छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

दशहरा में खुला ऐतिहासिक कंकाली मठ, साल में एक बार होती है शस्त्र पूजा

रायपुर कंकाली मठ में दशहरा पर साल में एक बार शस्त्रों की पूजा होती है.ऐसी मान्यता है कि शस्त्रों के साथ मां विराजित होती हैं.

KANKALI MATH
दशहरा पर्व पर खुला कंकाली मठ (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 12, 2024, 6:51 PM IST

रायपुर : ब्राह्मण पारा स्थित कंकाली मठ 700 साल पुराना मठ है. हर साल विजयादशमी के दिन माता कंकालिन के अस्त्र शस्त्रों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए अस्त्र शस्त्रों को सजाया जाता है. भक्तों को अस्त्र शस्त्र के दर्शन साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही होते हैं. रात के 12 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं.

दशहरा में खुला ऐतिहासिक कंकाली मठ :साल में एक बार विजयादशमी के दिन खुलने वाले द्वार की प्रतीक्षा भक्तों को हमेशा रहती है. कंकाली मठ में मां कंकालिन के अस्त्र-शस्त्रों के दर्शन के लिए रायपुर सहित आसपास के गांव के लोग भी काफी संख्या में पहुंचते हैं. कंकालिन माता के अस्त्र शस्त्रों में ढाल, नागफणी, तलवार, कटार जैसी अन्य चीजें भी शामिल हैं.श्रद्धालु नरेश जोशी ने बताया कि रायपुर का प्राचीन कंकालिन मठ है. श्रद्धालु सपरिवार विजयादशमी के दिन कंकालिन माता के अस्त्र और शस्त्र के दर्शन के लिए आते हैं.

ऐतिहासिक कंकाली मठ (ETV BHARAT)

कंकाली मठ की सबसे खास बात यह है कि यह मठ साल में केवल एक ही दिन विजयादशमी के दिन खुलता है. शस्त्र की पूजा के साथ ही देवी का दर्शन प्राप्त होता है. प्राचीन मंदिर होने के साथ ही माता कंकालीन के प्राचीन स्वरूप का भी दर्शन लाभ मिलता है. आज के दिन यहां पर दूर दराज के लोग भी दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.- नरेश जोशी, श्रद्धालु



विजयादशमी के दिन ब्राह्मण पर स्थित कंकाली मठ के द्वार को खोला जाता है. श्रद्धालु माता के दर्शन करने के साथ ही उनके अस्त्र-शस्त्र के दर्शन कर सकें. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन माता कंकालीन अपने पुराने घर कंकालीन मठ में अपने पूरे अस्त्र-शस्त्र के साथ विराजमान होती है. माता के अस्त्र शस्त्रों में तलवार भाला कटार सहित कई अन्य अस्त्र शस्त्र जो नागा साधुओं के द्वारा बनाया गया है-अभिजीत गिरी, सदस्य, कंकालिन मठ

वहीं पंडित सचिदानंद पाठक ने बताया कि इस मठ का नाम कंकालिन मठ है. जगदंबा पहले यहां रहा करती थी.

संन्यासी यहां के पुजारी हुआ करते थे. जो माता जगदंबा की पूजा आराधना किया करते थे.ऐसी मान्यता है कि आज के दिन माता कंकाली और माता दुर्गा अस्त्र शस्त्रों के साथ विराजमान रहती है- सचिदानंद पाठक,पंडित

साल में एक बार खुलता है कमरा : ब्राह्मण पारा स्थित कंकाली मठ का द्वार साल में 1 दिन विजयादशमी के दिन ही खोला जाता है. माता के इस रूप को देखने के लिए भक्तों की भीड़ सुबह से लेकर रात 12 बजे तक रहती है. विजयादशमी के दिन रात 12 बजे के बाद कमरे के द्वार को बंद कर दिया जाता है.

बस्तर दशहरा में काला जादू की अनोखी रस्म,निशा जात्रा रक्त भोग से मां होती है प्रसन्न
कवर्धा में शाही दशहरा की परंपरा, नगर भ्रमण पर निकलेंगे राजा, रावण वध के बाद लगेगा दरबार
दशहरा 2024 : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को दी विजयादशमी की शुभकामनाएं






ABOUT THE AUTHOR

...view details