रांचीः सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने झामुमो की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे के कुछ घंटे के भीतर पार्टी को एक और बड़ा झटका दिया है. उन्होंने जामा विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया है. इस बाबत विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो को पत्र भेजा है. इस बारे में पूछे जाने पर विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने ईटीवी भारत को बताया कि वह अभी अपने विधानसभा क्षेत्र में हैं. लिहाजा, सीता सोरेन के इस्तीफे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली है. जैसे ही इसकी जानकारी मिलती है तो मीडिया से साझा की जाएगी.
आपको बता दें कि सीता सोरेन जामा विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बनी थीं. झामुमो को मजबूत बनाने में उनके दिवंगत पति दुर्गा सोरेन की अहम भूमिका रही है. लेकिन पिछले दिनों हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की संभावना के बीच उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बनाए जाने की चर्चा के दौरान सीता सोरेन मुखर होकर सामने आई थी. 30 जनवरी की शाम ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मैं कल्पना सोरेन को सीएम स्वीकार नहीं करुंगी. उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर की थी. यह भी बताया था कि लंबे समय से पार्टी में उपेक्षा हो रही है. मेरी बेटियां बड़ी हो गई हैं लेकिन किसी को उनकी चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. हालांकि 31 जनवरी को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने गठबंधन के साथ एकजुटता दिखायी थी.
फिलहाल, सीता सोरेन के विधायक पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वह कोई बड़ा राजनीतिक फैसला लेने वाली हैं. झारखंड की राजनीति के जानकारों ने संभावना जतायी है कि सीता सोरेन अब बड़ी पारी खेलने की तैयारी में हैं. संभावना जताई जा रही है कि वह दुमका से लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं. हालांकि भाजपा ने दुमका सीट से सुनील सोरेन के रुप में पहले ही प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी है. लेकिन जानकारों का कहना है कि भाजपा इस अवसर को नहीं गंवाना चाहेगी.
आपको बता दें कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की संभावना के बीच गांडेय से झामुमो विधायक सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया था. चर्चा थी कि जरुरत पड़ने पर उनकी जगह कल्पना सोरेन को उपचुनाव मैदान में उतारा जा सकता है. लेकिन उस वक्त की परिस्थिति को देखते हुए चंपई सोरेन को झामुमो ने विधायक दल का नेता चुना. खास बात है कि 20 मई को गांडेय में उपचुनाव होना है. सीता सोरेन के इस्तीफे के बाद झामुमो विधायकों की कुल संख्या 30 से घटकर 28 हो गई है. हालांकि बहुमत को लेकर चंपई सरकार को कोई दिक्कत नहीं है.