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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 5 hours ago

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सर्वपितृ अमावस्या: बुधवार को श्राद्ध पक्ष का है अंतिम दिन, भारत में नहीं सूर्य ग्रहण का असर - Pitra Paksha Amavasya 2024

PITRA PAKSHA AMAVASYA श्राद्ध पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या का बड़ा महत्व है. अपने पितरों की शांति व पितृ दोष निवारण के लिए श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है. साथ ही हवन, पूजन, तर्पण व ब्राह्मण को भोजन करवाया जाता है.

भारत में नहीं सूर्य ग्रहण का असर
भारत में नहीं सूर्य ग्रहण का असर (फाइल फोटो)

बीकानेर.श्राद्ध पक्ष की अमावस्या बुधवार को है हालांकि, इस दिन सूर्य ग्रहण को लेकर भी लोगों में भ्रांतियां है, लेकिन सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए इसका कोई असर नहीं होगा. ऐसे में पितृ अमावस्या के सारे कार्य किए जा सकेंगे.

भारत में सूर्य ग्रहण नहीं : पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि 2 अक्टूबर को अश्विन पक्ष कृष्ण अमावस्या मध्य रात्रि में सूर्य ग्रहण होगा. यह ग्रहण दुनिया के दूसरे देशों में दिखाई देगा लेकिन भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं होगा.

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अमावस्या श्राद्ध का महत्व :किराडू कहते हैं कि वैसे तो अपने पूर्वजों का श्राद्ध तिथि पर ही करनी चाहिए, लेकिन यदि किसी को तिथि याद नहीं है तो वो अमावस्या के दिन पितृ शांति के लिए श्राद्ध कर सकता है. श्राद्ध की गणना श्राद्ध पक्ष में आने वाली तिथियां के अनुसार उस प्राणी की मृत्यु तिथि से माना जाता है. यदि किसी परिजन को अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध अमावस्या को किए जाने का शास्त्रों में वर्णन किया गया है. अमावस्या को किया जाने वाला श्राद्ध वैसे तो अमावस्या तिथि के लिए ही है, लेकिन यदि तिथि की जानकारी नहीं है या किसी कारणवश श्राद्ध नहीं कर पाए तो उस स्थिति में इस दिन श्राद्ध का माहात्म्य है.

खीर का भोग ही श्रेष्ठ : किराडू कहते हैं कि अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि को ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए और श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए भोजन में खीर बनाना सबसे महत्वपूर्ण है. खीर यानी पायस का भोग देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना गया है. किराडू कहते हैं कि शास्त्र में श्राद्ध पक्ष के दिन पूर्वजों के निमित्त केवल एक ब्राह्मण को ही भोजन कराने की बात कही गई है और इससे ज्यादा आयोजन का शास्त्र में कोई वर्णन नहीं है.

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हवन-तर्पण : किराडू कहते हैं कि शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष के दिन हवन, पूजन और तर्पण कराने से व्यक्ति श्रेयस्कर होता है. ब्रह्मकाल में ही सूर्योदय के साथ तर्पण करना चाहिए. इस दौरान पूर्वजों के निमित्त हवन, पूजन के साथ ही ब्राह्मण को वस्त्र दान का भी विशेष महत्व है.

बेटियां ससुराल में दिवंगत पिता के लिए करती हैं श्राद्ध अश्विन कृष्ण प्रतिपदा के दिन मातामह श्राद्ध (नाना पक्ष) किया जाता है. यह श्राद्ध सुहागन महिला अपने ससुराल में दिवंगत पिता के निमित्त कर सकती है और यदि पुत्री विधवा है तो वो यह श्राद्ध नहीं कर सकती है.

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