हरिद्वार/देहरादून:सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली खाने की दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाए जाने वाले सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाए जाने के बाद हरिद्वार से साधु संतों की प्रतिक्रिया सामने आई है. वहीं संत समाज का कहना है कि दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. साथ ही ऐसा करने से कोई भाईचारा कम नहीं होगा. हरिद्वार के संतों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाए जाने पर स्टे लगाया है. जबकि मामले की सुनवाई 26 जुलाई को होनी है.
स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने क्या कहा:जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने कहा है कि आखिरकार किसी को इस पर क्या आपत्ति हो सकती है, अगर कोई नाम या अपना पहचान अपने दुकान पर लिखता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर महामंडलेश्वर ने कहा कि यह उचित निर्णय नहीं लगता और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आजकल नाम बदल बदलकर धोखाधड़ी हो रही है. इस निर्देश के बाद वह समाप्त हो सकती है और इसमें कोई भेदभाव वाली बात नहीं लगती है. महामंडलेश्वर ने कहा है कि इस पर दोबारा से उन्हें विचार होना चाहिए.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कही ये बात:अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि सावन मास हिंन्दू धर्म के लोगों के लिए पवित्र मास होता है. साव के दौरान शिव भक्त कांवड़िये हो या फिर आमजन प्याज लहसुन तक का सेवन नहीं करते है. ऐसे में सभी की अपनी धार्मिक भावनाएं यदि कोई अपनी पहचान बता कर अपना कार्य कर रहा है तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इससे न ही भाईचारा कम होगा और ना ही कोई विवाद होगा.