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ढाबे पर बर्तन धोकर जुटाया पढ़ाई का खर्च, अब सराज के भाई-बहन बने इंग्लिश लेक्चरर - BROTHER SISTER PASS PGT EXAM

हिमाचल के भाई-बहन ने एक साथ पीजीटी इंग्लिश की परीक्षा पास की है. इनकी कहानी कई बच्चों के लिए प्रेरणा है.

भूपेंद्र और पुष्पा
भूपेंद्र और पुष्पा (Etv Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 5, 2024, 1:23 PM IST

Updated : Dec 5, 2024, 2:51 PM IST

सराज/मंडी: मेहनत और प्रतिभा किसी भी सुख-सुविधा या संसाधन की मोहताज नहीं होती. संसाधनों की कमी कभी किसी को मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती. लाख रुकावटों के बाद भी मेहनती और धुन का पक्का इंसान नदी के पानी की तरह कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेता है. किसी ने खूब कहा है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता जनाब हौंसलों से उड़ान होती है. इस तरह की मिसाल और कहानियां आपने कई सुनी होंगी. ऐसी ही एक कहानी है हिमाचल प्रदेश के दो भाई-बहनों की, जिन्होंने इतनी तबीयत से पत्थर उछाला है कि हर तरफ उनकी की चर्चा है.

कभी धोए बर्तन, अब बने इंग्लिश के लेक्चरर

मंडी में सराज विधानसभा क्षेत्र के एक छोटा सा गांव जहां एक दिहाड़ी मजदूरी और किसानी करने वाले एक परिवार के बच्चों ने समाज के आगे नजीर पेश की है. कभी इन बच्चों ने ढाबे पर बर्तन धोए. घर की जिम्मेदारियों और सामाजिक दबाव को भी मंजिल के आड़े नहीं आने दिया. सराज विधानसभा क्षेत्र में स्थित थुनाग तहसील के बनयाड गांव के सगे भाई-बहनों ने स्कूल प्रवक्ता की परीक्षा पास की है. 27 साल के भूपेंद्र सिंह और 29 साल की बहन पुष्पा देवी ने कड़ी परिस्थितियों से जूझते हुए प्रदेश में कुल 63 पदों पर अंग्रेजी प्रवक्ता की फाइनल रिजल्ट लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया है.

भूपेंद्र और पुष्पा ने किया कमाल (ETV Bharat)

मेहनत से पाई मंजिल

भूपेंद्र और पुष्पा के पिता धनदेव पेशे से एक किसान और माता माघी देवी गृहणी हैं. बेटा और बेटी दोनों ने ही 12वीं तक की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जरोल से पूरी की, इसके बाद दोनों ने कॉलेज की पढ़ाई लंबाथाच (सराज) से पूरी की. यहां तक पहुंचने के लिए दोनों भाई बहनों की राह बिल्कुल आसान नहीं थी. पिता किसानी करते थे तो आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन दोनों के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था. इसलिए कभी हार नहीं मानी.

भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि, '2019-20 में बीएड की पढ़ाई के दिनों में फीस और बाकी खर्चों को पूरे करने के लिए कॉलेज के बाद जेल रोड पर ढाबे पर काम करते थे, ताकि घर वालों पर आर्थिक बोझ ज़्यादा ना पड़े और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें. घर की जिम्मेवारियों से लेकर सामाजिक दबाव को उन्होंने अपने पढ़ाई के बीच कभी नहीं आने दिया कम सुख सुविधाओं के साथ पुस्तकालय में दिन रात एक कर आज उन्होंने आखिर ये मुकाम हासिल कर लिया.'

दोनों भाई बहन अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और अपने अध्यापकों को देते हैं. भूपेंद्र सिंह इन दिनों मंडी के एक निजी स्कूल में बतौर टीजीटी कार्यरत हैं, जबकि उनकी बहन पीटीए के तहत डिग्री कॉलेज लम्बाथाच में बतौर अंग्रेजी प्रवक्ता तैनात हैं.' पुष्पा देवी ने बताया कि, 'उन्होंने घर के काम काज में भी अपने परिवार का साथ दिया और अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा. आज इस मुकाम पर पहुंच कर उन्हें खुशी हो रही है.

भूपेंद्र के पिता धनदेव और माता माघी देवी (ETV BHARAT)

कई बच्चों के लिए मिसाल बने भाई-बहन

थाच बहल के प्रधान गुलाब सिंह ने बताया कि, 'इन दोनों भाई बहन ने हमारी ग्राम पंचायत के साथ साथ पूरे सराज का नाम रोशन किया है. आज ये भाई बहन हर एक मध्यम वर्गीय परिवार के छात्र-छात्राओं के लिए एक मिसाल हैं, जो कभी कभी सामाजिक दबाव और घर की आर्थिक परेशानियों से हार मान बैठते है.'

माता माघी देवी और पिता धन देव अपने बच्चों की तारीफ करते नहीं थकते कहते हैं कि, 'घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी. बेटे और बेटी ने हमारे गांव और पूरे सराज का नाम रोशन किया है. दोनों इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं ये हमारी उम्मीद से परे है. ये सब उनकी मेहनत और देवी देवताओं के आशीर्वाद से संभव हुआ है."उन्होंने बताया कि जल्द वे अपने बेटे और बेटी संग अपने कुल देवता काला कामेश्वर के पास आशीर्वाद प्राप्त करने जाएंगे'

भूपेंद्र के बड़ी बहन मोहिनी देवी ने बताया कि, 'उनके दोनों भाई बहनों ने कड़ी मेहनत की है. उनकी पूरी शिक्षा सरकारी स्कूल और कॉलेज से ही हुई है. पैसे बचाने के लिए स्कूल और कॉलेज तक पैदल सफर करते थे. उनके संघर्ष को शब्दों में बयां तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन उनकी कामयाबी पर हमें गर्व है.'

भूपेंद्र और पुष्पा ने गरीबी और संसाधनों के अभाव को कभी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया. मेहनत के सहारे मंजिल पाने की उनकी कहानी कई छात्रों के लिए मिसाल है. अब दोनों भाई-बहन छात्रों को वो ज्ञान दे रहे हैं जिसके सहारे उन्होंने ये मुकाम हासिल किया. उम्मीद है कि इन दोनों की कहानी कई बच्चों को प्रेरित करेगी.

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Last Updated : Dec 5, 2024, 2:51 PM IST

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