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चारधाम, मॉनसून और कांवड़ यात्रा में SDRF बना 'सारथी', 'यमराज' से लड़कर बचा रहे 'जिंदगी' - Big Role of Uttarakhand SDRF

Big Role of Uttarakhand SDRF उत्तराखंड सरकार के सामने इन दिनों तीन बड़ी चुनौतियां हैं. पहली उत्तराखंड चारधाम यात्रा का सफल संचालन करना, दूसरा मॉनसून सीजन के दौरान के आपदा जैसे हालात से लड़ना और कांवड़ यात्रा के तहत कांवड़ियों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना. इसके लिए उत्तराखंड एसडीआरएफ बड़ी भूमिका निभा रहा है.

Big Role of Uttarakhand SDRF
चारधाम, मॉनसून और कांवड़ यात्रा में SDRF बना 'सारथी' (PHOTO- ETV Bharat Graphics)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 28, 2024, 3:57 PM IST

Updated : Jul 28, 2024, 5:54 PM IST

चारधाम, मॉनसून और कांवड़ यात्रा में SDRF बना 'सारथी' (PHOTO- ETV Bharat)

देहरादूनः मॉनसून सीजन के चलते भले ही चारधाम यात्रा की रफ्तार धीमी पड़ गई हो. लेकिन अभी भी रोजाना करीब 9 से 10 हजार श्रद्धालु धामों के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में यात्रा सुचारू रूप से संचालित हो, इसके लिए तमाम व्यवस्थाएं की जाती है. साथ ही भारी भरकम मैनपावर का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही मॉनसून सीजन के दौरान आने वाली आपदा के चलते हर साल भारी भरकम नुकसान होता है. जिसके चलते आपदा सीजन के दौरान राहत बचाव कार्यों समेत अन्य व्यवस्थाओं के लिए काफी अधिक मैनपावर की जरूरत होती है. हालांकि, राहत बचाव कार्यों में एसडीआरएफ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन मौजूदा समय में एसडीआरएफ के पास मात्र 40 टीमें ही है, जो प्रदेश भर में काम कर रही है.

उत्तराखंड में एसडीआरएफ निभा रही बड़ी भूमिका (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

कांवड़ में SDRF की बड़ी भूमिका: 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. कांवड़ यात्रा के दौरान हर साल करोड़ों की संख्या में कांवड़िए देश के तमाम राज्यों से गंगा जल लेने हरिद्वार आते हैं. कांवड़ यात्रा के इन 12 दिनों के भीतर रोजाना लाखों की संख्या में आने वाले कांवड़िए शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से गंगा जल भरकर अपने गंतव्य को रवाना हो सकें, इसकी व्यवस्था के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती करने के साथ ही तमाम व्यवस्थाओं को मुकम्मल करना पड़ता है. साथ ही कई बार कांवड़ियों के बहने की भी सूचनाएं प्राप्त होती है. जिसके मद्देनजर एसडीआरएफ की टीमें भी तैनात की जाती है. लेकिन पर्याप्त टीमें न होने के चलते कई बार राहत बचाव कार्यों में देरी हो जाती है.

प्रदेश में 400 जवानों के साथ 40 टीमें तैनात (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

आपदा के घीरे रहते हैं पर्वतीय क्षेत्र: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र आपदा के लिए काफी संवेदनशील माने गए हैं. जिसे चलते तत्काल राहत बचाव कार्यों के लिए सरकार की ओर से एसडीआरएफ टीमें तैनात की जाती है. लेकिन वर्तमान समय में आपदा के साथ ही चारधाम यात्रा और कांवड़ यात्रा भी संचालित हो रही है. लिहाजा, एसडीआरएफ टीमें कम होने की वजह से कई बार आपदा जैसी घटनाओं में तत्काल राहत बचाव कार्य संभव नहीं हो पता है. हालांकि, इन बड़ी चुनौतियों के बीच मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, एसडीआरएफ टीमों को उन संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया जा रहा है, जहां आपदा आने की संभावना है.

मॉनसून सीजन, कांवड़, चारधाम यात्रा में SDRF को बड़ी जिम्मेदारी (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

SDRF को मिले 225 होमगार्ड जवान:वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए एसडीआरएफ के सेनानायक मणिकांत मिश्रा ने बताया कि उत्तराखंड डीजीपी की ओर से होमगार्ड के करीब 225 जवान एसडीआरएफ को सौंपे गए हैं. जिसके चलते एसडीआरएफ के जवानों की संख्या बढ़ गई है. ऐसे में प्रदेश के तमाम हिस्सों में होमगार्ड जवानों के साथ ही एसडीआरएफ की टीम भी तैनात की गई है. ताकि किसी भी आपदा के दौरान राहत बचाव कार्यों को किया जा सके. कांवड़ यात्रा के मद्देनजर एक अलग से फ्लड रेस्क्यू टीम तैनात की गई है. वर्तमान समय में हरिद्वार जिले में चार, पौड़ी गढ़वाल में एक और मुनि की रेती में एक एसडीआरएफ की टीम तैनात की गई है.

यात्रियों की सुरक्षा करते हुए 'जिंदगी' दे रही SDRF (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

प्रदेश में SDRF की 40 टीमें: मणिकांत मिश्रा ने बताया कि पिछले तीन दिन भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया था. जिसको देखते हुए एसडीआरएफ की टीम को तैनात किया गया था. साथ ही जिन-जिन जिलों में अलर्ट था, उन जगहों पर एसडीआरएफ की टीम के साथ ही एक्स्ट्रा फोर्स की भी तैनाती की गई थी. ताकि तत्काल राहत बचाव के कार्य किए जा सके. इसके अलावा एसडीआरएफ की कुछ रिजर्व टीमें भी हैं जो किसी भी समस्या से निपटने के लिए तैयार रहती है. मणिकांत मिश्रा के अनुसार, प्रदेश भर में एसडीआरएफ की कुल 40 टीमें हैं जिसमें 400 जवान हैं.

आपदा क्षेत्रों में तैनाती: आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन का कहना है कि आपदा के मद्देनजर जहां पर जितनी मैनपावर की जरूरत है, उस अनुसार तैनात किया गया है. चारधाम यात्रा सुचारू रूप से चल रही है. हालांकि, जब बरसात होती है, तो सड़कों पर मलबा आ जाता है. जिससे यातायात बाधित हो जाता है. लेकिन जो भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र है, उन जगहों पर जेसीबी और मैनपावर की तैनाती की गई है.

कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों को बचा रही SDRF (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

मुख्यालय में स्टैंड बाय में रहती हैं टीमें: आपदा सचिव ने कहा कि आपदा के दौरान जिन भी क्षेत्रों में एसडीआरएफ या एनडीआरएफ की जरूरत होती है, उन क्षेत्रों में पहले से ही ये टीम तैनात रहती हैं. इसके साथ ही कुछ टीमों को रिजर्व में मुख्यालय में रखा जाता है. जहां भी और अधिक एसडीआरएफ की जरूरत होती है, उन जगहों पर त्वरित गति से टीमों को रवाना किया जाता है. हाल ही में उधमसिंह नगर के लिए एसडीआरएफ की जरूरत हुई तो देहरादून से टीम को रवाना किया गया था. ऐसे में जहां भी टीम तैनात है, उनको उस क्षेत्र के आसपास की जिम्मेदारी दी जाती है. अगर वहां पर अतरिक्त एसडीआरएफ की जरूरत होती है तो मुख्यालय से टीमें भेजी जाती है.

SDRF जवानों के मुकाबले सक्षम नहीं होमगार्ड जवान: उत्तराखंड की तीन बड़ी चुनौतियां चारधाम यात्रा, आपदा और कांवड़ यात्रा को देखते हुए भले ही सरकार ने एसडीआरएफ को 225 होमगार्ड के जवान दे दिए हो, लेकिन किसी भी आपदा के दौरान राहत बचाव कार्यों में एसडीआरएफ जवानों की तरह ही होमगार्ड उतने सक्षम नहीं होंगे. क्योंकि एसडीआरएफ के जवानों को उस तरह की ही ट्रेनिंग दी जाती है. ताकि वह आसानी से किसी भी आपदा से लड़ सकें और राहत बचाव के कार्य कर सके.

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Last Updated : Jul 28, 2024, 5:54 PM IST

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