पानीपत: देशभर में आज सावन की शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2024) का पर्व मनाया जा रहा है. ये दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इस दिन कांवड़िए गंगा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का दिन होता है. इस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. क्या आपको पता है कि भगवान शिव को जल अर्पित करने की विधि क्या है? शायद बहुत ही कम लोगों को इसके बारे में पता है. इस खबर में जानें क्या है भगवान शिव को जल अर्पित करने की सही विधि?
क्या है शिवलिंग पर जलाभिषेक की सही विधि? पानीपत के प्रसिद्ध देवी मंदिर के पंडित लालमणि पांडे ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि पहले शिवलिंग के दाएं और जल अर्पित करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार वहां गणेश जी विराजमान हैं. इसके बाद शिवलिंग के बाईं तरफ जल अर्पित करना चाहिए, क्योंकि वहां भगवान के शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय विराजमान हैं. कार्तिकेय को जल अर्पित करने के बाद बीच में जल अर्पित (offering water to Shivling) करना चाहिए, क्योंकि वहां भगवान शिव की बेटी अशोक सुंदरी का स्थान है.
भगवान शिव का जलाभिषेक: तीनों जगह पर जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग के चारों ओर गोलाकार जगह को बाएं हाथ की चार उंगलियों से साफ करें और गोलाकार रूप में जल अर्पित करें. शास्त्रों के अनुसार इस जगह मां पार्वती के हस्त कमल हैं, क्योंकि माता पार्वती के हाथों में ही शिवलिंग विराजमान हैं. हस्त कमल पर जल अर्पित करने के पश्चात शिवलिंग पर जल अर्पित करें. माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे.