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नेशनल हाईवे बनाने में क्यों पिछड़ गया बिहार? देश की हिस्सेदारी में भी कमी, जानें इसके पीछे की असली वजह - National Highways In Bihar - NATIONAL HIGHWAYS IN BIHAR

Bihar Lagging In National Highways: बिहार का केंद्र सरकार की ओर से आई आम बजट 2024 में पूरा ध्यान रखा गया है. जिसमें बिहार को सबसे बड़ी सौगात एक्सप्रेस वे की दी गई है. हालांकि इसके बाद भी हाईवे बनाने की रेस में बिहार काफी पिछड़ा हुआ है. इसके पीछे एक-दो नहीं बल्कि कई कारण है, जानें यहां विस्तार से.

Bihar Lagging In National Highways
नेशनल हाईवे बनाने में पिछड़ा बिहार (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 25, 2024, 11:30 AM IST

Updated : Aug 25, 2024, 12:38 PM IST

नेशनल हाईवे बनाने में पिछड़ा बिहार (ETV Bharat)

पटना:बिहार में नेशनल हाईवे की कुल लंबाई 6132 किलोमीटर के करीब है और देश में नेशनल हाईवे की कुल लंबाई डेढ़ लाख किलोमीटर के पास है. 2005 में नेशनल हाईवे में बिहार की हिस्सेदारी 5.4 फीसदी थी लेकिन अब यह घटकर 4.04 फीसदी हो गई है. पिछले 20 वर्षों में हिस्सेदारी बढ़ने की जगह घटती नजर आ रही है. इसका बड़ा कारण एनएच की कई परियोजनाएं लंबित पड़ने होना है और केंद्र से जो राशि मिल रही है वह भी खर्च नहीं हो पा रही है.

एनएच के मामले में एक नंबर पर महाराष्ट्र: नेशनल हाईवे यानी एनएच के मामले में पूरे देश में महाराष्ट्र नंबर एक पर है. महाराष्ट्र में 18477 किलोमीटर नेशनल हाईवे है. देश में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 13 फीसदी से अधिक है. दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है, जहां 12141 किलोमीटर नेशनल हाईवे है और यूपी की हिस्सेदारी 8.86 फीसदी के करीब है. तीसरे स्थान पर राजस्थान है, जहां 10706 किलोमीटर नेशनल हाईवे है. इसके अलावा मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य हैं, जहां नेशनल हाईवे की स्थिति भी ठीक है.

एनएच बनाने में पीछे बिहार (ETV Bharat)

एनएच में घटी बिहार की हिस्सेदारी: बिहार में 2005 में नेशनल हाईवे की हिस्सेदारी देश स्तर पर 5.4 परसेंट के करीब थी लेकिन अब यह घटकर 4.04 परसेंट के करीब पहुंच गई है. ऐसा नहीं है कि बिहार में पिछले 19-20 सालों में नेशनल हाईवे का निर्माण नहीं हुआ है, बल्कि नेशनल हाईवे 2005 के मुकाबले दोगुने से भी अधिक हो गए हैं लेकिन देश में जिस पैमाने पर नेशनल हाईवे का निर्माण हुआ है उसमें बिहार पीछे रह गया है.

एनएच के मामले में क्यों पिछड़ा बिहार?: एक बड़ी वजह है यह भी है कि नेशनल हाईवे के लिए जो राशि बिहार को मिलती है, वह पूरी तरह से खर्च नहीं हो पाती है. दूसरा वर्षों पहले बिहार के लिए कई योजना सैंक्शन हो गई लेकिन उसमें राशि केंद्र सरकार ने नहीं दी, जिसके कारण भी एनएच का निर्माण प्रभावित होता है. ऐसे एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार बिहार में एनएच के कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं और आने वाले दिनों में प्रदेश की हिस्सेदारी भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी बढ़ जाएगी.

हाईवे क्यों है इतना खास?:वहीं ए.एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है नेशनल हाईवे जैसी सड़के किसी भी प्रदेश के विकास का इंजन मानी जाती है. इससे आवागमन के साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिलता है. राज्य के अंदर कनेक्टिविटी तो बढ़ती ही है, देश स्तर पर भी कनेक्टिविटी में इजाफा देखने को मिलता है. जिससे व्यापार में बढ़ोतरी होती है. बिहार को विकसित बनाने के लिए एनएच निर्माण की रफ्तार को जल्द ही तेज करना जरूरी है.

"लंबे समय से बिहार के साथ केंद्र सरकार अपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाती रही है. प्लानिंग कमिशन के समय से बिहार को जो हिस्सा मिलना चाहिए वह नहीं मिलता रहा है. ऐसे में बिहार को यदि विकसित बनाना है तो एनएच के निर्माण की रफ्तार बढ़ानी होगी."- विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, ए.एन सिंह इंस्टिट्यूट

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?:वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि केंद्र और राज्य अभी दोनों जगह एनडीए की सरकार है. विशेष पैकेज में भी कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम होना है, उसकी राशि भी रिलीज हो गई है. साथ ही पहले से जो लंबित परियोजना है उस पर भी सरकार गति पकड़ेगी तो नेशनल हाईवे को लेकर बिहार की स्थिति बेहतर होने लगेगी, हालांकि यह सही बात है कि पहले बिहार के साथ उपेक्षा हुई है.

नहीं खर्च हो पा रही पूरी राशि:बिहार में 300 किलोमीटर के करीब ऐसी सड़कों का निर्माण होना है जिस पर मंजूरी पहले मिल चुकी है लेकिन राशि के अभाव में इस पर काम आगे नहीं बढ़ रहा है जो जानकारी मिली है उसके अनुसार 23000 करोड़ इस पर खर्च होगा. इसमें दरभंगा बाईपास, सीतामढ़ी खरका बसंत, राजगीर एलिवेटेड रोड के अलावा न 104 का 4 लेन, नौबतपुर हरिहरगंज, सुपौल बाईपास, समस्तीपुर बाईपास, डुमरा बाईपास, बरबीघा जमुई, जमुई कटोरिया, बांका बंजरवा जैसी योजना प्रमुख रूप से है. पिछले 10 वर्षों में बिहार में नेशनल हाईवे के निर्माण के लिए 17045.37 करोड़ रुपये मिले हैं. इसमें से हर साल बड़ी राशि खर्च हो पाई है. यहां आंकड़ों से समझा जा सकता है.

कब कितना पैसा हुआ खर्च (ETV Bharat)

भारत में है कुल इतने एनएच:देश में नेशनल हाईवे की कुल संख्या 599 है, इसमें से अधिकांश चार लेन के हैं. इनमें से कई को 6 लेन या उससे अधिक लेने में किया जा रहा है. नेशनल हाईवे एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ने का बड़ा माध्यम है और इस पर हर दिन करोड़ों लोग यात्रा करते हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है यह कितना महत्वपूर्ण है. बिहार में 50 से अधिक नेशनल हाईवे हैं, पहले सिंगल लाइन के नेशनल हाईवे थे लेकिन केंद्र सरकार ने उसे पूरी तरह से समाप्त करने का फैसला ले लिया है.

2 लेन से 8 लेन तक कितनी चाहिए जमीन?: वहीं दो लेन के हाईवे को भी केंद्र सरकार ने चार लेन या उससे अधिक लेन में कन्वर्ट करने का फैसला लिया और उस पर काम तेजी से चल रहा है. ऐसे में आने वाले समय में दो लेन नेशनल हाईवे भी देश में नहीं रहेगा. इसमें बिहार में भी कई नेशनल हाईवे पर काम हो रहा है. नेशनल हाईवे की चौड़ाई सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से क्षेत्र की स्थितियों को देखकर तय की जाती है. अधिकारियों के अनुसार 2 लेन से लेकर 8 लेन तक नेशनल हाईवे के लिए जो जमीन की जरूरत पड़ती है वह इस प्रकार से है.

हाईवे की कितनी होगी चौड़ाई (ETV Bharat)

1 लाख की आबादी पर कितना है एनएच का राष्ट्रीय औसत?: बिहार में प्रति लाख आबादी पर 4.54 किलोमीटर नेशनल हाईवे है. आबादी के दृष्टिकोण से देखें तो नेशनल हाईवे का एक लाख की आबादी पर राष्ट्रीय औसत 10.2 किलोमीटर है. यानी क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से भी बिहार नेशनल हाईवे के मामले में राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है.

बिहार से आगे हैं ये राज्य:अरुणाचल प्रदेश में एक लाख की आबादी पर 183.5 किलोमीटर नेशनल हाईवे है. वहीं मिजोरम में एक लाख की आबादी पर 130.4 किलोमीटर और अंडमान निकोबार दीप समूह में एक लाख की आबादी पर 87 किलोमीटर नेशनल हाईवे है. ऐसे बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल की स्थिति कमोबेश बिहार जैसी ही है लेकिन महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों की स्थिति काफी बेहतर है और उन राज्यों की स्थिति भी बेहतर है जहां आबादी कम है.

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Last Updated : Aug 25, 2024, 12:38 PM IST

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