रीवा : जिले की त्योंथर तहसील के अंजोरा गांव में रहने वाला यादव परिवार देशभर में इलाज करवाकर भगवान भरोसे बैठा है. परिवार से विगत वर्ष मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फोन पर बातचीत करते हुए उन्हें मदद पहुंचाने का वादा किया था. इसके बाद उन्हें दिल्ली की मेदांता हॉस्पिटल में इलाज भी मिला और जरूरी दवाईयां भी मिलीं. मगर बीमारी इतनी गंभीर है कि इसका इलाज केवल विदेश में ही संभव है. वहीं अब इस परिवार की स्थिति पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट किया है.
मदद मिले या फिर मौत
दरअसल, पीड़ित परिवार के सभी सदस्यों को "मस्क्युलर डिस्ट्रोफी" नाम की एक गंभीर बीमारी है, जिसके कारण सभी का शरीर सूखकर मात्र ढांचा रह गया है. गंभीर बीमारी से ग्रसित पीड़ित परिवार के मनीष यादव का कहना है कि तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह की पहल पर उन्हें कुछ मदद मिली थी पर उनके सीएम पद से हटने के बाद परिवार अपने इलाज के लिए तरस गया है. अंत में उसने मजूबर होकर आमरण अनशन का रास्ता चुना है. 25 सितम्बर से वह तहसील कर्यालय के सामने आमरण अनशन पर है. पीड़ित ने सीएम मोहन यादव से निवेदन किया है कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों का इलाज करवाएं या तो पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दें.
जीतू पटवारी ने की पीड़ित से बात, X पर किया ट्वीट
शासन से दोबारा मदद की अपेक्षा लिए आमरण अनशन पर बैठे पीड़ित मनीष यादव से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने फोन पर चर्चा की है. पटवारी ने भी पीड़ित को आश्वासन दिया है कि वे सरकार से हर संभव मदद दिलाने के साथ ही उनका बेहतर इलाज कराने का प्रयास करेंगे. जीतू पटवारी ने पीड़ित मनीष यादव के साथ हुई बातचीत का वीडियो भी X पर ट्वीट किया है. एसडीएम संजय जैन ने कहा,'' पूर्व में भी पीड़ितों की मदद की गई थी और आगे भी हर संभव मदद दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है.''
बीमारी से 1 साल पहले पिता की मौत
दरअसल, रीवा जिले के त्योंथर तहसील क्षेत्र स्थित अजोरा गांव में रहने वाले एक ही परिवार के 5 सदस्य इस गंभीर बीमारी से सूखते चले जा रहे हैं. इस बीमारी ने 24 वर्षीय मनीष यादव, 26 वर्षीय अनीष, 20 वर्षीय मनोज और 32 वर्षीय बेटी सुशीला यादव व उनके पिता को बीते कई वर्ष से घेरना शुरू कर दिया था, जिससे एक साल पहले उनके पिता की मौत भी हो गई. पीड़ित परिवार ने इस बीमारी का इलाज देश के बड़े-बड़े डॉक्टरों से कराया पर कोई भी इसका इलाज नहीं करा पाया और परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब होती चली गई. अब पीड़ित परिवार लगातार सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है.
जर्मनी में हो सकता है इलाज
बीते कुछ वर्ष पूर्व यादव परिवार के सभी 5 सदस्यों को दिल्ली एम्स से मदद मिली थी. डॉक्टर्स की टीम ने रिसर्च में पता लगाया कि पूरे परिवार को मस्क्युलर डिस्ट्रोफी नाम की एक बीमारी ने जकड़ रखा है. बीमारी का पता तो लग गया लेकिन इसका इलाज भारत में संभव नहीं था. बताया गया की मस्क्युलर डिस्ट्रोफी का इलाज जर्मनी में होता है लेकिन इस परिवार की ऐसी स्थिति नहीं है कि वे इलाज के लिए जर्मनी जा सकें.