बीकानेर. हर व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटना ग्रह के प्रभाव से होती है. ज्योतिष गणना के हिसाब से हर ग्रह की वैदिक ज्योतिष परंपरा में शुक्र को वैभव और विलासिता का कारक माना गया है. शुक्र के प्रतिकूल राशि में प्रवेश के कारण आपसी प्रेम अथवा सामाजिक सौहार्द में कमी, विलासिता पूर्वक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और स्त्रियों से संबंधित विषयों पर सामाजिक उदासीनता रह सकती है. शुक्र के मेष राशि में प्रवेश पर विभिन्न राशियों में अलग-अलग प्रभाव दृष्टिगोचर हो सकता है.
मित्र राशि में फल : शुक्र ग्रह अपनी राशि, उच्च राशि व मित्र राशि में स्थित होने पर धन, समृद्धि, आकर्षण, सुंदरता, प्रेम, पारिवारिक संबंध और जीवन में संतुष्टि को दर्शाते हैं. इसके अतिरिक्त प्रबल शुक्र संगीत, डिजाइनिंग, मीडिया, फैशन जगत, फिल्मी दुनिया, गहने, कीमती पत्थर, मेकअप, सुरुचिपूर्ण भोजन व आमोद प्रमोद का कारक होता है.
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शत्रु राशि में फल :इसके विपरीत शुक्र ग्रह के शत्रु राशि, नीच राशि व अशुभ ग्रहों के साथ युति होने पर प्रेम प्रसंग में विफलता, वैवाहिक जीवन में अड़चन, विलासिता में कमी, शारीरिक व मानसिक कष्ट, निम्न स्तरीय जीवन, पत्नी स्वास्थ्य में गिरावट, धन हानि, यौन अंगों में कमजोरी होती है.
मेष : आत्मछवि में सुधार हेतु प्रयासों की अधिकता, व्यय में कमी किन्तु मानसिक पीड़ा में वृद्धि के संकेत मिलते हैं.
वृषभ: व्यय की अधिकता अथवा व्यापार में हानि, लंबी दूरी की यात्रा की इच्छा, आमोद प्रमोद के अवसर में बढ़ोतरी होगी.
मिथुन: आय में वृद्धि हेतु प्रयासों की अधिकता, संपर्क सूत्रों में बढ़ोतरी, बड़े भाई/बहन संबंधी चिंता या उनसे मतभेद हो सकते हैं.
कर्क: रोजगार अथवा नौकरी में पदोन्नति हेतु प्रयासों की अधिकता, सामाजिक प्रतिष्ठा को लेकर असंतुष्टि, पिता अथवा उच्च अधिकारियों से संबंधित चिंता या उनसे मतभेद, कार्यस्थल पर अधिक ऊर्जा का व्यय होगा.