शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार और कर्मचारी डीए-एरियर के भुगतान को लेकर आमने-सामने हो गए हैं. कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी अब कर्मचारियों के निशाने पर आ गए हैं. कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों को नेतागीरी न करने की सलाह दी थी. इसके बाद सचिवालय कर्मचारी राजेश धर्माणी के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोलकर बैठ गए हैं, सचिवालय के आर्म्सडेल भवन के प्रांगण में हुए जरनल हाउस में कर्मचारियों ने राजेश धर्माणी से माफी मांगने की मांग कर डाली.
'कर्मचारियों को धमकी दे रहे धर्माणी'
हिमाचल प्रदेश सचिवालय परिसंघ के चेयरमैन संजीव शर्मा ने कहा कि, 'राजेश धर्माणी सीएम सुक्खू के खास दोस्त हुआ करते थे, लेकिन मंत्री बनने के चार दिन बाद ही ये सीएम के दुश्मन बन बैठे हैं. पूरे प्रदेश के कर्मचारी अपना हक मांग रहे हैं, लेकिन चार दिन पहले मंत्री बने राजेश धर्माणी कर्मचारियों को धमकी दे रहे हैं. कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर की सिन्योरिटी लिस्ट अन्य विभागों ने बनानी शुरू कर दी है, लेकिन सचिवालय में ये काम अभी नहीं हुआ है.'
'सीएम एस्कॉर्ट की गाड़ी का हुआ दुरुपयोग'
संजीव शर्मा ने कहा कि, 'प्रदेश के सबसे बड़े आईपीएस ऑफिसर की पत्नी दिल्ली में सीएम, गर्वनर की एस्कॉर्ट गाड़ी में कई किलोमीटर घूमती रही. ये सरकारी पैसे की बर्बादी ही नहीं थी, बल्कि सुरक्षा में भी बड़ी चूक थी, लेकिन सरकार ने उस आईपीएस पर कोई कार्रवाई नहीं की. आज उन्हें प्रदेशभर से कर्मचारियों के फोन आ रहे हैं और सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे हैं. आज आउटसोर्स पर भर्तियां कर लोगों का शोषण हो रहा है. आउटसोर्स भर्तियां बंद होनी चाहिए. प्रदेश सरकार आउटसोर्स पर लगे लोगों के लिए नीति बनानी चाहिए. मंत्रियों को किसी बात की चिंता नहीं है. ये प्रदेश को लूटने में लगे हैं. इन्हें गाड़ियां, आलीशान ऑफिस चाहिए. सीएम सुक्खू के एक मंत्री के पास दो-दो सरकारी आवास हैं. नोटिस के बाद भी मंत्री घर खाली नहीं कर रहे हैं.'
'राजेश धर्माणी मंत्री बनने लायक नहीं'
कर्मचारी नेताओं ने कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी को निशाने पर लेते हुए कहा कि, 'वो मंत्री बनने के लायक ही नहीं थे. सीएम सुक्खू भी जानते थे कि वो मंत्री बनने के लायक नहीं है, लेकिन उनकी पता नहीं क्या मजबूरी थी. उन्होंने न जाने कैसे-कैसे लोगों को मंत्री बनाया है. आज उन्हें महसूस हो रहा है कि उनके मंत्रियों ने सरकार की क्या हालत कर दी है. राजेश धर्माणी फिजूलखर्ची की बात कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश के मंत्री अपने ऑफिस की रेनेवेशन के लिए 50-50 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं.'
'10 सितंबर के बाद दिखाएंगे फिल्म'
हिमाचल प्रदेश सचिवालय परिसंघ के चेयरमैन संजीव शर्मा ने कहा कि, 'सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक डीए की किस्त दो माह के अंदर मिल जाना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार ने 20 महीने बाद भी डीए जारी नहीं किया है. कोर्ट ये भी आदेश दे चुका है कि एरियर को छह प्रतिशत ब्याज के साथ देना पड़ेगा, लेकिन सरकार कह रही है कि पैसे नहीं है तो फिर नेताओं पर फिजूलखर्ची कैसे हो रही है. सचिवालय कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया तो आपको परेशानी हो जाएगी. सचिवालय कर्मचारी अब काले बिल्ले लगाकर विरोध जताएंगे, लेकिन अगर मंगलवार तक सरकार ने वार्ता के लिए नहीं बुलाया तो अब ट्रेलर के बाद 10 सितंबर से पूरी फिल्म दिखा देंगे.'