यक्रम कई तरह के नए सांस्कृतिक रंगों से भी सराबोर होगा. इसमें कई ऐसी लोकरंजक कला की कड़ियां जोड़ी गई हैं, जो हर मेलार्थी और कला प्रेमी के लिए आकर्षण का केंद्र होगी. स्टाल्स पर खरीदारी करने के साथ ही विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों के जायके का आनंद आएगा. इनमें ‘हिवड़ा री हूक’ कार्यक्रम हर महोत्सवार्थी के मन को सीधे छुएगा.
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इन राज्यों के कलाकार करेंगे अपनी कला का प्रदर्शनः उन्होंने बताया कि इस उत्सव में 20 राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, असम, मेघालय, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, मणिपुर, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु से करीब 800 लोक कलाकार भाग लेंगे. इस दस दिवसीय उत्सव में करीब 65 कला दलों की ओर से देश की विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक विरासत प्रदर्शित की जाएगी. यहां बहरूपिया, कच्छी घोड़ी, कच्छी लोक गायन, राठवा, सुंदरी वादन, अल्गोजा वादन, गवरी, मशक वादन, मांगणियार, चकरी, तेरह ताल, कालबेलिया आदि का प्रदर्शन दिनभर किया जाएगा. मेले में बहुरूपी कला का प्रदर्शन होगा, जिसके लिए बहुरूपिए कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है. साथ ही शिल्पग्राम में 12 राशियों के चिह्न विशेष आकर्षण का केन्द्र रहेंगे. इन राशि चिह्नों को देश के युवा मूर्तिकारों की ओर से पत्थर में विशेष रूप से शिल्पग्राम उत्सव के लिए तराशा गया है. पूर्व में तराशे गए वाद्य यंत्र तो दर्शकों को लुभा ही रहे हैं.
मेले में 400 क्राफ्ट स्टाल्स लगेंगीः इस बार शिल्पग्राम उत्सव में 400 के लगभग क्राफ्ट स्टाल्स होंगी, जिनमें 24 राज्यों के 800 शिल्पकार और कारीगर अपना उत्पाद विक्रय के लिए लाएंगे. इसमें देशभर से लगभग सभी प्रकार की क्राफ्ट प्रदर्शित किए जाएंगे. इस बार जोधपुर से ऊन बोर्ड, कोलकाता का जुट बोर्ड और ट्राइफेड की ओर से भी स्टाल्स लगाई जाएंगी. इस बार प्रयास किया गया है कि अधिक से अधिक राज्यों के कारीगरों को शामिल किया जाए.
‘गवरी’ का होगा मंचनःशिल्पग्राम महोत्सव में भील जनजाति की नृत्य नाटिका ‘गवरी’ मेलार्थियों का रोजाना मनोरंजन करेगी. ‘गवरी’ प्रकृति के शृंगार को यथारूप रखने का सुन्दर नृत्यानुष्ठान है. यह नृत्य शिव के तांडव और गौरी के सुंदर नृत्य का मिला-जुला स्वरूप है.