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लौटने वाला है 'गुलाब चक्कर' रतलाम में बोल उठेंगी 6वीं से 11वीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियां - GULAB CHAKKAR MUSEUM

रतलाम के ऐतिहासिक गुलाब चक्कर म्यूजियम का हो रहा है रेनोवेशन. कला और संस्कृति के नए केन्द्र के रूप में किया जाएगा डेवलप.

GULAB CHAKKAR RENOVATION RATLAM
गुलाब चक्कर के रेनोवेशन का चल रहा काम (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 28, 2024, 7:06 AM IST

Updated : Dec 28, 2024, 11:11 AM IST

रतलाम: धीरे-धीरे अस्तित्व खो रहे रतलाम के गुलाब चक्कर के दिन अब बदल गए हैं. शहर की इस अमूल्य धरोहर को लेकर ईटीवी भारत के लगातार कवरेज का असर भी देखने को मिला है. रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम ने खुद रुचि लेकर गुलाब चक्कर का वैभव लौटाने की पहल शुरू की और उसके नतीजे भी दिखने लगे हैं. सीआरएस फंड और जन सहयोग के माध्यम से गुलाब चक्कर को कला व संस्कृति के नए केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. गुलाब चक्कर का जीर्णोद्धार कार्य तेजी से चल रहा है. कलेक्टर राजेश बाथम लगातार निरीक्षण कर दिशा निर्देश भी दे रहे हैं.

बंद पड़ी हैं 11वीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियों

गौरतलब है कि गुलाब चक्कर बीते 3 वर्षों से जीर्णोद्धार कार्य पूर्ण होने के इंतजार में है. संग्रहालय में रखी हुई छठी से 11वीं शताब्दी तक की प्राचीन मूर्तिया एक कमरे में बंद पड़ी है. ईटीवी भारत ने जर्जर हो चुके गुलाब चक्कर की खबर प्रमुखता के साथ दिखाई थी, जिसे लेकर अब जिला प्रशासन एक्टिव मोड में है. शहर की इस प्राचीन विरासत का जीर्णोद्धार जल्दी करवाने के निर्देश कलेक्टर ने दिए थे. इसके बाद कलेक्टर राजेश बाथम खुद गुलाब चक्कर के जीर्णोद्धार कार्य में रुचि ले रहे हैं.

जीर्णोद्धार कार्य के बारे में जानकारी देते रतलाम कलेक्टर (ETV Bharat)

गुलाब चक्कर के लिए खुद आगे आए कलेक्टर

गुलाब चक्कर का निरीक्षण करने पहुंचे कलेक्टर राजेश बाथम ने कहा, '' गुलाब चक्कर को पुराने स्वरूप में लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसे कला व संस्कृति के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहां स्थित संग्रहालय को पुराने कलेक्ट्रेट की बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है. वहीं, गुलाब चक्कर में सांस्कृतिक एवं कलात्मक कार्यक्रमों के लिए तैयार किया जा रहा है. गुलाब चक्कर के परिसर में हस्तशिल्प और स्वदेशी हाट भी लगाए जाएंगे.''

क्या है गुलाब चक्कर और इसका इतिहास?

रतलाम की इस पुरातात्विक धरोहर का इतिहास एक पिता का अपनी पुत्री के प्रति स्नेह का प्रतीक है. महाराजा रणजीत सिंह राठौर ने पुत्री गुलाब कुंवर की स्मृति में गुलाब चक्कर का निर्माण करवाया था. इसकी आकृति गुलाब के फूल के समान बनाई गई थी. वहीं, दो दर्जन से अधिक गुलाब के फूलों की वैरायटी का बाग भी लगाया गया था. समय अंतराल में गुलाब चक्कर जर्जर हो गया. लेकिन अब एक बार फिर इसका पूर्ण वैभव लौट आने के प्रयास किए जा रहे हैं. कलेक्टर राजेश बाथम ने बताया कि 31 दिसंबर तक इसका पहला चरण पूरा हो जाएगा.

Last Updated : Dec 28, 2024, 11:11 AM IST

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