लातेहारःआमतौर पर भाजपा के गढ़ के रूप में जाना जाने वाला मनिका विधानसभा क्षेत्र इस बार फिर से हॉट सीट बना हुआ है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के रामचंद्र सिंह विधायक हैं, लेकिन मनिका विधानसभा का इतिहास भाजपा के लिए सुनहरा रहा है. इस बार भी संभावना है कि मनिका सीट पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में भाजपा और कांग्रेस के ही प्रत्याशी आमने-सामने होंगे. परंतु यदि सब कुछ ठीक नहीं रहा तो दोनों का खेल बिगड़ भी सकता है.
एसटी सीट है मनिका विधानसभा
दरअसल, मनिका विधानसभा क्षेत्र जब से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुआ है तब से लेकर आज तक आठ बार भाजपा की यहां से जीत हुई है. हालांकि दो बार राजद और एक बार कांग्रेस के प्रत्याशी ने बाजी मारी है. इन विधायकों में छह बार पूर्व मंत्री जमुना सिंह, तीन बार विधायक रामचंद्र सिंह और दो बार पूर्व विधायक हरिकृष्ण सिंह मनिका विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. झारखंड अलग होने के बाद अब तक हुए चार चुनाव में एक बार राजद से रामचंद्र सिंह, उसके बाद दो बार लगातार भाजपा से हरि कृष्णसिंह और एक बार कांग्रेस की टिकट पर रामचंद्र सिंह विधायक रहे हैं.
बीजेपी से हरिकृष्ण का नाम आगे
मनिका विधानसभा क्षेत्र में 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले पूर्व विधायक हरिकृष्ण सिंह इस बार भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के प्रबल दावेदार हैं. हालांकि 2019 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था. इसके बाद भी उन्होंने भाजपा नहीं छोड़ी और लगातार भाजपा से जुड़े रहे. वर्ष 2009 और 2014 में उन्होंने राजद के रामचंद्र सिंह को हराया था. इस बार भी उन्हें पूरी उम्मीद है कि भाजपा से उन्हें टिकट मिलेगी.
कांग्रेस से रामचंद्र या मुनेश्वर
वहीं कांग्रेस के रामचंद्र सिंह को भी पूरी उम्मीद है कि कांग्रेस उन्हें टिकट देगी. रामचंद्र सिंह का भी विधानसभा क्षेत्र में अच्छा खासा वोट बैंक है. वहीं मनिका से कांग्रेस पार्टी की ओर से टिकट की दौड़ में वर्तमान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मुनेश्वर उरांव भी शामिल हैं. मुनेश्वर उरांव की क्षेत्र में काफी अच्छी पकड़ है. मुनेश्वर ने अब तक इस सीट से दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ा. दोनों ही बार मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे. पिछली बार कांग्रेस के द्वारा रामचंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने के कारण उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था.