राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

सांभर फेस्टिवल 24 जनवरी से, पांच दिन पर्यटकों से गुलजार होगी सांभर झील, कच्छ महोत्सव की तर्ज पर होगा आयोजन - SAMBHAR FESTIVAL

विश्व प्रसिद्ध खारे पानी की झील में 24 से 28 जनवरी तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा.

गुलजार होगी सांभर झील
गुलजार होगी सांभर झील (फोटो राजस्थान पर्यटन विभाग)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 6, 2025, 11:58 AM IST

जयपुर. गुजरात के कच्छ महोत्सव की तर्ज पर विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में सांभर महोत्सव 24 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. जहां 24 से 28 जनवरी तक चलने वाले इस सांभर फेस्टिवल में घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई सांस्कृतिक और साहसिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा. सर्दियों में लेजर और ग्रेटर फ्लेमिंगो सहित कई प्रवासी पक्षी भी सांभर झील में डेरा डाले हुए हैं. ऐसे में सांभर फेस्टिवल में आने वाले सैलानियों के लिए प्रवासी पक्षियों का दीदार भी एक रोमांचक अनुभव होगा. पर्यटन विभाग के उपनिदेशक उपेंद्र सिंह ने बताया कि सांभर फेस्टिवल 24 से 28 जनवरी तक होने जा रहा है. सैलानियों को इससे कनेक्ट करने के लिए थीम पर आधारित कई कार्यक्रम होंगे. सांभर झील के भौगोलिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व से भी पर्यटकों को रूबरू करवाया जाएगा.

सांभर फेस्टिवल का इस बार तीसरा सत्र :दरअसल, इस बार सांभर फेस्टिवल का तीसरा सत्र है. इससे पहले 2023 और 2024 में प्रायोगिक तौर पर सांभर फेस्टिवल का आयोजन किया गया था. इनकी सफलता को देखते हुए इस बार पांच दिवसीय आयोजन करवाया जा रहा है. सांभर फेस्टिवल की तारीख तय होने के साथ ही इस आयोजन को लेकर अलग-अलग स्तर पर तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं. पर्यटन विभाग के अलावा स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका प्रशासन भी इन तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं.

पढ़ें: सर्दी बढ़ी तो गुलाबी आभा वाले फ्लेमिंगो से गुलजार हुई सांभर झील, हजारों किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचे 'पावणे'

ऑफ बीट टूरिज्म का केंद्र बन रहा सांभर : सांभर अंचल के हिस्ट्री स्टोरी टेलर कैलाश शर्मा के अनुसार सांभर अब आफ बीट टूरिज्म का बड़ा डेस्टीनेशन बन रहा है. यहां मल्टी वैरायटी टूरिज्म है. पौराणिक काल का कथाक्रम यहां कण-कण में बिखरा हुआ है. यहां के कई स्थान ऐतिहासिक और ब्रिटिश काल के बहुत से घटनाक्रमों की गवाही देते हैं. एक तरफ अरावली पर्वत माला की पहाड़ियां और उनके अंचल में शाकंभरी माता का मंदिर है, तो दूसरी ओर 90 वर्ग मील क्षेत्र में फैली सांभर झील और इसमें विचरण करते लाखों की तादाद में प्रवासी पक्षी हैं.

आध्यात्मिक दृष्टि से भी संपन्न है सांभर : उन्होंने बताया कि झील के पानी का उतार आने के बाद यहां कच्छ के रण सा नजारा दिखता है. नमक झील बीच में संत दादू दयालजी की छतरी है. जहां उन्होंने छह साल कड़ी तपस्या की थी. गुरु शुक्राचार्य की पुत्री और श्रीकृष्ण की कुलमाता देवयानी के नाम पर पौराणिक तीर्थ सरोवर देवयानी है. सिंध के हथूंगा के सांई साध पुरसनाराम की पीठ भी सांभर में है. छठी शताब्दी में मुस्लिम व्यापारियों ने सांभर आकर कारोबार करना शुरू किया था. उस दौर में स्थापित जामा मस्जिद सांभर के बड़ा बाजार में है और अजमेर वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के जिगर सोख्ता ख्वाजा हुसामुद्दीन चिश्ती की दरगाह सांभर पुरानी धानमंडी में है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details