शिमला:संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण मामले को लेकर शिमला कमिश्नर कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें स्थानीय लोगों की ओर से मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर कमिश्नर कोर्ट में तर्क पेश किए गए. वहीं, सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी के पक्षकार लतीफ मस्जिद निर्माण से जुड़ा रिकॉर्ड पेश नहीं कर पाए. इसके अलावा वो ये भी नहीं बता पाए की मस्जिद निर्माण के लिए पैसा कहां से आया और किस खाते में पैसा आया ये भी कमेटी के प्रतिनिधि कोर्ट को नहीं बता पाए. ऐसे में अब मस्जिद विवाद में 5 अक्टूबर को अगली सुनवाई तय की गई है.
आज की सुनवाई में शिमला के स्थानीय नागरिकों की ओर से कमिश्नर कोर्ट में आवेदन किया गया कि मस्जिद मामले की सुनवाई में उन्हें भी पार्टी बनाया जाए. वहीं, आयुक्त की अदालत ने निगम के जेई को आदेश दिए कि वो मौके पर निर्माण संबंधी रिपोर्ट तैयार करें. बता दें कि संजौली में मस्जिद के प्रबंधन का काम वक्फ बोर्ड के पास है. वक्फ बोर्ड के वकील आज कोर्ट में मस्जिद के निर्माण से जुड़े रिकॉर्ड पेश नहीं कर पाए और न ही ये साबित कर पाए की मस्जिद में किया गया निर्माण अवैध नहीं है.
मारपीट से शुरू हुआ मामला
गौरतलब है कि 30 अगस्त को शिमला के मल्याणा क्षेत्र में हुआ मारपीट मामला मस्जिद के विवाद तक आ पहुंचा. मल्याणा में कुछ मुस्लिम युवकों द्वारा विक्रम सिंह नामक एक व्यक्ति और कुछ लोगों से मारपीट की गई. आरोपी 6 युवकों में दो नाबालिग भी शामिल थे. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये आरोपी मारपीट करने के बाद संजौली स्थित मस्जिद में जाकर छुप गए थे. इनमें से एक युवक उत्तराखंड का है, जबकि बाकी 5 युवक उत्तर प्रदेश के हैं.
अवैध निर्माण तोड़ने की मांग
जिसके बाद से संजौली में मस्जिद पर विवाद शुरू हो गया. स्थानीय लोगों ने निर्माण को अवैध बताते इसे तोड़ने की मांग की और हिंदू संगठनों ने इसे लेकर प्रदर्शन भी किया. हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी कहा कि बाहर से लोग आकर यहां पर शांति व्यवस्था को भंग कर रहे हैं. अनिरुद्ध सिंह ने सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की पहचान की जानी चाहिए, क्योंकि बांग्लादेश से भी कुछ लोग हिमाचल आ रहे हैं और यहां की कानून व्यवस्था को बिगाड़ रहे हैं.
सरकार की चेतावनी