लखनऊ: संभल हिंसा ने यूपी ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों की भी नींद उड़ा रखी है. पहले भीड़ का पुलिस टीम पर हमला करना और फिर फॉरेंसिक जांच में पकिस्तान के बने खोके मिलने के बाद से जांच एजेंसियों का साफ मानना है कि पश्चिमी यूपी में माहौल खराब करने की योजना पहले से बन रखी थी, मौका जमा मस्जिद के सर्वे के बहाने मिला. अब इस मामले में यूपी ATS भी जांच में जुट गया है और संभल का पाकिस्तान कनेक्शन खंगालने में जुटा है.
90 के दशक से पाक के निशाने पर पश्चिमी यूपी
पूर्व डीजीपी अरविन्द कुमार जैन भी मानते हैं कि, ये पहली बार नहीं है जब संभल का पाकिस्तान से कनेक्शन जुड़ा हो. सीमा पार बैठे आतंकी संगठन 90 के दशक से पश्चिमी यूपी में अपनी पैठ बनाने के लिए साजिश रचते रहते हैं. इसके लिए उसने मुरादाबाद, देवबन्द, संभल जैसे जिलों के युवाओं को रेडकेलाइज किया और उन्हें आतंकी संगठन में शामिल कर पाकिस्तान ले जाकर ट्रेनिंग भी दी. उन्हीं के सहारे हथियारों को भी इन इलाकों में भेजा जाता रहा है.
संभल में हिंसा के बाद मिले पाकिस्तानी कारतूस (Photo Credit; ETV Bharat) आतंकियों के सॉफ्ट टारगेट संभल के युवा
संभल का आतंकियों से लिंक पहली बार साल 1998 में तब जुड़ा जब यहां के एक समुदाय विशेष के कई नौजवान लापता हो गए थे. जांच की गई तो सामने आया कि, ये सभी आतंकी संगठनों से जुड़ गए. संभल के ही मोहम्मद आसिफ और जफा मसूद, जो आतंकी संगठन अलकायदा की सहायक शाखा अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टीनेंट (एक्यूआईएस) के लिए काम करते थे. उन्हें दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फरवरी 2023 को सजा सुनाई थी. यही नहीं संभल का ही मौलाना आसिम उमर उर्फ शन्नू अलकायदा का साउथ एशिया चीफ था. जिसको साल 2019 में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना ने एक ऑपरेशन में मार गिराया था. इतना ही नहीं संभल का ही अब्दुल समद, जो कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता था, वह भी आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़ा निकला. समद पर युवाओं को आतंकी संगठन से जोड़ने का जिम्मा था.
संभल में पाकिस्तानी खोखे मिलने से जांच एजेंसियां सतर्क (Photo Credit; ETV Bharat) अवैध 9 mm कारतूस का सबसे बड़ा सप्लायर पाक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी श्याम शुक्ला कहते हैं कि, संभल में जहां हिंसा हुई उस जगह पर जो 9 mm के खोखे मिले हैं उससे कई सवाल जरुर खड़े हो रहे हैं. श्याम शुक्ला बताते है कि, असल में 9 mm पिस्टल का निर्माण मध्य प्रदेश में सबसे अधिक होता था. लेकिन इसके निर्माण में हाल के सालों में कमी आई है. हालांकि कारतूस के लिए हमेशा से माफिया और क्रिमिनल पाकिस्तान की ही ओर देखते थे. पाकिस्तान से कारतूस और हथियार कभी पंजाब, नेपाल या फिर बांग्लादेश के रास्ते भारत भेजे जाते रहे हैं, अकसर यहां से वहां जाने वाले युवा ही तस्करी करते थे. इसीलिए जिले में पाकिस्तान से जुड़े हथियारों का मिलना हैरान करने वाला नहीं है. इसीलिए एजेंसी को तह में जाकर जांच करनी होगी.
संभल हिंसा के पाक कनेक्शन की जांच जारी (Photo Credit; ETV Bharat) संभल समेत कई जिलों में आतंकियों के नेटवर्क
पश्चिमी यूपी के जानकार माने जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाल कहते हैं कि, संभल या फिर पश्चिमी यूपी में आतंकी संगठनों से जुड़े कितने लोग रह रहे हैं ये बीते कुछ सालों में देवबंद या फिर आस पास के जिलों से हुई गिरफ्तारी से ही पता चल सकता है. जहां अपनी नई पहचान के साथ मदरसे में पढ़ाई करते हैं और फिर वहीं से आतंकी संगठन के लिए भर्ती करते हैं. संभल में दो साल पहले मियां सराय इलाके में एक आतंकी अपनी पहचान छुपाकार लोकल की मदद से एक मकान में रह रहा था. हालांकि जब तक NIA को पता चलता तब तक वह भाग चुका था.
संभल हिंसा और फायरिंग के बाद एटीएस जांच में जुटी (Photo Credit; ETV Bharat) संभल में पूर्व से जुड़े आतंकियों से तार के चलते ही जैसे ही जिले के हिंसा वाली जगह से मेड इन पाकिस्तान खोखे मिले वैसे ही यूपी ATS ने अपनी एक टीम संभल में जांच के लिए भेज दी. ताकि ये पता लगाया जा सके कि इस हिंसा में कहीं आतंकी संगठनों के लोग तो शामिल नहीं थे. डीजीपी प्रशांत कुमार के मुताबिक, हिंसा में शामिल जितने भी आरोपी है उनके बैकग्राउंड की जांच की जा रही है. इसके अलावा साजिशकर्ताओं की भी पहचान की जा रही है.
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