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अब राजस्थान के स्कूली छात्रों को पढ़ाया जाएगा महाराणा प्रताप, शिवाजी और वीर सावरकर का पाठ!

Madan Dilawar statement on changes in the curriculum of Rajasthan, राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नए शैक्षणिक सत्र में पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए महाराणा प्रताप, शिवाजी और वीर सावरकर को पढ़ाए जाने की ओर इशारा किया है. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर को अंग्रेजों का जासूस व पिट्ठू बताने वाले सावरकर का ही नहीं, बल्कि देश का अपमान कर रहे हैं.

Madan Dilawar big statemen
Madan Dilawar big statemen

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 9, 2024, 10:05 PM IST

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर

जयपुर.प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नए शैक्षणिक सत्र में पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए महाराणा प्रताप, शिवाजी और वीर सावरकर को पढ़ाए जाने की ओर इशारा किया है. साथ ही कहा कि वीर सावरकर को अंग्रेजों का जासूस और पिट्ठू बताने वाले सावरकर का ही नहीं, बल्कि देश का अपमान कर रहे, ऐसा कहने वाले लोग कभी देशभक्त नहीं हो सकते हैं. बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को देश को नया संसद भवन समर्पित किया था. उस वक्त विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था, जिसका एक कारण 28 मई यानी सावरकर जयंती का दिन होना भी था. हालांकि, खुद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सावरकर को देश का महान सपूत बताया था और ये पत्र आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है, लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता सावरकर को अंग्रेजों का पिट्ठू बताते हैं. ऐसे नेताओं को देश का अपमान करने वाला बताते हुए प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नए पाठ्यक्रम में वीर सावरकर को पढ़ाए जाने की ओर इशारा किया है.

दिलावर ने कहा कि महाक्रांतिकारी वीर सावरकर को अंग्रेजों ने दो आजीवन कारावास की सजा दी. 40 साल तक वो जेल की काल कोठरी में रहे, जिन्होंने कोहलू चलाया और पीछे से चाबुक खाए. काला पानी की सजा भोगी. उनके बारे में कुछ कांग्रेस के लोग ये कहते हैं कि वो अंग्रेजों के पिट्ठू थे और उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी, उन्हें जासूस बताते हैं. यह कहना वीर सावरकर का बहुत बड़ा अपमान है. वीर सावरकर का ही नहीं, बल्कि देश का अपमान है. ये कहने वाले लोग कभी देशभक्त नहीं हो सकते हैं.

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उन्होंने बताया कि अब हम एक कमेटी बना रहे हैं, जो पाठ्य पुस्तकों में पाठ्य सामग्री का अध्ययन करेगी. अध्ययन करने के बाद जो उचित सुझाव देंगे, उनकी सरकार के स्तर पर समीक्षा करेंगे, जो अनुचित और गलत होगा, उसे हटाएंगे और जो सही होगा उसे जोड़ने का प्रयास करेंगे. हालांकि, उन्होंने कहा कि सही जोड़ने के लिए पाठ्य पुस्तक इतनी बड़ी न हो कि बच्चों को बोझ लगे, इसलिए एक सीमा में जोड़ेंगे, क्योंकि हमारा सौभाग्य है कि हमारे देश में बहुत बड़े-बड़े क्रांतिकारी हुए हैं. उनकी शृंखला लंबी है. सबको एक साथ पढ़ाया जाना संभव नहीं होता है, लेकिन कोशिश करेंगे कि जिन्होंने बहुत बड़ी त्याग और तपस्या की है, उनके जीवन से विद्यार्थियों को जरूर अवगत कराया जाए.

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शिक्षा मंत्री ने कहा कि यदि वो किसी भी महापुरुष को छोटा या बड़ा बताएंगे तो ये ज्यादती होगी. ये बताना उचित भी नहीं है. फिर भी जो प्रचलित है, जैसे महाराणा प्रताप और शिवाजी इनको छात्रों को जरूर पढ़ना चाहिए. यदि पाठ्य पुस्तक में न भी हो तो भी बच्चों को किसी न किसी माध्यम से इनकी जानकारी देनी चाहिए.

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