प्रयागराज : गंगा की रेत पर बसाए गए एक अलग नगर में इन दिनों साधु संतों के साथ-साथ हर कोई भक्ति में लीन दिखाई दे रहा है. साधुओं का आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त भी अलग-अलग शिविर में पहुंच रहे हैं, लेकिन एक शिविर ऐसा है जहां भीड़ तो जबरदस्त हो रही है साथ ही साथ आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु घंटों लाइन में लग रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं सेक्टर 16 में लगे किन्नर अखाड़े शिविर की. यहां शिविर में भक्तों की खूब भीड़ हो रही है.
2013 में स्थापना के बाद लगातार अलग-अलग कुंभ आयोजन में शिरकत कर रहे किन्नर अखाड़े शिविर में इस बार जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है. हालत यह है कि किन्नर महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए तो कई किलोमीटर लंबी लाइन लग जा रही है, जिसको काबू में करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को भी पसीने बहाने पड़ रहे हैं. दरअसल, प्रयागराज के कुंभ नगर में लगे संत महात्माओं के शिविरों में अलग-अलग जगह से आए लोग आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं.
सेक्टर 16 में लगे किन्नर अखाड़े के शिविर में भक्तों की भीड़ सबसे ज्यादा हो रही है. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह मानी जा सकती है कि किन्नरों का आशीर्वाद हमेशा से ही सबसे उत्तम माना गया है. ऐसा माना जाता है कि किन्नर अर्धनारीश्वर का रूप हैं और भोलेनाथ के परम भक्त और सबसे करीब होते हैं.
आंध्र प्रदेश, हरियाणा, गुड़गांव, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से अलग-अलग हिस्सों और शहरों से लोग शिविर में पहुंच रहे हैं. इसके अलावा विदेशी सैलानियों के संग पुलिस और सेना के जवानों की मौजूदगी भी शिविर में देखने को मिल रही है. दूर-दूर से आ रहे लोगों का बस यही कहना है कि संतों का आशीर्वाद तो महत्वपूर्ण है, लेकिन यदि किन्नर और संत एक साथ मिल रहे हैं तो इससे बड़ी बात कोई नहीं हो सकती. भक्तों का कहना है कि यहां पर आने के बाद एक अलग सुख की प्राप्ति हो रही है. ना कोई पैसा मांग रहा है ना कोई धक्का दे रहा है. यहां पर तो सब कुछ शांति से चल रहा है.
आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सभी को प्रेमभाव से गले लग रही हैं. गोद में आने वाले बच्चों के साथ-साथ वृद्धजनों के साथ-साथ युवाओं को भी आशीर्वाद दे रही हैं. हर वर्ग के लोग यहां पर आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं और किन्नर अखाड़े में सुबह से शाम तक आशीर्वाद के लिए लंबी-लंबी लाइन लग रही हैं. इस बारे में किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि किन्नरों को हमेशा से ही ईश्वर के रूप में पूजा जाता रहा है.
ऐसी मान्यता रही है कि किन्नरों की उत्पत्ति शिव और पार्वती के प्रेम से हुई. उनको कलयुग में ईश्वर के समान आशीर्वाद देने वाला माना गया है. उन्होंने कहा कि इस वजह से लोग इस पुरानी परंपरा के अनुरूप हमारे शिविर में पहुंच रहे हैं. हम भी लोगों को आत्मीयता से गले लगा रहे हैं और आशीर्वाद दे रहे हैं. संत और किन्नर यदि एक साथ मिल रहे हैं तो इससे अच्छी बात किसी के लिए हो ही नहीं सकती.
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