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Devuthni Ekadashi 2024 : देवउठनी एकादशी कब है, जानिए सही तारीख और पूजा की पूरी विधि

Devuthni Ekadashi 2024 : देव उठनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. जानिए देवउठनी एकादशी की सही तारीख, समय और पूजा विधि.

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देवउठनी एकादशी 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 9, 2024, 10:48 PM IST

Devuthni Ekadashi 2024 : हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी खास महत्व रखता है. इसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. इसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी की तिथि क्या है और इसका महत्व क्या है.

कब है देवउठनी एकादशी 2024 ? : पंचाग के मुताबिक देवउठनी एकादशी इस बार 11 नवंबर को शाम 6.46 मिनट से लेकर 12 नवंबर शाम 4.04 बजे तक रहेगी. ऐसे में 12 नवंबर को उदय तिथि होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन यानि 12 नवंबर को ही रखा जाएगा. वहीं पारण 13 नवंबर को सुबह सवेरे 6 बजे के बाद होगा.

देवउठनी एकादशी 2024 का मुहूर्त : देवउठनी एकादशी इस बार 12 नवंबर को हैं, ऐसे में आप भगवान विष्णु की पूजा सुबह 6.42 मिनट से कर सकते हैं. सुबह 7.52 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा जिसमें अगर आप पूजा करेंगे तो और भी ज्यादा फलदायी रहेगा. देवउठनी एकादशी का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4.56 मिनटेसे 5.49 मिनट तक है. वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.44 मिनट से दोपहर 12.27 मिनट तक रहेगा.

देवउठनी एकादशी पर पूजा विधि : देवउठनी एकादशी यानि 12 नवंबर के दिन आपको ब्रह्ममुहूर्त पर सुबह उठकर नहाने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए. फिर आप अपने पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कते हुए पवित्र कर लें. फिर आप भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत करने का संकल्प कर लें. इसके बाद आप अपने घर के आंगन या पूजा स्थल के बाहर भगवान के चरणों की आकृति बना लें. फिर भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा पर आप फूल, फल, गन्ना, सिंघाड़ा और आंवला अर्पित करें. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है. ऐसे में आप पेड़े या खीर का भोग लगा सकते हैं. इसके बाद आप भगवान की पूजा करें और "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का जाप जरूर करें और फिर आरती गाते हुए पूजा को संपन्न कर लें.

देवउठनी एकादशी का महत्व : माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने बाद निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभलते हैं. ऐसे में इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ व्रत का भी विधान है. इस विशेष दिन से विवाह, सगाई, गृह प्रवेश समेत सारे शुभ और मांगलिक काम शुरू हो जाते हैं. वहीं माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने वाले भक्तों को नारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा देवउठनी एकादशी व्रत को करने से सभी पापों से छुटकारा भी मिलता है.

देवउठनी एकादशी पर किन बातों का ख्याल रखें :

  1. ध्यान रखें कि इस दिन सात्विक भोजन करें और मांस-मदिरा से दूरी बनाए रखें.
  2. माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  3. देवउठनी एकादशी के दिन किसी की बुराई ना करें, ऐसा करने पर मां लक्ष्मी नाराज़ हो जाती हैं.
  4. देवउठनी एकादशी पर शालीग्राम और तुलसी विवाह भी होता है, ऐसे में तुलसी के पत्ते ना तोड़े.

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Devuthni Ekadashi 2024 : हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी खास महत्व रखता है. इसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. इसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी की तिथि क्या है और इसका महत्व क्या है.

कब है देवउठनी एकादशी 2024 ? : पंचाग के मुताबिक देवउठनी एकादशी इस बार 11 नवंबर को शाम 6.46 मिनट से लेकर 12 नवंबर शाम 4.04 बजे तक रहेगी. ऐसे में 12 नवंबर को उदय तिथि होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन यानि 12 नवंबर को ही रखा जाएगा. वहीं पारण 13 नवंबर को सुबह सवेरे 6 बजे के बाद होगा.

देवउठनी एकादशी 2024 का मुहूर्त : देवउठनी एकादशी इस बार 12 नवंबर को हैं, ऐसे में आप भगवान विष्णु की पूजा सुबह 6.42 मिनट से कर सकते हैं. सुबह 7.52 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा जिसमें अगर आप पूजा करेंगे तो और भी ज्यादा फलदायी रहेगा. देवउठनी एकादशी का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4.56 मिनटेसे 5.49 मिनट तक है. वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.44 मिनट से दोपहर 12.27 मिनट तक रहेगा.

देवउठनी एकादशी पर पूजा विधि : देवउठनी एकादशी यानि 12 नवंबर के दिन आपको ब्रह्ममुहूर्त पर सुबह उठकर नहाने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए. फिर आप अपने पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कते हुए पवित्र कर लें. फिर आप भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत करने का संकल्प कर लें. इसके बाद आप अपने घर के आंगन या पूजा स्थल के बाहर भगवान के चरणों की आकृति बना लें. फिर भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा पर आप फूल, फल, गन्ना, सिंघाड़ा और आंवला अर्पित करें. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है. ऐसे में आप पेड़े या खीर का भोग लगा सकते हैं. इसके बाद आप भगवान की पूजा करें और "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का जाप जरूर करें और फिर आरती गाते हुए पूजा को संपन्न कर लें.

देवउठनी एकादशी का महत्व : माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने बाद निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभलते हैं. ऐसे में इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ व्रत का भी विधान है. इस विशेष दिन से विवाह, सगाई, गृह प्रवेश समेत सारे शुभ और मांगलिक काम शुरू हो जाते हैं. वहीं माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने वाले भक्तों को नारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा देवउठनी एकादशी व्रत को करने से सभी पापों से छुटकारा भी मिलता है.

देवउठनी एकादशी पर किन बातों का ख्याल रखें :

  1. ध्यान रखें कि इस दिन सात्विक भोजन करें और मांस-मदिरा से दूरी बनाए रखें.
  2. माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  3. देवउठनी एकादशी के दिन किसी की बुराई ना करें, ऐसा करने पर मां लक्ष्मी नाराज़ हो जाती हैं.
  4. देवउठनी एकादशी पर शालीग्राम और तुलसी विवाह भी होता है, ऐसे में तुलसी के पत्ते ना तोड़े.

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