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लारा कोर्ट के फैसले से किसानों में खुशी, बोले- 'खेतिहर नहीं आवासीय दर से मिलेगा मुआवजा' - Shiekhpura farmers

Shiekhpura News: बरबीघा-शेखपुरा-दनियावां रेल लाइन परियोजना में आखिरकार 41 दिनों के धरने के बाद मुंगेर के लारा कोर्ट से किसानों के हित में फैसला आया है. अदालत ने कहा कि नारायणपुर मौजा का जमीन आवासीय है, इसलिए आवासीय दर पर किसानों को मुआवजा दिया जाए. फैसला आने से किसानों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

शेखपुरा में किसानों की जीत
शेखपुरा में किसानों की जीत

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 4, 2024, 6:07 PM IST

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा में किसानों की जीत हुई है. रेलवे द्वारा बरबीघा के नारायणपुर मौजा में अधिकृत जमीन के बदले उचित मुआवजे की मांग को लेकर 41 दोनों से लगातार जारी आंदोलन के बाद लारा कोर्ट ने किसानों के हक में सुनाया फैसला है. मुंगेर के लारा कोर्ट में चल रही विशेष सुनवाई में किसानों के हक में फैसला आने के बाद किसान खुशी से झूम उठे. कोर्ट ने खेतिहर नहीं आवासीय दर से जमीन के बदले मुआवजा देगा.

मुंगेर लारा कोर्ट को फैसला, किसानों ने की जमकर आतिशबाजी: लारा कोर्ट में किसानों के हक में फैसला आने के बाद किसानों में गजब का उत्साह देखा गया. बड़ी संख्या में एकजुट हुए किसानों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई और धरनास्थल पर जमकर आतिशबाजी की. किसानो की लंबी लड़ाई आखिरकार काम आई और उनका उनका अधिकार मिल गया.

किसानों ने अपने हक को लेकर लड़ी लंबी लड़ाई: शेखपुरा से बरबीघा होते हुए बिहार शरीफ,दनियावां के रास्ते पटना के नेउरा तक बनने वाले रेलवे लाइन के लिए बरबीघा में 288 किसानों का लगभग 44 एकड़ भूमि अधिग्रहित किया गया था. जिला प्रशासन द्वारा पहले इस भूमि को कृषि योग्यता कर बेहद ही कम मुआवजा दिया जा रहा था. जिला प्रशासन के विरोध में किसान हाईकोर्ट चले गए थे. हाई कोर्ट ने 1 जनवरी 2014 के अनुसार अधिकतम मूल्य का भुगतान देने का आदेश दिया था.

पिछले 41 दिन से किस दे रहे थे धरना : सुनवाई के दौरान मुंगेर के लारा कोर्ट में भी जिला प्रशासन द्वारा कथित तौर पर जमकर दांव पेच खेला गया. कागजों में उलझा कर मामले को काफी लंबा खींच लिया गया. कोर्ट में फैसला आने से पहले ही केंद्र के दबाव के बाद वर्तमान डीएम जे. प्रियदर्शनी ने बीते 23 दिसंबर से पुलिस बल की तैनाती कर रेलवे लाइन पर मिट्टी भराई का कार्य शुरू करवा दिया. तब से किसान लगातार पिछले 41 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना खेतों में बैठकर ही दे रहे थे.

"बरबीघा थाना चौक से गंगटी मोड़ तक व्यावसायिक भूमि को 1.50 लाख प्रति डिसमिल तथा डाक बंगला से गोपालबाद रोड में स्थित व्यावसायिक भूमि को 1.80 लाख प्रति डिसमिल देने का फैसला दिया गया. जिला प्रशासन के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी भूमि को आवासीय और व्यावसायिक दो कैटेगरी में बांटकर लारा कोर्ट ने किसानों को मुआवजा देने का फैसला सुनाया है."-रंजीत कुमार, किसान

"आखिरकार एक दशक से अधिक समय से किसानों द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई का सुखद अंत हुआ. भूमि को आवासीय भूमि में वर्गीकृत करते हुए कुछ भूमि को 99500 प्रति डिसमिल जबकि कुछ को 1.30 लाख प्रति डिसमिल के हिसाब से किसानों को भुगतान करने के लिए रेलवे को आदेशित किया गया है. लाल कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला किसानों के हक में है."- भोला प्रसाद, किसान

किसानों को मिला क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का भरपूर समर्थन:अनिश्चितकालीन धरना दे रहे किसानों का जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे जनप्रतिनिधि और समाजसेवी भी किसानों की भावनाओं के साथ जुड़ते चले गए. इस आंदोलन में क्रांतिकारी नेता कन्हैया कुमार बादल, जदयू नेता तथा समाजसेवी संतोष कुमार शंकु,आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष धर्मउदय कुमार, राकेश रंजन, चंद्रभूषण कुशवाहा सहित अन्य लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वहीं कई कार्रवाई पूर्ण करने में क्षेत्रीय विधायक सुदर्शन कुमार का काफी सराहनीय योगदान रहा था. रही सही कसर क्षेत्र के सांसद चंदन सिंह ने पूरा किया.

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