जबलपुर। महाकौशल का डुमना एयरपोर्ट अब पहले से ज्यादा भव्य और आधुनिक हो गया है. 450 करोड़ की लागत से इसे अपग्रेड किया गया है. एयरपोर्ट की शानदार नई बिल्डिंग बनाई गई है. एयरपोर्ट की नई टर्मिनल बिल्डिंग में यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. इस नई इमारत का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 फरवरी को करेंगे. हालांकि यह कार्यक्रम भोपाल से वर्चुअल तरीके से संपन्न होगा.
डुमना एयरपोर्ट का इतिहास
जबलपुर में पहला विमान 1920 में उतरा था, जो जबलपुर शहर के भीतर रेस कोर्स इलाके में उतर गया था. यह अंग्रेजों का दौर था उसके बाद अंग्रेजों ने ब्रिटिश काल में 1930 में हवाई अड्डे का निर्माण किया. 1930 के बाद से कभी-कभी जबलपुर में डुमना एयरपोर्ट पर विमान उतरते रहे. हालांकि उस समय रनवे मिट्टी का बना हुआ था. अंग्रेजों के ही समय में रॉयल एयर फोर्स और रॉयल फ्लाइंग कोर्ट द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस एयरपोर्ट का कई बार इस्तेमाल किया गया. बीते लगभग 100 सालों से डुमना एयरपोर्ट का इस्तेमाल हो रहा था लेकिन इसको आधुनिक स्वरूप अब जाकर मिल पाया है. 2018 में तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने इस विमानतल की टर्मिनल बिल्डिंग को सुविधाजनक बनाने और रनवे को लगभग 900 मीटर तक लंबा करने के लिए 450 सौ करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की थी.
450 करोड़ की लागत से नया विकास
जबलपुर के पुराने एयरपोर्ट में लंबाई कम होने की वजह से बड़े विमान नहीं उतर पाते थे. जबलपुर में एयरबस का उतरना भी संभव नहीं था लेकिन अब लंबे रनवे की वजह से यहां एयरबस उतर सकेगी. एयरपोर्ट की नई टर्मिनल बिल्डिंग में यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. एयरपोर्ट पर ब्रिज बनाए गए हैं जिनसे सीधे हवाई जहाज के भीतर जाया जा सकता है. पहले यात्रियों को दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ता था.