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Rajasthan: पर्याप्त मानव संसाधन नहीं रखने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई की सिफारिश, सरकारी योजनाओं से भी होंगे डि-लिस्ट

राज्य मानवाधिकार आयोग ने सरकार से कहा है कि पर्याप्त मानव संसाधन नहीं रखने वाले अस्पतालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए.

Rajasthan State Human Rights Commission
राज्य मानवाधिकार आयोग (ETV Bharat File Photo)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 5, 2024, 7:54 PM IST

जयपुर:राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को कहा है कि संपूर्ण प्रदेश में अभियान चलाकर सभी अस्पतालों की जांच की जाए और वर्ष 2010 के प्रावधानों के तहत उचित मानव संसाधन नहीं रखने पर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए. आयोग ने कहा कि संसाधनों की अनुपलब्धता के बावजूद मानव जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले अस्पतालों को चिरंजीवी योजना सहित अन्य सभी सरकारी योजनाओं से भी डी-लिस्ट किया जाए.

आयोग ने भवानीमंडी के निजी अस्पताल में बच्चे की मौत के मामले में उसके पिता को पांच लाख रुपए की मुआवजा राशि देने को कहा है. अदालत ने राज्य सरकार को छूट दी है कि वह इसमें से ढाई लाख रुपए की राशि दोषी अस्पताल नवजीवन हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर के प्रबंधन या दोषी चिकित्सकों से वसूल कर सकती है. आयोग सदस्य जस्टिस आरसी झाला ने यह आदेश आशीष पारेता के परिवाद पर दिए. आयोग ने कहा कि दोषी अस्पताल की शिशु रोग इकाई को बंद करने, अस्पताल प्रबंधन पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाने और चिरंजीवी योजना से डी-लिस्ट करने मात्र से परिवादी के आठ साल के बेटे की मौत से हुई क्षति की पूर्ति संभव नहीं है.

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परिवाद में बताया गया कि 25 जनवरी, 2023 को उसके 8 साल के बेटे प्रहल पारेता के पेट दर्द होने पर उसे नवजीवन अस्पताल, भवानीमंडी लेकर गए. अस्पताल में पूछने पर पता चला कि यहां बच्चों के डॉक्टर शैलेन्द्र पाटीदार हैं. वहीं वहां मौजूद दूसरे चिकित्सक कुलदीप सिंह ने इलाज करना शुरू कर दिया. दो घंटे बाद कुलदीप सिंह के स्थान पर डॉ हरिवल्लभ ने आकर इलाज किया और डॉ शैलेन्द्र पाटीदार का थोड़ी देर में आना बताया.

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इसके बाद दोपहर में हरिवल्लभ ने बताया कि डॉ पाटीदार के शादी में जाने के कारण वे अस्पताल नहीं आ सकते हैं. इस पर वे बच्चे को गंभीर हालत में दूसरे अस्पताल ले गए. इस दौरान रास्ते में उसने दम तोड़ दिया. परिवाद में बताया गया कि हरिवल्लभ एमबीबीएस चिकित्सक ही नहीं है. ऐसे में अयोग्य चिकित्सक के इलाज के कारण बच्चे की मौत हुई है. मामला आयोग में आने के बाद राज्य सरकार की ओर से अस्पताल प्रशासन पर कार्रवाई कर उसकी जानकारी आयोग को दी गई. इस पर आयोग ने राज्य सरकार को सभी अस्पतालों के संबंध में विस्तृत सिफारिशें की है.

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