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ये छोटू मशीन आपको बनाएगी धनवान!, घंटों के काम मिनटों में करती है चट, जानिए सब-कुछ - Mahua Seed Dicorticator Machine

इस ऑर्टिकल के माध्यम जानिए कैसे महुआ डिकोटिकेटर मशीन महुआ के फल बीनने वाले लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है. जानिए कि इस मशीन की कीमत क्या है और काम कैसे करती है.

MAHUA SEED DICORTICATOR MACHINE
ये छोटी से मशीन आपको बनाएगी धनवान! (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 15, 2024, 9:40 PM IST

शहडोल। आज हम एक ऐसी काम की मशीन के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो दिखने में बहुत छोटी और सिंपल सी दिखती है, लेकिन यह आपको पैसे कमाने में बहुत ज्यादा मदद करेगी. इस मशीन की खासियत जान आप भी हैरान हो जाएंगे. साथ ही कैसे ये हर वर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद है. इसे जानने के बाद आप भी इसे ढूंढने लग जाएंगे. जहां महुआ के पेड़ पाए जाते हैं उनके लिए ये मशीन बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है.

ये छोटी से मशीन आपको बनाएगी धनवान! (Etv Bharat)

आदिवासियों के लिए बड़े काम की है डोरी

शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य वनांचल एरिया है. यहां के जंगलों में महुआ के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं. इसके अलावा लोगों के खेतों में भी काफी तादाद में महुआ के पेड़ पाए जाते हैं. महुआ के फूल के बारे में तो हर कोई जानता है कि फूल कितना कीमती है. महुआ के फल को गांव में डोरी कहा जाता है. डोरी को लोग घर लेकर तो आ जाते हैं, लेकिन इसे सही मायने में काम के लायक बनाने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ता है, क्योंकि जो महुआ का फल होता है, उसमें दो परत होती है. ऊपरी परत हरी वाली होती है जो पकने पर आसानी से बाहर निकल जाती है. फिर उसके अंदर एक हार्ड भाग होता है, जिसे किसी दूसरी ठोस वस्तु से तोड़कर उसके अंदर के भाग को निकाला जाता है और वही काम की चीज होती है.

महुआ डिकोटिकेटर मशीन (ETV Bharat)

बड़े काम का है महुआ का फल

महुआ के फल के अच्छे दाम भी मिलते हैं, क्योंकि जो डोरी होता है, इसका बहुत औषधीय महत्व है. कई लोग इसके तेल को खाने और शरीर में लगाने पर प्रयोग करते हैं. यह तेल एक अच्छे मॉइश्चराइजर का भी काम करता है और बाजार में महंगे दामों पर बिकता है. शायद इसी वजह से डोरी के सीजन में ज्यादातर आदिवासी महुआ के पेड़ के नीचे ही मिलेंगे, क्योंकि इस सीजन में ये इनकी आय का एक बड़ा साधन भी होता है. आदिवासी वर्ग के लोग इससे अच्छे खासे पैसे भी कमा लेते हैं.

आदिवासियों के लिए बड़े काम की है डोरी (ETV Bharat)

आसान नहीं है डोरी फल को निकालना

महुआ के फूल को लोग आसानी से बटोरकर व सुखाने के बाद अच्छे दामों में बेंच देते हैं, लेकिन महुआ के फल के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. डोरी को फोड़ते हुए स्थानीय महिला रामकली बैगा ने बताया कि डोरी को काम के लायक बनाना इतना आसान नहीं होता है. जब बेंचने जाओ तो लोग खरीदते समय मोल भाव बहुत करते हैं, लेकिन इसे तैयार करने में बहुत मेहनत लगती है. सुबह-सुबह महुआ के पेड़ों से डोरी लाने के बाद दिन भर एक-एक डोरी को फोड़ते हैं. इसमें पूरे दिन में एक व्यक्ति महज 4 से 5 किलो डोरी ही फोड़ पाएगा. इसके अलावा पत्थर से फोड़ते हैं तो कई बार उनके हाथ भी कुचल जाते हैं. खाद्य वैज्ञानिक डॉ. अल्पना शर्मा बताती हैं कि ऐसे ही लोगों के लिए अब डोरी फोड़ने की एक सस्ती मशीन आ गई है, जिसे 'महुआ डिकोटिकेटर' बोला जाता है. इस मशीन का फायदा ये है कि इससे जो काम महिलाएं पत्थर से फोड़ने पर दिनभर में 4 से 5 किलो फोड़ पाती हैं, ये मशीन महज 1 घंटे में ही वह काम कर देगी. जिससे वह कम समय में ज्यादा कामकर और पैसा कमा सकती हैं.

महुआ डिकोटिकेटर मशीन

डॉ. अल्पना शर्मा ने बताया कि जो ये महुआ डिकोटिकेटर मशीन है, इसे ओडिशा की एक एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने बनाया है, जिसे ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी की यूनिवर्सिटी ने डिजाइन किया है. यह काफी काम की मशीन है. इस मशीन का फायदा ये है कि आपके डोरी फोड़ने का काम आसान हो जाएगा. अभी ये सैंपल के तौर पर एक मशीन कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल में रखी हुई है, जिससे आसपास की कुछ ग्रामीण महिलाएं आकर डोरी फोड़ने का काम करती हैं और जिसे उनको बहुत आसानी होती है.

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आखिर कितनी है इस मशीन की कीमत

महुआ डिकोटिकेटर मशीन है आखिर कैसे आम लोगों तक पहुंचेगी इस सवाल पर डॉ. शर्मा बताती हैं कि यदि 4-5 समूह की महिलाएं आ जाएं या 5 से 7 मशीनों की डिमांड हो जाए तो ओडिशा से ही इस मशीन को मंगवाया जा सकता है. इसके अलावा एक मशीन सैंपल के तौर पर कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल में रखी हुई है. अगर कोई अच्छा आर्टिस्ट मिलता है तो लोकल लेवल पर भी इस मशीन को बनवाया जा सकता है, क्योंकि इस मशीन में बहुत ज्यादा कलाकारी नहीं है. वैसे भी यह मशीन दो से ढाई हजार रुपए के लगभग में मिल जाती है.

बड़े काम की है ये छोटू मशीन

महुआ के फूल में ज्यादा काम नहीं होता है, उसे बटोरकर मार्केट में बेच देना होता है, इससे अच्छी आमदनी लोगों को मिल जाती है, लेकिन महुआ के फल का सीजन आने पर ज्यादातर लोग उस पर ध्यान नहीं देते, सिर्फ आदिवासी लोगों का ध्यान होता है. जिनके पास रेगुलर कोई काम नहीं होता, क्योंकि उनका इससे घर भी चलता है. अगर ये मशीन ऐसे लोगों मिल जाती है तो डोरी को फोड़ना आसान हो जाएगा. पैसा कमाने के लिए उनके पास एक नया आय का साधन भी मिल जाएगा, इस तरह से ये छोटू मशीन ऐसे लोगों के लिए भी बहुत काम की है.

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