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भव्य उद्घाटन के साथ सोनपुर मेले की शुरुआत, सम्राट चौधरी ने कहा- 'सोनपुर में बनेगा कॉरिडोर'

31 दिनों तक चलने वाले सोनपुर मेले का आज भव्य उद्घाटन हुआ. उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजयसिन्हा ने सोनपुर के लिए बड़ी घोषणा की.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला का उद्घाटन. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 19 hours ago

वैशाली: बिहार के सोनपुर मेला का बुधवार 13 नवंबर को भव्य उद्घाटन किया गया. यह मेला 13 नवंबर से शुरू होकर 14 दिसंबर तक चलेगा. बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा सहित आधे दर्जन से ज्यादा जनप्रतिनिधियों ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सोनपुर कॉरिडोर बनाया जाएगा. उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि इसी वर्ष यहां तीन दिवसीय सोनपुर हरिहरनाथ महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. जिलाधिकारी से बात हो गयी है.

"2000 वर्षों से यहां मेला लगता है, यह अपने आप में ऐतिहासिक है. जैसा कि लोग कहते हैं यहां चंद्रगुप्त मौर्य आए, अकबर आए और इलाके के वीर स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह भी यहां घोड़ा खरीदने आते थे. उस जमाने में जानवरों का मेला लगता था. यह ऐतिहासिक जगह हमारा धार्मिक स्थान है."- सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री

Sonpur Mela 2024
सम्राट चौधरी. (ETV Bharat)

सोनपुर में बनेगा कॉरिडोरः उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सोनपुर में बाबा हरिहरनाथ के नाम पर एक कॉरिडोर बनाएंगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल 80 लाख लोग ही आए थे जबकि उससे पहले एक करोड़ के आसपास लोग पहुंचते थे. मेला में लोगों की घटती संख्या को लेकर चिंता जाहिर की. सम्राट चौधरी ने कहा कि पटना के बगल में है, यहां कॉरिडोर बनाने की आवश्यकता है. 10 हजार एकड़ में यहां भव्य शहर बसाया जाए.

यह लोकतंत्र की भूमिः उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह लोकतंत्र की जननी है. इस भूमि पर बंधुआ मजदूर को मुक्त करने का लोकतंत्र गणतंत्र में ताकत और शक्ति प्रदान की गई है. मारे विकास की गतिविधि और सांस्कृतिक विरासत का पुनर्जागरण का यह वर्ष है. भारत विश्व गुरु बनेगा. बाबा हरिहरनाथ महोत्सव की शुरुआत इसी वर्ष से करेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार को कलंकित और प्रदूषित करने वाली मानसिकता का खेल नहीं चलेगा. होली और गोली की राजनीतिक खत्म हो चुकी.

Sonpur Mela 2024
विजय कुमार सिन्हा. (ETV Bharat)

क्यों प्रसिद्ध है सोनपुर मेलाः सोनपुर के हरिहर क्षेत्र में गंगा और गंडक नदी का संगम होता है.गंगा भगवान भोलेनाथ की प्रिया नदी है, वही गंडक को नारायणी भी कहा जाता है. जहां शालिग्राम पत्थर के रूप में भगवान विष्णु मिलते हैं. इसके अलावा सोनपुर के हरिहरनाथ मंदिर में एक ही शीला में हरी अर्थात विष्णु और हर अर्थात शिव विराजमान है. यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों की संख्या में दूर दराज से आम खास के साथ साधु संतों का जमावड़ा भी होता है.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

पशुओं का सबसे बड़ा मेलाः जानकारों की माने तो हाजीपुर के कौन हारा घाट में गज और ग्रह की लड़ाई हुई थी. जहां भगवान विष्णु ने गज यानी हाथी के बुलाने पर आए थे. ग्राह यानी घड़ियाल से हाथी की रक्षा की थी. यही कारण है कि सोनपुर मेले में पशुओं की खरीद बिक्री को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि यहां से खरीदा गया कोई भी पशु बेहद लकी होता है. कहा जाता है कि सोनपुर मेले से चंद्रगुप्त मौर्य, अकबर और वीर कुंवर सिंह ने भी हाथियों और घोड़े की खरीदारी की थी.

Sonpur Mela 2024
मंच पर बैठे अतिथि. (ETV Bharat)

सिमट रहा मेला का दायराः बताया गया की 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े का बड़ा अस्तबल बनवाया था. मेले में देश-विदेश से जानवरों के साथ पशु पक्षी बिकने आते थे. लेकिन 2003 में पशु पक्षियों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी. इसके बाद सोनपुर का मेला मुख्य रूप से थियेटरो और बंजारों का मेला बनकर रह गया. हालांकि समय-समय पर बिहार सरकार की ओर से लोक लुभावना कार्यक्रमों को चलाया गया, बावजूद मेले का आकर्षण सिमटता जा रहा है.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

वैशाली और सारण तक फैला थाः जानकार बताते हैं कि हाजीपुर से लेकर सोनपुर के पहलेजा घाट तक हरिहर क्षेत्र मेला लगता था. आज भी हाजीपुर में पौराणिक मेले के कई पहचान मौजूद है. जैसे हाजीपुर का घोरदौल पोखर जहां घोड़े की दौड़ होती थी. हथसाररगंज जहां हाथियों का जमावड़ा लगता था. कोनहारा घाट जहां साधु संतों की भीड़ इकट्ठी होती थी. मीनापुर जहां मीना बाजार लगता था. वगैरह शामिल है.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला में हाथी.(फाइल फोटो) (ETV Bharat)

हाथी होता था आकर्षण का केंद्रः सोनपुर मेले में आकर्षण के कई चीज मौजूद हुआ करता था. लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण हाथी हुआ करता था. हाथी का शाही स्नान, हाथी के बच्चे और हाथियों का झुंड देखने खास तौर से महिलाएं बच्चे सहित अन्य लोग आते थे. सरकारी के कड़े नियमों की वजह से सोनपुर में हाथियों का आना न के बराबर रह गया है. आंकड़ों पर गौर करें तो 2001 में 92 हाथी, 2004 में 354, 2007 में 77 हाथी तो 2014 में 39 हाथी, 2015 में 17, 2016 में 13 के बाद 2017 में तीन हाथी ही आया था.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

विदेशी पर्यटक कम आ रहे हैंः बीते कुछ वर्षों में विदेशी पर्यटकों के आने में भी भारी कमी हुई है. बताया यह जाता है कि विदेशी पर्यटक ज्यादातर हाथियों और अन्य जानवरों के साथ मेले में मिलने वाले रूलर क्षेत्र के सामानों से आकर्षित होकर आते थे. कई देशों से सैकड़ो सैलानी हर वर्ष सोनपुर मेला आते थे, जिसके लिए पर्यटक विभाग की ओर से कॉटेज बनाया जाता था. जिसकी ऑनलाइन बुकिंग होती थी. पशुओं की बिक्री पर रोक के बाद कॉटेज तो बनाए जाते हैं, लेकिन अब गिने चुने ही विदेशी पर्यटक नजर आते हैं.

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"2000 वर्षों से यहां मेला लगता है, यह अपने आप में ऐतिहासिक है. जैसा कि लोग कहते हैं यहां चंद्रगुप्त मौर्य आए, अकबर आए और इलाके के वीर स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह भी यहां घोड़ा खरीदने आते थे. उस जमाने में जानवरों का मेला लगता था. यह ऐतिहासिक जगह हमारा धार्मिक स्थान है."- सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री

Sonpur Mela 2024
सम्राट चौधरी. (ETV Bharat)

सोनपुर में बनेगा कॉरिडोरः उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सोनपुर में बाबा हरिहरनाथ के नाम पर एक कॉरिडोर बनाएंगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल 80 लाख लोग ही आए थे जबकि उससे पहले एक करोड़ के आसपास लोग पहुंचते थे. मेला में लोगों की घटती संख्या को लेकर चिंता जाहिर की. सम्राट चौधरी ने कहा कि पटना के बगल में है, यहां कॉरिडोर बनाने की आवश्यकता है. 10 हजार एकड़ में यहां भव्य शहर बसाया जाए.

यह लोकतंत्र की भूमिः उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह लोकतंत्र की जननी है. इस भूमि पर बंधुआ मजदूर को मुक्त करने का लोकतंत्र गणतंत्र में ताकत और शक्ति प्रदान की गई है. मारे विकास की गतिविधि और सांस्कृतिक विरासत का पुनर्जागरण का यह वर्ष है. भारत विश्व गुरु बनेगा. बाबा हरिहरनाथ महोत्सव की शुरुआत इसी वर्ष से करेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार को कलंकित और प्रदूषित करने वाली मानसिकता का खेल नहीं चलेगा. होली और गोली की राजनीतिक खत्म हो चुकी.

Sonpur Mela 2024
विजय कुमार सिन्हा. (ETV Bharat)

क्यों प्रसिद्ध है सोनपुर मेलाः सोनपुर के हरिहर क्षेत्र में गंगा और गंडक नदी का संगम होता है.गंगा भगवान भोलेनाथ की प्रिया नदी है, वही गंडक को नारायणी भी कहा जाता है. जहां शालिग्राम पत्थर के रूप में भगवान विष्णु मिलते हैं. इसके अलावा सोनपुर के हरिहरनाथ मंदिर में एक ही शीला में हरी अर्थात विष्णु और हर अर्थात शिव विराजमान है. यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों की संख्या में दूर दराज से आम खास के साथ साधु संतों का जमावड़ा भी होता है.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

पशुओं का सबसे बड़ा मेलाः जानकारों की माने तो हाजीपुर के कौन हारा घाट में गज और ग्रह की लड़ाई हुई थी. जहां भगवान विष्णु ने गज यानी हाथी के बुलाने पर आए थे. ग्राह यानी घड़ियाल से हाथी की रक्षा की थी. यही कारण है कि सोनपुर मेले में पशुओं की खरीद बिक्री को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि यहां से खरीदा गया कोई भी पशु बेहद लकी होता है. कहा जाता है कि सोनपुर मेले से चंद्रगुप्त मौर्य, अकबर और वीर कुंवर सिंह ने भी हाथियों और घोड़े की खरीदारी की थी.

Sonpur Mela 2024
मंच पर बैठे अतिथि. (ETV Bharat)

सिमट रहा मेला का दायराः बताया गया की 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े का बड़ा अस्तबल बनवाया था. मेले में देश-विदेश से जानवरों के साथ पशु पक्षी बिकने आते थे. लेकिन 2003 में पशु पक्षियों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी. इसके बाद सोनपुर का मेला मुख्य रूप से थियेटरो और बंजारों का मेला बनकर रह गया. हालांकि समय-समय पर बिहार सरकार की ओर से लोक लुभावना कार्यक्रमों को चलाया गया, बावजूद मेले का आकर्षण सिमटता जा रहा है.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

वैशाली और सारण तक फैला थाः जानकार बताते हैं कि हाजीपुर से लेकर सोनपुर के पहलेजा घाट तक हरिहर क्षेत्र मेला लगता था. आज भी हाजीपुर में पौराणिक मेले के कई पहचान मौजूद है. जैसे हाजीपुर का घोरदौल पोखर जहां घोड़े की दौड़ होती थी. हथसाररगंज जहां हाथियों का जमावड़ा लगता था. कोनहारा घाट जहां साधु संतों की भीड़ इकट्ठी होती थी. मीनापुर जहां मीना बाजार लगता था. वगैरह शामिल है.

Sonpur Mela 2024
सोनपुर मेला में हाथी.(फाइल फोटो) (ETV Bharat)

हाथी होता था आकर्षण का केंद्रः सोनपुर मेले में आकर्षण के कई चीज मौजूद हुआ करता था. लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण हाथी हुआ करता था. हाथी का शाही स्नान, हाथी के बच्चे और हाथियों का झुंड देखने खास तौर से महिलाएं बच्चे सहित अन्य लोग आते थे. सरकारी के कड़े नियमों की वजह से सोनपुर में हाथियों का आना न के बराबर रह गया है. आंकड़ों पर गौर करें तो 2001 में 92 हाथी, 2004 में 354, 2007 में 77 हाथी तो 2014 में 39 हाथी, 2015 में 17, 2016 में 13 के बाद 2017 में तीन हाथी ही आया था.

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सोनपुर मेला. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

विदेशी पर्यटक कम आ रहे हैंः बीते कुछ वर्षों में विदेशी पर्यटकों के आने में भी भारी कमी हुई है. बताया यह जाता है कि विदेशी पर्यटक ज्यादातर हाथियों और अन्य जानवरों के साथ मेले में मिलने वाले रूलर क्षेत्र के सामानों से आकर्षित होकर आते थे. कई देशों से सैकड़ो सैलानी हर वर्ष सोनपुर मेला आते थे, जिसके लिए पर्यटक विभाग की ओर से कॉटेज बनाया जाता था. जिसकी ऑनलाइन बुकिंग होती थी. पशुओं की बिक्री पर रोक के बाद कॉटेज तो बनाए जाते हैं, लेकिन अब गिने चुने ही विदेशी पर्यटक नजर आते हैं.

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