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सरस्वती पूजा के लिए मूर्तिकार कर रहे कड़ी मेहनत, मिट्टी से मूर्ति बनाकर दे रहे पॉलुशन फ्री का संदेश

Saraswati Puja छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में विद्या की देवी सरस्वती की आराधना की जाती है.बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती की आराधना होती है.इस बार 14 फरवरी के दिन देवी सरस्वती की पूजा होगी. रामानुजगंज में सरस्वती पूजा के लिए मूर्तिकार तैयारियों में जुटे हैं.Sculptors work hard

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 10, 2024, 2:49 PM IST

Updated : Feb 10, 2024, 5:38 PM IST

Saraswati Puja
सरस्वती पूजा के लिए मूर्तिकार कर रहे कड़ी मेहनत

सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति बनाने का काम

बलरामपुर :रामानुजगंज में सरस्वती पूजा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. मूर्तिकार विद्या की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. इस बार 14 फरवरी को बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का त्यौहार मनाया जाएगा.जिसके लिए मूर्तिकार पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस के बजाए मिट्टी से देवी सरस्वती की मूर्ति तैयार कर रहे हैं.

बाजार में हर तरह की मूर्ति :रामानुजगंज के केरवाशीला गांव में रहने वाले मूर्तिकार मां सरस्वती की छोटी-बड़ी सभी तरह की मूर्तियां बना रहे हैं. मूर्तियों की कीमत एक हजार से लेकर बीस हजार रुपए तक है. मूर्तियों के आकार और डिजाइन के मुताबिक मूर्तिकारों ने दाम तय किए हैं.मूर्तिकारों की माने तो इस वर्ष अच्छी आमदनी होगी.


हिंदू त्यौहारों के लिए तैयार करते हैं मूर्तियां :रामानुजगंज और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए मूर्तिकार रहते हैं. जो बंगाल के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आकर बसे हैं.जिनकी पीढ़ियां आज भी मूर्तियां बनाकर बेचने का व्यवसाय कर रही हैं. मूर्तिकारों का जीवन इसी से चलता है. मूर्तियां बेचकर मूर्तिकार परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. मूर्तिकारों की माने तो वे दुर्गा पूजा, गणेश पूजा, काली पूजा के दौरान भी बड़ी संख्या में मूर्ति बनाते हैं.

''हमने बचपन से ही मूर्तिकला का काम सीखा है. मूर्तियों को बेचकर हमारे परिवार का गुजारा होत है. मूर्तियों को बनाने में विशेष रूप से गंगा मिट्टी, लकड़ी पुआल, सुतली, बांस, कांटी लगता है. अपने परिवार के नाती-पोते को भी यह काम सीखा रहे हैं. सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाकर बेचते हैं. मैंने यह काम अपने पिता से सीखा था.'' दिलीप सरकार, मूर्तिकार

ऑर्डर के हिसाब से तैयार की जाती है मूर्ति :रामानुजगंज में मूर्तिकारों से लोग कई तरह की फरमाईशी प्रतिमाएं भी बनवाते हैं.फोटो और डिजाइन लाकर देने पर मूर्तिकार बड़ी ही मेहनत से मांगी गई कारीगरी को मूर्ति में डालते हैं.कई बार लोग अलग तरह की नई डिजाइन की मूर्ति मांगते हैं.जिन्हें बनाने में दोगुनी मेहनत लगती है.फिर भी मूर्तिकार इसे भगवान की मर्जी मानकर बड़े ही आनंद से इस काम को करते हैं.

हमारे परिवार में सभी लोग मूर्तियां बनाने का काम करते हैं. मैं भी ये काम सीख रही हूं. अभी हम सरस्वती पूजा के लिए मूर्तियां बना रहे हैं. फोटो या फिर डिजाइन के आधार पर मूर्तियां बना रहे हैं.लेकिन पता नहीं कितनी मूर्तियां बिकेंगी. छोटी-बड़ी सभी तरह की मूर्तियां बना रहे हैं.'' निशा सील, महिला मूर्तिकार

प्लास्टर ऑफ पेरिस को NO :मूर्तिकार प्लास्टर ऑफ पेरिस की जगह मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं. मूर्तिकारों का मानना है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां जल्दी और कम लागत में बनती हैं.लेकि इसके लिए पर्यावरण को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है.इसलिए मूर्तिकारों ने सिर्फ मिट्टी से ही मूर्ति बनाने का फैसला किया है.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के माध्यम से मूर्तिकारों को मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. मूर्ति बनाने के लिए तालाब के किनारे मिलने वाली चिकनी मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी से बनी हुई मूर्तियों के विसर्जन से किसी तरह का प्रदूषण भी नहीं होता.

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Last Updated : Feb 10, 2024, 5:38 PM IST

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