देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा में सबसे अधिक चर्चा केदारनाथ की होती है, लेकिन ये कम लोग जानते हैं कि कठिन चढ़ाई और बर्फबारी के बीच एक और यात्रा है जो भले ही अधिक चर्चा में ना रहे लेकिन भक्तों की भारी भीड़ इस धाम में भी खूब उमड़ती है. हम बात कर रहे हैं हेमकुंड साहिब धाम की, चारों तरफ बर्फबारी और ग्लेशियर के रास्तों से गुरुद्वारे तक जाते भक्तों को इस धाम का रोमांच भी अलग ही आकर्षित करता है. इस साल 25 मई से शुरू हुई हेमकुंड साहिब यात्रा सकुशल जारी है. सिखों के इस पवित्र धाम की यात्रा के दौरान भक्तों के लिए सबसे अधिक कारगर साबित होती है राज्य की एसडीआरएफ, जो भक्तों को सहारा देकर धाम तक पहुंचा रही है.
हेमकुंड साहिब का सबसे कठिन रास्ता अटल कोटि के पास स्थित ग्लेशियर से शुरू होता है. यहां रास्ता नहीं बर्फ पर चलना होता है. इस ग्लेशियर की चौड़ाई काफी अधिक है और लंबाई लगभग 150 से 200 मीटर के बीच है. ये रास्ता आम श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी चुनौती है. इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी और ग्लेशियर के कारण रास्ता और भी कठिन एवं दुर्गम हो जाता है, जिससे श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
इस दुर्गम यात्रा को सुगम बनाने के लिए एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) की टीम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. ग्लेशियर के इस खतरनाक हिस्से पर एसडीआरएफ की दो सब टीमें नियुक्त की गई हैं. एक टीम घांघरिया बेस कैंप और दूसरी टीम हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा से प्रतिदिन ड्यूटी के लिए अटल कोटी ग्लेशियर पहुंचती है, जो दिन के अंतिम श्रद्धालु को भी सुरक्षित रूप से ग्लेशियर पार कराने तक मोर्चे पर डटी रहती है.
एसडीआरएफ जवान एक-एक श्रद्धालु को अपने सुरक्षा घेरे में ग्लेशियर पार कराते हैं, ताकि कोई भी अप्रिय घटना न हो. पिछले 25 मई से आरम्भ श्री हेमकुंड साहिब यात्रा में अब तक एसडीआरएफ की टीम ने करीब 55,333 श्रद्धालुओं को सफलतापूर्वक ग्लेशियर पार कराकर उनकी यात्रा को सफल बनाया है. अब तक करीब 5,000 से अधिक श्रद्धालुओं को प्राथमिक चिकित्सा भी एसडीआरएफ जवानों के द्वारा दी गई है.