गोरखपुर : अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल ने कहा है कि आगामी 29 जून को उत्तर प्रदेश में भामाशाह जयंती व्यापारी दिवस के रूप में मनाई जाएगी. प्रदेश की योगी सरकार ने कैबिनेट में इस पर मोहर लगा दी है. यह आयोजन प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय से लेकर छोटे कस्बे तक व्यापारियों द्वारा मनाए जाएंगे. कहा कि पिछले 20 वर्षों से इसकी मांग विभिन्न सरकारों में होती रही है लेकिन, अब जाकर सफलता मिली है. यह व्यापारियों के मान सम्मान को बढ़ाने वाला अवसर है. हम सभी व्यापारियों को ऐसे ही एकजुट होकर अपनी समस्याओं और मांगों के लिए आवाज बुलंद करते रहना होगा. संदीप बंसल सोमवार को गोरखपुर में थे और अपने संगठन की महानगर इकाई को शपथ ग्रहण कराने और समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करने पहुंचे थे.
उन्होंने इस दौरान कहा कि व्यापारियों को एकजुट होने से ही उन्हें सभी सुविधाओं का लाभ और समस्याओं से निदान मिलेगा. कोई भी सरकारी या राजनीतिक दल किसी भी मजबूत और प्रबल जनसंख्या वाले संगठन को नजअंदाज कर नहीं सकता. ऐसे में जब 31 करोड़ व्यापारी जीएसटी में पंजीकृत होकर देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं तो उन्हें अपने हक अधिकार की आवाज उठाने से भी पीछे नहीं रहना चाहिए.
संदीप ने कहा कि संगठन के प्रयासों का फल है कि उत्तर प्रदेश में 29 जून को भामाशाह की जयंती व्यापारी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय योगी सरकार ने लिया है. इसके अलावा कई तरह की अन्य सुविधाएं जो व्यापारियों को प्राप्त हो रही हैं, वह भी अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रयासों का फल है. जिसकी मांग पर पिछले 20 वर्षों में पिछली सरकारों ने गौर नहीं किया, लेकिन योगी सरकार ने उसे अमली जामा पहनाया है. चाहे वह व्यापारी सुरक्षा बीमा हो या अन्य प्रमुख सुविधाएं. कहा कि हमें अपने क्रियाकलापों और संगठन के प्रयासों से इस तरह का माहौल बनाना है, जिससे सरकार और जिले में बैठे हुए अधिकारी, व्यापारियों के प्रति सही नजरिया रखते हुए उनके व्यापार में सहयोग करें. उनका उत्पीड़न न करें. कहा कि आज अयोध्या में जितने बड़े लंगर चल रहे हैं, वह किसी ने किसी बड़े व्यापारी भाई के प्रयासों का फल है. आने वाला कोई भी राम भक्त बिना शुल्क दिए भरपेट भोजन कर रहा है. हमें अपने सामाजिक दायित्वों को समझते हुए अपने अधिकार को बढ़ाना है और सरकार से अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाकर लड़ना पड़े तो लड़ना भी है.