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तरारी-इमामगंज-बेलागंज-रामगढ़ सभी सीटों पर कम मतदान, किसे होगा फायदा किसे नुकसान, जानिए पूरा समीकरण

बिहार उपचुनाव मे नरेंद्र मोदी और नीतीश की जोड़ी के सामने क्या टिक पाएगा महागठबंधन? प्रशांत किशोर की भी होगी परीक्षा. पढ़ें पूरी खबर.

बिहार में वोटिंग खत्म.
बिहार में वोटिंग खत्म. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 13, 2024, 10:43 PM IST

पटना : बिहार विधानसभा के चार सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद अब जीत का दावा एनडीए और महागठबंधन दोनों तरफ से हो रहा है. ठीक चुनाव के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में कार्यक्रम कर 12000 करोड़ की योजनाओं का तोहफा देकर महागठबंधन खेमे की मुश्किल बढ़ा दी है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी के सामने बिहार में महागठबंधन खेमा सीटिंग सीट भी बचा पाएगा एक बड़ा सवाल है.

कम वोटिंग से बढ़ी टेंशन : वैसे चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने भी ताकत लगाई है. लेकिन 2020 के मुकाबले इस बार कम वोटिंग ने सभी दलों की चिंता बढ़ा दी है. इस बार सबसे अधिक 56.21% बेलागंज में, जबकि सबसे कम तरारी में 50.10% वोटिंग हुई है.

देखें यह रिपोर्ट. (ETV Bharat)

चारों विधानसभा में 2020 से कम हुई वोटिंग : बिहार विधानसभा के उपचुनाव में बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार में उतरने के बावजूद जनता ने उदासीनता दिखाई है. 2020 के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कम वोटिंग का कारण यह भी हो सकता है कि अगले साल विधानसभा का चुनाव है. चार विधानसभा सीटों से सरकार की सेहत पर भी कोई असर पड़ने वाला नहीं है. इसलिए जनता ने बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है. सभी दल जीतने का दावा जरूर करें लेकिन राजनीतिक दलों की चिंता निश्चित रूप से बढ़ा दी है.

'सभी की प्रतिष्ठता दांव पर' : राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि बिहार विधानसभा के चार सीटों पर उपचुनाव का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि अगले साल 2025 में विधानसभा का चुनाव होना है. यह उपचुनाव उसका सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसलिए सभी की प्रतिष्ठता दांव पर लगी है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

''बिहार में महागठबंधन तेजस्वी यादव के कंधे पर चल रहा था. लेकिन जब लगा की बात नहीं बनेगी तो लालू प्रसाद यादव भी चुनाव मैदान में उतरे. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने भी अंतिम दिन बिहार में कार्यक्रम कर पूरे गेम को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. इसका लाभ एनडीए को मिल सकता है. प्रशांत किशोर की भी इस बार टेस्ट हो जाएगी, क्योंकि दावा उनकी तरफ से भी बहुत हो रहा था.''- सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

बेलागंज में 5 प्रतिशत कम वोटिंग : बेलागंज में इस बार 56.21% वोट लोगों ने डाला है. 2020 के विधानसभा चुनाव में 61.29 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे. आरजेडी उम्मीदवार सुरेंद्र यादव को 46.91 प्रतिशत वोट मिले, जबकि जेडीयू के अभय कुमार सिन्हा को 32.81 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. 2020 के मुकाबले उपचुनाव में लोगों ने कम वोटिंग की है. 2015 में भी सुरेंद्र यादव ही यहां से जीते थे. इस बार उनके बेटे विश्वनाथ यादव चुनाव मैदान में है. जबकि जदयू ने मनोरमा देवी को लड़ाया है प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

इमामगंज में 7.6 प्रतिशत कम वोट पड़े : इमामगंज विधानसभा सीट पर इस बार 51.01% वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में 58.64 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे. जीतनराम मांझी को इस चुनाव में 45.36 फीसदी वोट मिला था, जबकि उदय नारायण चौधरी को 36.12 प्रतिशत वोट मिले. जीतनराम मांझी ने 2015 में भी इस सीट से जीत हासिल की थी. उपचुनाव में जीतन मांझी ने अपनी बहू दीपा मांझी को उतारा है, तो वहीं राजद ने भी नए उम्मीदवार रोशन मांझी को उतारा है. प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के भी उम्मीदवार हैं. इसलिए लड़ाई यहां भी दिलचस्प है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

रामगढ़ में 9 प्रतिशत कम मतदान : रामगढ़ विधानसभा सीट पर इस बार 54.02% वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में कुल 63.80% मतदान हुआ था. जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह चुनाव जीते थे. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने सेंध लगाई थी. अशोक कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी. इस बार जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत कुमार सिंह और अशोक कुमार सिंह के बीच मुकाबला हो रहा है, लेकिन प्रशांत किशोर की पार्टी और बसपा के उम्मीदवार ने यहां चतुष्कोणीय लड़ाई कर दिया है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

तरारी में 5 प्रतिशत कम वोटिंग : तरारी विधानसभा सीट पर इस बार 50.10 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में 55.35 फीसदी मतदान हुआ था. भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट पर दो बार से लेफ्ट पार्टी का कब्जा रहा है. 2020 में सीपीएमएल उम्मीदवार सुदामा प्रसाद सिंह जीते थे. उन्हें करीब 44 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार सुनील पांडेय को करीब 37 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ था. इस बार बीजेपी ने सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत को उतारा है, तो वहीं माले ने राजू यादव को टिकट दिया है, जन सुराज और बसपा के उम्मीदवार ने यहां की लड़ाई भी दिलचस्प बना दी है.

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नीतीश-लालू की प्रतिष्ठा दांव पर, पीके का भी लिटमस टेस्ट : 2025 विधानसभा चुनाव से पहले बिहार विधानसभा के चार सीटों पर हुए उप चुनाव में नीतीश कुमार से लेकर लालू प्रसाद यादव तक ने अपनी ताकत लगाई है. दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुरज पहली बार चुनाव मैदान में है. प्रशांत किशोर ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ा. ऐसे में उनका भी लिटमस टेस्ट होना है.

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NDA की जीत का दावा : चार सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद जहां एनडीए खेमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम के बूते चारों सीट जीतने का दावा कर रहा है. मंत्री श्रवण कुमार और जयंत राज का कहना है कि जब डबल इंजन की सरकार में इतना काम हो रहा है तो जनता विकास के साथ रहना चाहेगी.

''आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एम्स का शिलान्यास किया है. कई योजना बिहार को दी है, तो बिहार में केंद्र से लगातार बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं. इसलिए जनता एनडीए के साथ है और NDA के चारों उम्मीदवार जीत रहे हैं.''- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री

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ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

महागठबंधन खेमे में बेचैनी : प्रधानमंत्री के ठीक चुनाव के दिन दरभंगा में एम्स के निर्माण का शिलान्यास करने और 12000 करोड़ से अधिक की योजना बिहार को तोहफा में देने के बाद महागठबंधन खेमे में बेचैनी साफ है. आरजेडी प्रवक्ता अरुण यादव का कहना है कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है. चारों सीटों पर हमारी जीत होगी.

''प्रधानमंत्री ने जानबूझकर चुनाव के दिन कार्यक्रम किया है. ऐसा नहीं था तो पहले कार्यक्रम कर लेते, लेकिन इसके बाद भी बिहार में चारों सीट महागठबंधन जीतेगा वह भी भारी मतों से.''- अरुण यादव, आरजेडी प्रवक्ता

चिराग-उपेंद्र कुशवाहा के साथ से NDA को लाभ! : विधानसभा उपचुनाव में ऐसे तो कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. 2020 के मुकाबले इस बार वोटिंग कम हुई है, लेकिन एनडीए खेमा इस बार 2020 के मुकाबले ज्यादा एकजुट है. 2020 में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में नहीं थे, जबकि इस बार दोनों एनडीए के साथ थे. चिराग पासवान ने तो 2020 में NDA को काफी नुकसान पहुंचाया था. इसलिए एनडीए नेताओं को लगता है कि इस बार चारों सीट कम वोटिंग के बावजूद जीतेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी पर भी एनडीए नेताओं को भरोसा है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि जनता ने तेजस्वी- लालू और पीके के लिये उपचुनाव में 2025 को लेकर कोई उम्मीद छोड़ी है या नहीं.

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पटना : बिहार विधानसभा के चार सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद अब जीत का दावा एनडीए और महागठबंधन दोनों तरफ से हो रहा है. ठीक चुनाव के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में कार्यक्रम कर 12000 करोड़ की योजनाओं का तोहफा देकर महागठबंधन खेमे की मुश्किल बढ़ा दी है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी के सामने बिहार में महागठबंधन खेमा सीटिंग सीट भी बचा पाएगा एक बड़ा सवाल है.

कम वोटिंग से बढ़ी टेंशन : वैसे चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने भी ताकत लगाई है. लेकिन 2020 के मुकाबले इस बार कम वोटिंग ने सभी दलों की चिंता बढ़ा दी है. इस बार सबसे अधिक 56.21% बेलागंज में, जबकि सबसे कम तरारी में 50.10% वोटिंग हुई है.

देखें यह रिपोर्ट. (ETV Bharat)

चारों विधानसभा में 2020 से कम हुई वोटिंग : बिहार विधानसभा के उपचुनाव में बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार में उतरने के बावजूद जनता ने उदासीनता दिखाई है. 2020 के मुकाबले इस बार कम वोटिंग हुई है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कम वोटिंग का कारण यह भी हो सकता है कि अगले साल विधानसभा का चुनाव है. चार विधानसभा सीटों से सरकार की सेहत पर भी कोई असर पड़ने वाला नहीं है. इसलिए जनता ने बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है. सभी दल जीतने का दावा जरूर करें लेकिन राजनीतिक दलों की चिंता निश्चित रूप से बढ़ा दी है.

'सभी की प्रतिष्ठता दांव पर' : राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि बिहार विधानसभा के चार सीटों पर उपचुनाव का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि अगले साल 2025 में विधानसभा का चुनाव होना है. यह उपचुनाव उसका सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसलिए सभी की प्रतिष्ठता दांव पर लगी है.

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''बिहार में महागठबंधन तेजस्वी यादव के कंधे पर चल रहा था. लेकिन जब लगा की बात नहीं बनेगी तो लालू प्रसाद यादव भी चुनाव मैदान में उतरे. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने भी अंतिम दिन बिहार में कार्यक्रम कर पूरे गेम को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. इसका लाभ एनडीए को मिल सकता है. प्रशांत किशोर की भी इस बार टेस्ट हो जाएगी, क्योंकि दावा उनकी तरफ से भी बहुत हो रहा था.''- सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

बेलागंज में 5 प्रतिशत कम वोटिंग : बेलागंज में इस बार 56.21% वोट लोगों ने डाला है. 2020 के विधानसभा चुनाव में 61.29 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे. आरजेडी उम्मीदवार सुरेंद्र यादव को 46.91 प्रतिशत वोट मिले, जबकि जेडीयू के अभय कुमार सिन्हा को 32.81 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. 2020 के मुकाबले उपचुनाव में लोगों ने कम वोटिंग की है. 2015 में भी सुरेंद्र यादव ही यहां से जीते थे. इस बार उनके बेटे विश्वनाथ यादव चुनाव मैदान में है. जबकि जदयू ने मनोरमा देवी को लड़ाया है प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है.

ईटीवी भारत GFX.
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इमामगंज में 7.6 प्रतिशत कम वोट पड़े : इमामगंज विधानसभा सीट पर इस बार 51.01% वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में 58.64 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे. जीतनराम मांझी को इस चुनाव में 45.36 फीसदी वोट मिला था, जबकि उदय नारायण चौधरी को 36.12 प्रतिशत वोट मिले. जीतनराम मांझी ने 2015 में भी इस सीट से जीत हासिल की थी. उपचुनाव में जीतन मांझी ने अपनी बहू दीपा मांझी को उतारा है, तो वहीं राजद ने भी नए उम्मीदवार रोशन मांझी को उतारा है. प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के भी उम्मीदवार हैं. इसलिए लड़ाई यहां भी दिलचस्प है.

ईटीवी भारत GFX.
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रामगढ़ में 9 प्रतिशत कम मतदान : रामगढ़ विधानसभा सीट पर इस बार 54.02% वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में कुल 63.80% मतदान हुआ था. जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह चुनाव जीते थे. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने सेंध लगाई थी. अशोक कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी. इस बार जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत कुमार सिंह और अशोक कुमार सिंह के बीच मुकाबला हो रहा है, लेकिन प्रशांत किशोर की पार्टी और बसपा के उम्मीदवार ने यहां चतुष्कोणीय लड़ाई कर दिया है.

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तरारी में 5 प्रतिशत कम वोटिंग : तरारी विधानसभा सीट पर इस बार 50.10 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि 2020 में 55.35 फीसदी मतदान हुआ था. भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट पर दो बार से लेफ्ट पार्टी का कब्जा रहा है. 2020 में सीपीएमएल उम्मीदवार सुदामा प्रसाद सिंह जीते थे. उन्हें करीब 44 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार सुनील पांडेय को करीब 37 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ था. इस बार बीजेपी ने सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत को उतारा है, तो वहीं माले ने राजू यादव को टिकट दिया है, जन सुराज और बसपा के उम्मीदवार ने यहां की लड़ाई भी दिलचस्प बना दी है.

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नीतीश-लालू की प्रतिष्ठा दांव पर, पीके का भी लिटमस टेस्ट : 2025 विधानसभा चुनाव से पहले बिहार विधानसभा के चार सीटों पर हुए उप चुनाव में नीतीश कुमार से लेकर लालू प्रसाद यादव तक ने अपनी ताकत लगाई है. दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुरज पहली बार चुनाव मैदान में है. प्रशांत किशोर ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ा. ऐसे में उनका भी लिटमस टेस्ट होना है.

ईटीवी भारत GFX.
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NDA की जीत का दावा : चार सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद जहां एनडीए खेमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम के बूते चारों सीट जीतने का दावा कर रहा है. मंत्री श्रवण कुमार और जयंत राज का कहना है कि जब डबल इंजन की सरकार में इतना काम हो रहा है तो जनता विकास के साथ रहना चाहेगी.

''आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एम्स का शिलान्यास किया है. कई योजना बिहार को दी है, तो बिहार में केंद्र से लगातार बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं. इसलिए जनता एनडीए के साथ है और NDA के चारों उम्मीदवार जीत रहे हैं.''- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

महागठबंधन खेमे में बेचैनी : प्रधानमंत्री के ठीक चुनाव के दिन दरभंगा में एम्स के निर्माण का शिलान्यास करने और 12000 करोड़ से अधिक की योजना बिहार को तोहफा में देने के बाद महागठबंधन खेमे में बेचैनी साफ है. आरजेडी प्रवक्ता अरुण यादव का कहना है कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है. चारों सीटों पर हमारी जीत होगी.

''प्रधानमंत्री ने जानबूझकर चुनाव के दिन कार्यक्रम किया है. ऐसा नहीं था तो पहले कार्यक्रम कर लेते, लेकिन इसके बाद भी बिहार में चारों सीट महागठबंधन जीतेगा वह भी भारी मतों से.''- अरुण यादव, आरजेडी प्रवक्ता

चिराग-उपेंद्र कुशवाहा के साथ से NDA को लाभ! : विधानसभा उपचुनाव में ऐसे तो कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. 2020 के मुकाबले इस बार वोटिंग कम हुई है, लेकिन एनडीए खेमा इस बार 2020 के मुकाबले ज्यादा एकजुट है. 2020 में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में नहीं थे, जबकि इस बार दोनों एनडीए के साथ थे. चिराग पासवान ने तो 2020 में NDA को काफी नुकसान पहुंचाया था. इसलिए एनडीए नेताओं को लगता है कि इस बार चारों सीट कम वोटिंग के बावजूद जीतेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी पर भी एनडीए नेताओं को भरोसा है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि जनता ने तेजस्वी- लालू और पीके के लिये उपचुनाव में 2025 को लेकर कोई उम्मीद छोड़ी है या नहीं.

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