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Sharad Purnima: ये है चांद की रोशनी में खीर रखने का शुभ मुहूर्त, जानें शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. जानें कब मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा और कब खा सकते हैं पूर्णिमा की खीर....

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 12 hours ago

Updated : 24 minutes ago

Sharad Purnima 2024
शरद पूर्णिमा 2024 (ETV Bharat GFX)

कुल्लू: सनातन धर्म में हर महीने पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. दोनों ही तिथियों पर भक्तों द्वारा विशेष रूप से पूजा-अर्चना के साथ-साथ कई लोग व्रत भी रखते हैं. वहीं, अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है. सनातन धर्म में इस तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन भक्तों द्वारा गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान किया जाता है. साथ ही इस दिन दान का भी महत्व है.

आज है शरद पूर्णिमा

आचार्य दीप कुमार ने बताया कि हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि पर ही शरद पूर्णिमा मनाई जाती है और खीर को भी चंद्रमा की किरणों में रखा जाता है. उन्होंने बताया कि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर की रात 8:40 पर होगी और इसका समापन 17 अक्टूबर को शाम 4:55 पर होगा. ऐसे में इस साल बुधवार, 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी.

शरद पूर्णिमा पर किसकी होती है पूजा?

आचार्य दीप कुमार का कहना है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख व समृद्धि आती है. साथ ही उसके रुके हुए काम भी बनने लगते हैं. इसके अलावा शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा का भी विशेष महत्व है. आचार्य दीप कुमार ने बताया कि इस पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है. इसलिए इसे अमृत काल भी कहा जाता है और इस मौके पर चांद की रोशनी में खीर रखने की मान्यता है.

चांद की रोशनी में कब रखें खीर?

आचार्य दीप कुमार ने बताया कि 17 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:45 से लेकर 5:32 तक होगा. जबकि विजय मुहूर्त भी दोपहर 2:01 से लेकर 2:47 तक होगा. इसके अलावा गोधूलि मुहूर्त शाम 5:50 से लेकर 6:15 तक होगा. ऐसे में इस समय भी जो शुभ काम किए जाएंगे उसका भी भक्तों को फल मिलेगा. आचार्य ने बताया कि शरद पूर्णिमा की शाम 16 अक्टूबर को 7:18 पर रेवती नक्षत्र शुरू होगा और रेवती नक्षत्र को शुभ माना जाता है. ऐसे में 16 अक्टूबर की रात को 8:40 के बाद खीर चांद की रोशनी में रख सकते हैं. खीर को पूरी रात चंद्रमा की किरणों के बीच रखें. 17 अक्टूबर को इसे प्रसाद के तौर पर सभी भक्तों के बीच बांट दें. जिससे सभी भक्तों को अमृत रूपी इस खीर का लाभ मिल सके.

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

आचार्य दीप कुमार बताते हैं कि शरद पूर्णिमा को अमृत काल के रूप से भी जाना जाता है, इसलिए इस दिन भक्तों द्वारा खीर बनाकर उसे पूरी रात चंद्रमा के प्रकाश में रखा जाता है और अगले दिन इसका सेवन किया जाता है. आचार्य का कहना है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से खीर में विशेष औषधीय गुण आते हैं. और मान्यता है कि इसका सेवन करने से कई बीमारियों का भी नाश होता है.

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