मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर:आमाखेरवा इलाके में हसदेव नदी के किनारे पर 28 करोड़ साल पुराने गोंडवाना मैरीन फॉसिल्स पार्क के अवशेष पाए गए थे. अब इस गोंडवाना मैरीन फॉसिल्स पार्क को संरक्षित और बायोडायवर्सटी हैरिटेज साइट बनाकर उसके विकास में साइंटिस्टों का एक दल जुट गया है. छत्तीसगढ़ का यह पहला फॉसिल्स हैरिटेज अब वैज्ञानिकों की देखरेख में संवरने भी लगा है. इसके साथ ही पार्क की तस्वीर भी तेजी से बदलने लगी है. बड़ी संख्या में अब यहां सैलानी और पर्यटक यहां आकर जीवों की उत्पत्ति और उनके विकास की कहानी को सुन और देख रहे हैं.
28 करोड़ साल पुराने गोंडवाना मैरीन फॉसिल्स पार्क को संवारने की तैयारी, वैज्ञानिकों से संभाला मोर्चा - Gondwana Marine Fossils Park
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Jun 9, 2024, 2:16 PM IST
आमाखेरवा में हसदेव नदी के किनारे 28 करोड़ साल पुराने गोंडवाना मैरीन फॉसिल्स पार्क को संरक्षित करने का काम शुरु हो चुका है. खुद वैज्ञानिकों की टीम अब इस काम में जुट गई है.
28 करोड़ साल पुराना गोंडवाना मैरीन फॉसिल्स पार्क: जियोलॉजिकल सर्वें ऑफ इंडिया कोलकाता के अलावा वीरबल साहनी इंस्टीट्यूट लखनऊ की टीम भी फॉसिल्स पार्क का अध्ययन और जायजा लेेन पहुंच चुकी है. टीम ने गोंड़वाना मैरीन फॉसिल्स पार्क को विकसित करने का सुझाव दिया था. इसके साथ ही एक किलोमीटर के एरिया को घेरकर इसे संरक्षित करने की बात कही थी. आमाखेरवा में मिले 28 करोड़ साल पुराने गोंडवाना मैरीन फॉसिल्स पार्क को प्रदेश का पहला समुद्री जीवाश्म पार्क कहा जा रहा है.
खोज में मिले थे जीवाश्मों के होने के सबूत:साल 2010 में हसदेव नदी के तट पर समुद्री जीवों के जीवाश्म पाए गए थे. बाद में एक्सपर्ट की टीम ने करोड़ों साल पुराने समुद्री जीवाश्मों के होेन की पुष्टि आमाखेरवा में की थी. साथ ही पूरे क्षेत्र को जियो हैरिटेज सेंटर के रूप में विकसित करने की सलाह दी. मनेंद्रगढ़ के फॉसिल्स को गोंडवाना मैरीन फासिल्स पार्क का नाम भी दिया गया. अब इसे संवारने और संरक्षित करने के लिए 8 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया है. फिलहाल फॉरेस्ट विभाग की देखरेख में फॉसिल्स पार्क को संवारने और विकसित करने का काम किया जा रहा है.