नई दिल्ली: कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन पिछले एक सप्ताह से जारी है. इसी क्रम में सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट एक्शन कमेटी ने आज फिर सभी आरडीए के साथ बैठक करके मांगें माने जाने तक प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय लिया है. साथ ही आज शाम सभी डॉक्टरों से राजीव चौक मेट्रो स्टेशन से जागरूकता मार्च निकालने के लिए जुटने की अपील की है.
सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट एक्शन कमेटी का गठन दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने मिलकर किया है. रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की लड़ाई को वे इस एक्शन कमेटी के बैनर तले लड़ रहे हैं. सरकार द्वारा मांगें माने जाने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी.
बता दें कि 12 अगस्त से दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. इस दौरान अस्पतालों में ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी और लैब की सेवाएं बंद चल रही हैं. जिसकी वजह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीज अस्पताल पहुंचकर बिना इलाज के घर वापस लौट रहे हैं.
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हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं अस्पताल में चालू रखी गई हैं लेकिन इमरजेंसी सेवाएं भी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रही हैं. शनिवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने भी सभी प्राइवेट अस्पतालों से भी हड़ताल में शामिल होने की अपील की थी. कल सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर भी हड़ताल पर रहे.
बता दें कि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के आरडीए कोलकाता की घटना के विरोध और सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को लेकर लगातार मार्च निकाल रहे हैं. दिल्ली एम्स ने अपने रेजिडेंट डॉक्टर्स को काम पर वापस लौटने के लिए मेमोरेंडम भी जारी किया है. ज़ीटीबी अस्पताल ने भी रेजिडेंट डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए मेमोरेंडम जारी किया था. लेकिन इनकी परवाह न करते हुए रेजिडेंट डॉक्टर लगातार हड़ताल पर डटे हुए हैं. इससे मरीजों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं.
बता दें कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन 40000 से ज्यादा मरीज ओपीडी में इलाज कराने के लिए आते हैं. लेकिन, अस्पतालों में एक सप्ताह से चल रही हड़ताल के कारण मरीजों को दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. उन्हें सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इलाज नहीं मिल रहा है.
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