पलामू: विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने गढ़ में कमजोर साबित हुई है. पलामू जिले को भाजपा का गढ़ माना जाता है. लेकिन यहां की पांच सीटों में से भाजपा केवल दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी. बीजेपी की इस हार के पीछे के कई कारण बताए जा रहे हैं.
दरअसल, पलामू में पांच विधानसभा सीटें हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पलामू की पांच में से चार सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 2024 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ डाल्टनगंज और पांकी विधानसभा सीट पर जीत मिली है. बीजेपी को बिश्रामपुर, छतरपुर और हुसैनाबाद सीट पर हार का सामना करना पड़ा.
2024 लोकसभा चुनाव में पलामू संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार जीती. जिसके बाद भाजपा को विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसी ही उम्मीद थी. लेकिन इसके उलट बिश्रामपुर और छतरपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 10 सालों बाद हार का सामना करना पड़ा. वहीं हुसैनाबाद विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एनसीपी विधायक को अपना उम्मीदवार बनाया था. जिससे भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता बागी हो गए. बागी नेताओं ने बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा और अच्छे वोट भी हासिल किए.
घुसपैठ को बनाया था मुद्दा
भारतीय जनता पार्टी ने पलामू के इलाके में भी घुसपैठ को चुनावी मुद्दा बनाया था. इस दौरान पलामू की हुसैनाबाद विधानसभा सीट का नाम बदलने का भी ऐलान किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने पलामू क्षेत्र में प्रचार किया. सभी नेताओं ने बांग्लादेशी घुसपैठ को चुनावी मुद्दा बनाया और इससे जुड़े भाषण दिए.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलामू क्षेत्र में पहली बार गढ़वा में जनसभा को संबोधित किया. गढ़वा सीट भारतीय जनता पार्टी जीतने में सफल रही, लेकिन सभा स्थल के करीब की ही बिश्रामपुर और हुसैनाबाद विधानसभा सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा. हुसैनाबाद विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार 34 हजार वोटों से हारे. पलामू में सबसे बड़ा अंतर हुसैनाबाद सीट पर ही रहा. भाजपा ने हुसैनाबाद का नाम बदलने की घोषणा की थी.