पटना/नई दिल्ली:बिहार में शराबबंदी को लेकर आरजेडी सांसद अमरेंद्र धारी सिंह ने राज्यसभा में सवाल उठाया है. राज्यसभा में चर्चा के दौरान एडी सिंह ने कहा कि अगर बिहार में शराबबंदी खत्म हो जाए तो विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में घर-घर में आर्डर पर हर ब्रांड की शराब उपलब्ध है. आरजेडी सांसद ने केंद्र सरकार से इस दिशा में दबाव बनाने की मांग की.
"हमारे मुख्यमंत्री कई सालों से बिहार में शराबबंदी पर आंखें मूंदें बैठे हैं. जब से बिहार में शराबबंदी लागू हुई है, हम लोग हर साल 15 से 20 हजार करोड़ नुकसान उठा रहे हैं. अगर स्पेशन कैटेगरी हमें नहीं मिल रहा है तो केन्द्र सरकार को भी कुछ सोचना चाहिए. अगर वो पैसा राज्य के पास आएगा तो स्पेशल कैटेगरी की जरूरत नहीं पड़ेगी."- अमरेंद्र धारी सिंह, राज्यसभा सांसद, राष्ट्रीय जनता दल
'बिहार में शराब की होम डिलीवरी':आरजेडी सांसद ने कहा कि मुझे लगता है कि अगर बालू माफिया और शराब माफिया दोनों को देखें तो 40 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि एक कमिटी बननी चाहिए, जो बिहार का दौरा कर हकीकत जानें कि क्या बिहार में शराबबंदी लागू है, या शराब घर-घर में मिल रही है.
अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू: जब 1 अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुआ था, तब महागठबंधन की सरकार थी. जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार में इसे लागू किया था. उस समय विपक्ष में बैठी बीजेपी ने भी समर्थन दिया था लेकिन बाद के दिनों में जो दल विपक्ष में होता है, वह शराबबंदी पर सवाल उठाता रहता है. जीतनराम मांझी तो सरकार में सहयोगी होने के बावजूद इसका विरोध करते हैं. वहीं अब आरजेडी ने भी इसको लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं, जबकि एक हफ्ते पहले तक वह इसकी तरफदारी करता था.