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रांची में बाइक चोर गिरोह के सात अपराधी गिरफ्तार, नाले में छुपाया हथियार भी किया बरामद

रांची पुलिस ने बाइक चोर गिरोह के सात अपराधियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी ग्रामीण इलाके में चोरी की बाइक बेचा करते थे.

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बाइक चोर गिरोह के अपराधी गिरफ्तार (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 3, 2024, 2:32 PM IST

रांची:राजधानी में बाइक चोर गिरोह के आतंक से मुक्ति दिलवाने के प्रयास में लगी पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. लालपुर इलाके से पुलिस ने बाइक चोर गिरोह के सात अपराधियों को गिरफ्तार किया है. साथ ही चोरी की कई बाइक भी बरामद किए गए हैं. लालपुर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद और स्थानीय लोगों के सहयोग से बाइक चोरी कर उन्हें कम कीमत में बेचने वाले गिरोह के सात अपराधियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार अपराधी में तनवीर आलम भी शामिल है, जो पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड बना हुआ था.

रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि हाल के दिनों में कई बाइक चोरी की वारदातों को अंजाम दिया गया था. इसी बीच आम लोगों के द्वारा यह सूचना दी गई कि लालपुर इलाके से चोरी की गई बाइक को पीसरोड वाले इलाके से चोर लेकर भाग रहे हैं. जिसके बाद स्थनीय लोगों की मदद से पुलिस ने तीन बाइक चोरों को गिरफ्तार कर लिया और फिर गिरफ्तार चोरों की निशानदेही पर अन्य चार को भी धर दबोचा. गिरफ्तार अपराधियों के पास से चोरी के सात बाइक और स्कूटी भी बरामद किए गए हैं.

गिरफ्तार अपराधियों में कुख्यात आरोपी भी शामिल

जिन सात अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें वांटेड अपराधी तनवीर आलम के अलावा अर्जुन महतो, वासुदेव शाह, रोशन दास, भरत दास ,अबीर अंसारी और गुरफान अंसारी उर्फ छोटू शामिल हैं. रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता ने बताया कि तनवीर आलम खूंटी का कुख्यात अपराधी है. पुलिस ने जब तनवीर को गिरफ्तार किया, तब उसने अपने पास मौजूद पिस्टल को नाले में फेंक दिया. हालांकि बाद में पूछताछ के दौरान पुलिस को जब जानकारी मिली तब नाले से पिस्तौल को बरामद कर जब्त कर लिया गया.

चार से पांच हजार में बेचते थे बाइक

गिरफ्तार अपराधियों ने पुलिस की पूछताछ में खुलासा किया है कि वे लोग हर दिन दो से तीन बाइक चुराते थे. बाइक की चोरी कर सबसे पहले उसका नंबर बदल दिया करते थे और फिर सोशल मीडिया के जरिए 4000 से 5000 में एक बाइक को बेच देते थे. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले युवा सबसे ज्यादा बाइक खरीदते थे. क्योंकि ग्रामीण इलाकों में बाइक की चेकिंग कम होती है. ऐसे में चोरी की बाइक आसानी से खप जाती थी.

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