दुर्ग/बेमेतरा: छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने विदेशी धरती पर छत्तीसगढ़िया रंग और अंदाज को रौशन किया है. बेमेतरा में नवागढ़ के जूनाडाडू गांव के पुनदास जोशी ने पंथी दल परिवार के साथ यह कमाल किया है. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर मिस्र में इतिहास रच दिया. वे अपनी टीम के साथ सुआ, कर्मा, राउत नाचा, डंडा नृत्य और गौरी गौरा की प्रस्तुति की है.
छत्तीसगढ़ी संस्कृति की मिस्र में दिखाई झलक: पुनदास जोशी ने संस्कृति परंपरा की झलक मिस्र में दिखाई है. 13 से 24 फरवरी तक इजिप्ट मिस्र देश में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय कल्चर फेस्टिवल कार्यक्रम के लिए भारत को भी आमंत्रण मिला था. जिसमें शामिल होकर छत्तीसगढ़ के दल ने भारत देश का नाम रोशन किया है.
मिस्र में अंतर्राष्ट्रीय कल्चरल फेस्टिवल: मिस्र में अंतरराष्ट्रीय कल्चर फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. यह 13 से 24 फरवरी तक आयोजित किया गया है. इसमें 17 देशों के कलाकार शामिल हुए हैं. इन कलाकारों में भारत की टीम में छत्तीसगढ़ के भी कलाकार हैं. जिनकी अगुवाई पुनदास जोशी कर रहे हैं. इससे पहले भी पुनदास जोशी छत्तीसगढ़ में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं.

नील नदी पर फहराया तिरंगा: इस आयोजन में कलाकारों ने नील नदी में तिरंगा फहराया. यह दृश्य गर्व और सांस्कृतिक विरासत के प्रति प्रेम का प्रतीक बन गया. इस प्रतिष्ठित आयोजन में 17 देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया, लेकिन छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की प्रस्तुति सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनी. पंथी नृत्य की धमक और अंदाज ने सबका दिल जीत लिया. दर्शक यह नृत्य देखकर मंत्र मुग्ध हो गए.

बस्तर के गोटुल नृत्य को भी किया पेश: कलाकारों ने बस्तर के गोटुल नृत्य को भी पेश किया. गोटुल नृत्य की विशिष्ट शैली और सामूहिक भाव ने वैश्विक दर्शकों को प्रभावित किया.कर्मा, सुवा, भोजली, गौरा-गौरी जैसे पारंपरिक नृत्य भारत की सांस्कृतिक भव्यता को प्रदर्शित करने में सफल रहे. जैसे ही डांस कलाकारों ने ने डांस और मूव्स दिखाए. विभिन्न देशों से आए लोग उस पर झूमने लगे. यह मौका भारतीय लोक संस्कृति की शक्ति और प्रभावशीलता को दर्शाने का अवसर था. जिसे कलाकारों ने शानदार तरीके से पेश किया.

रायपुर कृषि विश्वविद्यालय के छात्र भी रहे मौजूद: इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के छात्र और पूर्व छात्र कर रहे थे, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला प्रस्तुत करने का विशेष आमंत्रण मिला. उनके शानदार डांस के प्रदर्शन से सब लोग छत्तीसगढ़ की परंपरा और लोक नृत्य से प्रभावित हुए. कलाकारों ने इसके जरिए छत्तीसगढ़ की लोककला को एक ऊंचाई दी. छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने अपनी नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति की जीवंतता और उत्सवधर्मिता को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया। यह उनके लिए न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि देश के लिए भी गर्व का विषय था.इस ऐतिहासिक क्षण में, जब छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में नील नदी के जल पर भारतीय तिरंगा फहराया, तो यह दृश्य सभी के लिए गौरवशाली बना.

सांस्कृतिक दल मे कितने कलाकार थे शामिल?: छत्तीसगढ़ से जो सांस्कृतिक दल गया है. उसमें भारत और छत्तीसगढ़ की अगुवाई करने वाले कलाकारों में पुनदास जोशी शामिल हैं. इसके अलावा डॉ हरेन्द्र टोन्डे, मनोज केशकर, रामा बंजारे, अलका मिंज, मुस्कान, आकांक्षा वर्मा और आकांक्षा केसरवानी इस टीम की शोभा बढ़ाने का काम कर रहे हैं. कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ के इन कलाकारों ने विदेशी सरजमीं पर भारत का नाम रौशन किया है. छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया को साबित किया है.